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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : मंगलवार, 10 मई 2022 (18:06 IST)

इंदौर में 7 लोगों को जिंदा जलाने की आखिर क्या है सबसे बड़ी वजह, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

रिजेक्शन को बर्दाश्त नहीं कर पाना अग्निकांड की सबसे बड़ी वजह: मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी

इंदौर में 7 लोगों को जिंदा जलाने की आखिर क्या है सबसे बड़ी वजह, पढ़ें इनसाइड स्टोरी | Indore news
इंदौर में स्वर्णबाग में हुए भीषण अग्निकांड में सात लोगों के मौत का जिम्मेदार संजय उर्फ शुभम दीक्षित अब सलाखों के पीछे है। पुलिस की अब तक की जांच के मुताबिक शुभम ने एकतरफा प्यार में असफल होना इस हादसे का सबसे बड़ा कारण रहा। पुलिस की अब तक की जांच के मुताबिक शुभम ने युवती से बदला लेने के इतने बड़े अग्निकांड को अंजाम दिया।

सात बेकसूर लोगों की मौत के जिम्मेदार शुभम से हुई पूछताछ में पुलिस को इस बात का भी पता चला है कि शुभम शुरु से ही स्वभाव में गुस्सैल स्वभाव का रहा है। इसके साथ ही आरोपी के अपने माता-पिता औऱ परिवार के अन्य सदस्यों से भी संबंध सहीं नहीं है। इतना ही नहीं शुभम ने जिस युवती से बदला लेने के लिए वारदात को अंजाम दिया उसकी सड़क पर पहले भी पिटाई कर चुका है। दो दिन की पुलिस रिमांड के दौरान भी शुभम की हरकतें  सामान्य नहीं रही और उसने पुलिस की पूछताछ में भी सहयोग नहीं किया है।
 
शुभम दीक्षित के केस को लेकर वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि पूरे मामले में अब तक सामने आई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस बात का पता चलता है कि शुभम ने अपनी प्रेमिका से बदला लेने के वारदात को अंजाम दिया। इसका सीधा सा अर्थ है कि शुभम प्रेमिका की ओर से मिले रिजेक्शन को बर्दाश्त नहीं कर सका और उसका व्यवहार हिंसक हो गया। 
डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि रिजेक्शन का मामला मनोस्थिति से सीधा जुड़ा होता है। रिजेक्शन का कितना औऱ किस तरह का प्रभाव किसी पर पड़ता है यह उस व्यक्ति के व्यक्तित्व और उसके आसपास के माहौल और उससे जुड़े अन्य लोगों और उनके प्रभाव पर निर्भर रहता है। रिजेक्शन का सामना होने पर ऐसे लोग या तो खुद को नुकसान पहुंचा लेते है या दूसरे को नुकसान पहुंचाते है। ऐसे में जब शुभम के पहले से परिवार से अलग रहने की बात सामने आ रही है और उसको फिर रिजेक्शन का सामना करना पड़ा तो वह एंटी सोशल होकर अपनी प्रेमिका का नुकसान पहुंचाने के इरादे से पूरी वारदात को अंजाम दे दिया।
 
सूत्रों के मुताबिक आरोपी शुभम दीक्षित से अब तक हुई पुलिस पूछताछ में पता चला है कि शुभम सोशल मीडिया पर महिलाओं की हत्या के वीडियो देखने का आदी रहा है। इसके साथ आरोपी के इंटरनेट सर्फिंग रिकॉर्ड से यह भी पता चला है कि शुभम लंबे समय से महिला अपराध से जुड़े वीडियो और ऐसे ही विषयों से जुड़ी वेबसीरीज भी धड़ल्ले से देखता था। 
इस पर डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि ‘वेबदुनिया’ ने पिछले दिनों ‘Web Series के बढ़ते क्राइम कनेक्शन’ पर अपनी कवर स्टोरी में इस बात को प्रमुखता से उठाया था और तब भी मेंने स्पष्ट कहा था कि जिस तरह से वेब सीरिज में नकारात्मकता दिखाई या बेची जा रही है तो क्रोध और कुंठा से भरा व्यक्ति उससे सीधा अपना जुड़ाव महसूस करता है और उसको लगता है कि यह वाला बिहेरवियर ट्रैंड में है और उनके अवचेतन में एक स्वीकार्यता जैसी आ जाती है और यहीं नकारात्मक विचार जब घटना के रूप में परिणित होते दिखाई देते है औऱ वह वारदात को अंजाम देने से नहीं हिचकता है।
 
डॉक्टर सत्यकांत कहते हैं कि इंदौर की घटना को एक सीख के रूप में लेना चाहिए। समाज और हर परिवार को यह समझना होगा कि रिजेक्शन जीवन की एक स्वभाविक प्रक्रिया है और इसको कैसे एक अच्छे तरीके से निपटा जा सकता है, इस तरफ सोचना होगा। दूसरे शब्दों में कहे तो हम सभी को रिजेक्शन को हैंडल करने की एक आदत या स्वभाव विकसित करना होगा। यानि रिजेक्शन को हैंडिल करने के लिए स्वस्थ तरीकों का इस्तेमाल करना होगा न कि नुकसान की।