क्या है PFI, सरकार क्यों कस रही है इस पर शिकंजा?
नई दिल्ली। NIA और ED ने टेरर फंडिंग के खिलाफ सबसे बड़े अभियान में 12 राज्यों में एक साथ छापे मारे और देश में आतंकवाद के वित्त पोषण के मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के 106 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। NIA की इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया। आइए जानते हैं कि क्या है पीएफआई और सरकार क्यों कस रही है इस पर शिकंजा?
क्या है PFI : इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का राजनीतिक संगठन है। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी कि एसडीपीआई इसका राजनीतिक संगठन है।
हाल ही में चर्चा में आए एसडीपीआई के मूल संगठन पीएफआई पर विभिन्न असामाजिक और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप है। इतना ही नहीं, पीएफआई के खिलाफ आरोप यह भी हैं कि विभिन्न इस्लामी आतंकवादी समूहों के साथ उसके कथित संबंध हैं। इस संगठन का नाम लगातार हिंसा के मामलों में जुड़ता आया है।
मुस्लिमों की इर्द गिर्द चलती है राजनीति : पीएफआई 2006 में उस वक़्त सुर्खियों में आया था जब दिल्ली के राम लीला मैदान में नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था। तब लोगों की बड़ी संख्या में लोगों ने यहां उपस्थिति दर्ज कराई थी। यह माना जाता है कि इसकी पूरी राजनीति मुस्लिमों के इर्द-गिर्द ही चलती है।
एक जानकारी के मुताबिक पीएफआई तेजी से अपने पांव फैला रहा है। देश में 23 राज्य ऐसे हैं, जहां पीएफआई अपनी गतिविधियां चला रहा है। यह संगठन खुद को न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा का पैरोकार बताता है। मुस्लिमों के अलावा देश भर के दलितों, आदिवासियों पर होने वाले अत्याचार के लिए आंदोलन करता है। शाहीन बाग मामले में भी पीएफआई पर आरोप हैं कि वह पैसे देकर आंदोलन को भड़काने का काम कर रहा है। शाहीन बाग इलाके में उसका मुख्यालय है। दिल्ली दंगे के बाद बेंगलुरु में हुए दंगे में भी पीएफआई का नाम सुर्खियों में आया था।
CAA के खिलाफ प्रदर्शन के पीछे PFI : ED ने गृह मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीएए के खिलाफ चल रहे हिंसक प्रदर्शनों के पीछे PFI का हाथ है। ED ने PFI और उसके सहयोगी संगठनों के बैंक खातों का ब्योरा भी गृह मंत्रालय को सौंपा है। इस दौरान PFI के खातों में बड़ी मात्रा में रकम जमा की गई और निकाली गई।
कपिल सिब्बल को भी दिया था पैसा : कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने एक बयान में कहा था कि उन्हें 2017-2018 में उनकी पेशवर कानूनी सेवाओं के लिए (पीएफआई) की तरफ से भुगतान किया गया था और उस भुगतान का सीएए-विरोधी प्रदर्शनों से कोई लेना-देना नहीं है।
क्या लगेगा PFI पर प्रतिबंध : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार बैठक कर पीएफआई से जुड़े परिसरों में की जा रही छापेमारी तथा आतंकवाद के संदिग्धों के खिलाफ कार्रवाई पर चर्चा की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण के महानिदेशक दिनकर गुप्ता समेत शीर्ष अधिकारी इस उच्च स्तरीय बैठक में शामिल हुए।
समझा जाता है कि शाह ने आतंकवाद के संदिग्धों और पीएफआई के कार्यकर्ताओं के खिलाफ देशभर में की गई कार्रवाई का जायजा लिया। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या पीएफआई पर प्रतिबंध लगेगा?