क्यों UIDAI पुलिस जांच में आपका आधार डेटा इस्तेमाल करने के खिलाफ है, और यह क्यों सही भी है?
एक तरफ आधार कार्ड एक जरूरी दस्तावेज है, किसी भी तरह के काम में सबसे पहले इसी की जरूरत होती है, वहीं दूसरी तरफ अब पुलिस की किसी भी तरह की जांच या इन्वेस्टिगेशन में आधार डाटा का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
यूआईडीएआई यानी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने कहा है कि आधार अधिनियम के मुताबिक आधार की बॉयोमेट्रिक जानकारी (डेटा) का इस्तेमाल आपराधिक जांच में नहीं किया जा सकता।
दरअसल, हाल ही में जब दिल्ली पुलिस ने आधार की मदद से आरोपी की पहचान के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है तो एक बार फिर से यह सवाल उठा है और बहस का विषय बन गया है कि क्या पुलिस अपनी जांच में आरोपी की बॉयोमेट्रिक जानकारी का इस्तेमाल कर सकती है।
आइए समझते हैं क्या है क्या है आधार डाटा और इसे इस्तेमाल करने के लिए पुलिस का क्या तर्क है।
दरअसल, पिछले दिनों दिल्ली पुलिस एक मर्डर केस के मामले में आरोपी की पहचान के लिए आधार डेटाबेस का इस्तेमाल करने की मांग के साथ हाईकोर्ट पहुंची थी। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि है कि कोर्ट भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) को यह निर्देश दे कि वह आधार डेटाबेस के साथ एक संदिग्ध की तस्वीर और घटनास्थल से बरामद फिंगर-प्रिंट का मिलान करे और आरोपी की पहचान करने में पुलिस की मदद करें।
लेकिन UIDAI ने यह कहते हुए पुलिस को इनकार कर दिया कि आधार अधिनियम के तहत आधार की बायोमेट्रिक जानकारी (डेटा) का इस्तेमाल आपराधिक जांच में नहीं किया जा सकता है।
दूसरी तरफ पुलिस की तरफ से राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने यह तर्क भी रखा था कि अपराधी को पकड़ने के लिए पुलिस के पास पहले से ही बेहद सीमित साधन हैं।
डेटा इस्तेमाल नहीं करने देने की क्या है वजह?
दरअसल, UIDAI ने यह कहा था कि किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा आधार के निवासी या धारक की सहमति के बिना कोई भी आधार डेटा साझा नहीं किया जा सकता है।
प्राधिकरण ने यह भी कहा था कि उसके द्वारा जमा की गई जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल सिर्फ आधार बनाने और आधारधारक के सत्यापन के लिए की जा सकती है। इसके अलावा किसी भी अन्य उद्देश्य के लिए इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
UIDAI के पास आपकी क्या जानकारी है
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आपका नाम, पता, जन्मतिथि, लिंग, 10 उंगलियों के निशान, पुतलियों का स्कैन, चेहरे की तस्वीर, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी।
UIDAI के पास आपकी क्या जानकारी नहीं है
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UIDAI के पास आपके परिवार, जाति, धर्म, शिक्षा, बैंक अकाउंट, शेयर म्युचुअल फंड, प्रॉपर्टी और स्वास्थ्य से जुड़ा कोई रिकॉर्ड नहीं है और ना कभी होगा।
(आधार एक्ट 2016 का सेक्शन 32 (3) UIDAI को किसी व्यक्ति की जानकारी जुटाने से रोकता है)
पुलिस जांच में आधार डेटा इस्तेमाल करने के खतरें
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एक आधार-आधारित धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए किसी का जाली बायोमेट्रिक सत्यापन ही काफी है।
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भले ही बायोमेट्रिक छवि को पढ़ना संभव नहीं है, लेकिन कच्चे संकेत को सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर जालसाज़ी के तहत सत्यापन के ठीक पहले दर्ज कर लेना कोई मुश्किल काम नहीं।
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किसी अनजान और भोले उपयोगकर्ता के बायोमेट्रिक को निकालना और पहले से कॉपी की गई छवि से बदलना काफ़ी आसान है।
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बिना किसी सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर धोखाधड़ी के बाहरी तौर पर भी जाली बायोमेट्रिक सत्यापन आसानी से किया जा सकता है। फिंगर प्रिंट को कई सतहों से कॉपी किया जा सकता है (यहां तक कि स्कैनिंग डिवाइस से भी यह काम किया जा सकता है) और डमी उंगली बनाई जा सकती है।
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इसी तरह से आइरिस इमेज को फोटो से भी निकाला जा सकता है और इसे कृत्रिम आंख जैसे वस्तु पर चिपकाया जा सकता है। यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि दूसरे छोर पर एक मशीन है, इसलिए थोड़ी से तिकड़म लगा कर किसी भी फर्ज़ीवाड़े को अंजाम देना ज़्यादा मुश्किल नहीं है।
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इन सबसे बढ़कर, बायोमेट्रिक सूचनाएं जीवित व्यक्ति से ली गई हैं इस आश्वासन का एकमात्र आधार ऑपरेटर की ईमानदारी है, जो कि बगैर आधार विहीन स्थिति से कोई बेहतर परिदृश्य नहीं कहा जा सकता।
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अगर एक बार बायोमेट्रिक पहचान में सेंधमारी कर दी जाए, तो पूरे जीवन इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।