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9 फरवरी को महानंदा नवमी : महत्व, पूजन विधि, मंत्र, मुहूर्त एवं कथा, यहां पढ़ें

9 फरवरी को महानंदा नवमी : महत्व, पूजन विधि, मंत्र, मुहूर्त एवं कथा, यहां पढ़ें - How to celebrate Mahananda Navami
बुधवार, 9 फरवरी 2022 को महानंदा नवमी (Mahananda Navami 2022) मनाई जा रही है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानंदा नवमी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार किसी अज्ञात कारणों की वजह से अगर जीवन में परेशानी, संकट का आभास होने लगे, सुख-समृद्धि, धन की कमी होने लगी हो तो महानंदा नवमी व्रत बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसीलिए सभी परेशानियों से मुक्ति के लिए नवमी के दिन महानंदा व्रत किया जाता है।
 
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। जीवन में परेशानियां अगर निरंतर बढ़ती हुई महसूस हो रही हैं और धन हानि हो रही हो तो ऐसे व्यक्तियों को यह व्रत करने से जीवन में सभी सुखों की तथा शुभ फल की प्रा‍प्ति होती हैं। मान्यतानुसार महानंदा नवमी व्रत करने वालों को स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होने लग‍ती है। 
 
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार नवमी के दिन कुंवारी कन्या का पूजन करके उससे आशीर्वाद लेना विशेष शुभ माना गया है। अत: नवमी तिथि को कन्या भोज तथा उनके चरण अवश्‍य छूने चाहिए। महानंदा नवमी व्रत पर श्री की देवी लक्ष्मी जी का पूजन तथा उनके मंत्रों का जाप करने से गरीबी, दुख-दारिद्रय दूर होता है। इस दिन असहाय लोगों को दान करने से सुख-समृद्धि तथा विष्णु लोक मिलता है। 
 
महानंदा नवमी पूजन के मुहूर्त- Mahananda Navami Date 2022
 
इस बार महानंदा नवमी की तिथि बुधवार, 9 फरवरी 2022 को सुबह 08.31 मिनट से शुरू हो रही है तथा गुरुवार, 10 फरवरी को सुबह 11.08 मिनट पर यह तिथि समाप्त होगी। 
 
महानंदा नवमी पूजन विधि एवं मंत्र- Mahananda navami worship
 
- महानंदा नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में घर का कूड़ा-कचरा इकट्‍ठा करके सुपड़ी (सूपे) में रखकर घर के बाहर करना चाहिए। इसे अलक्ष्मी का विसर्जन कहा जाता है। 
 
- तत्पश्चात हाथ-पैर धोकर दरवाजे पर खड़े होकर श्री महालक्ष्मी का आवाह्‍न करना चाहिए।
 
- स्वच्छ धुले और सफेद वस्त्र धारण करके एक आसन बिछाकर स्थान ग्रहण करना चाहिए। 
 
- उसके बाद एक पटिये पर लाल कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। 
 
- मां लक्ष्मी को कुमकुम, अक्षत, गुलाल, अबीर, हल्दी, मेंहदी चढ़ाएं तथा उनका पूजन करें।
 
- इस दिन पूजन स्थान के बीचोबीच गाय के घी का एक बड़ा अखंड दीया जलाना चाहिए तथा धूप बत्ती प्रज्ज्वलित करना चाहिए। 
 
- लक्ष्मी मंत्र- 'ॐ ह्रीं महालक्ष्म्यै नम:' का जप ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।
 
- मां लक्ष्मी को सफेद मिठाई, पंचामृत, पंचमेवा, ऋतु फल, मखाने, बताशे आदि को भोग लगा कर रात्रि जागरण करना चाहिए। 
 
- रात्रि में श्र‍ी विष्णु-मां लक्ष्मी का पूजन करने के पश्‍चात व्रत का पारण करना चाहिए।
 
इस दिन खासकर 'श्री' यानी महालक्ष्मी देवी की विधिवत पूजा कर व्रत-उपवास रखकर कुंवारी कन्याओं को भोजन कराना चाहिए तथा मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करके हवन करने से दारिद्रय दूर होकर धन लक्ष्मी का आगमन होता है तथा जीवन सुख-संपन्नता से भर जाता है।
 
Mahananda Navami Mantra-देवी लक्ष्मी के मंत्र
 
- 'ॐ ऐं क्लीं सौ:।'
- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौं जगत्प्रसूत्यै नम:।'
- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।' 
- 'ॐ ऐं क्लीं महालक्ष्म्यै नम:।'
 
महानंदा नवमी की कथा-mahananda navami Story
 
श्री महानंदा नवमी व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है कि एक साहूकार की बेटी पीपल की पूजा करती थी। उस पीपल में लक्ष्मीजी का वास था। लक्ष्मीजी ने साहूकार की बेटी से मित्रता कर ली। एक दिन लक्ष्मीजी ने साहूकार की बेटी को अपने घर ले जाकर खूब खिलाया-पिलाया और ढेर सारे उपहार दिए। जब वो लौटने लगी तो लक्ष्मीजी ने साहूकार की बेटी से पूछा कि तुम मुझे कब बुला रही हो?
 
अनमने भाव से उसने लक्ष्मीजी को अपने घर आने का निमंत्रण तो दे दिया किंतु वह उदास हो गई। साहूकार ने जब पूछा तो बेटी ने कहा कि लक्ष्मीजी की तुलना में हमारे यहां तो कुछ भी नहीं है। मैं उनकी खातिरदारी कैसे करूंगी? साहूकार ने कहा कि हमारे पास जो है, हम उसी से उनकी सेवा करेंगे। फिर बेटी ने चौका लगाया और चौमुख दीपक जलाकर लक्ष्मीजी का नाम लेती हुई बैठ गई। तभी एक चील नौलखा हार लेकर वहां डाल गया। 
 
उसे बेचकर बेटी ने सोने का थाल, शाल दुशाला और अनेक प्रकार के व्यंजनों की तैयारी की और लक्ष्मीजी के लिए सोने की चौकी भी लेकर आई। थोड़ी देर के बाद लक्ष्मीजी गणेशजी के साथ पधारीं और उसकी सेवा से प्रसन्न होकर सब प्रकार की समृद्धि प्रदान की। अत: जो मनुष्य महानंदा नवमी के दिन यह व्रत रखकर श्री लक्ष्मी देवी का पूजन-अर्चन करता है उनके घर स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा दरिद्रता से मुक्ति मिलती है तथा दुर्भाग्य दूर होता है।