प्रवासी साहित्य : प्यार...
मुझे होने लगा है
शब्दों से प्यार
तुम करो या न
करो मेरा ऐतबार।
शब्दों की कलियां
खिलने लगी हैं
देख इसे दिल होने
लगा है गुलजार।
सुबह की लालिमा
शाम की है बहार
कोयल की कूक लगे
गाए मेघ मल्हार।
मेरे जीवन में आया है
ले के कैसा खुमार
प्यार है हर शब्द
शब्द देख मिली खुशियां हजार।