सोनिया गांधी मतदाता पहले बनीं, भारतीय नागरिक बाद में, भाजपा का कांग्रेस पर निशाना
BJP targets Congress amid SIR controversy: बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण यानी एसआईआर (SIR) को लेकर राहुल गांधी के चुनाव आयोग और सरकार पर लगातार हमलों के बीच भाजपा नेता अमित मालवीय ने दावा किया है कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद श्रीमती सोनिया गांधी भारत की नागरिक बाद में बनी थीं, जबकि वे वोटर पहले ही बन गई थीं।
उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा- भारत की मतदाता सूची के साथ सोनिया गांधी का रिश्ता चुनावी कानूनों के घोर उल्लंघनों से भरा पड़ा हुआ है। शायद यही कारण है कि राहुल गांधी अयोग्य और अवैध मतदाताओं को नियमित करने के पक्षधर हैं और एसआईआर का विरोध करते हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में मतदान से जुड़ा 1980 एक दस्तावेज भी साझा किया है, जिसमें इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी, सोनिया गांधी और मेनका गांधी के नाम हाथ से लिखे हुए हैं। इसमें पता 1, सफदरजंग रोड, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आधिकारिक निवास का है।
कानून का उल्लंघन : मालवीय के मुताबिक 1980 में, नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में 1 जनवरी, 1980 को अर्हता तिथि मानकर संशोधन किया गया था। इस संशोधन के दौरान, सोनिया गांधी का नाम मतदान केंद्र 145 के क्रमांक 388 पर जोड़ा गया था। यह प्रविष्टि उस कानून का स्पष्ट उल्लंघन थी, जिसके अनुसार मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के लिए किसी व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। हालांकि 1982 में भारी विरोध के बाद, उनका नाम सूची से हटा दिया गया था और 1983 में फिर से दिखाई दिया।
भाजपा नेता ने अपनी पोस्ट में कहा कि लेकिन उनकी बहाली ने भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। उस साल मतदाता सूची के नए संशोधन में सोनिया गांधी का नाम मतदान केंद्र 140 में क्रम संख्या 236 पर दर्ज था। पंजीकरण की अर्हता तिथि 1 जनवरी, 1983 थी, जबकि उन्हें भारतीय नागरिकता 30 अप्रैल, 1983 को ही प्रदान की गई।
दो बार दर्ज हुआ नाम : मालवीय ने लिखा कि सोनिया गांधी का नाम मूल नागरिकता की आवश्यकता पूरी किए बिना दो बार मतदाता सूची में दर्ज हुआ। पहली बार 1980 में एक इतालवी नागरिक के रूप में और फिर 1983 में कानूनी रूप से भारत की नागरिक बनने से कुछ महीने पहले। उन्होंने कहा- हम यह भी नहीं पूछ रहे हैं कि राजीव गांधी से शादी करने के बाद उन्हें भारतीय नागरिकता स्वीकार करने में 15 साल क्यों लग गए?
क्या है एसआईआर विवाद : एसआईआर विवाद, जिसे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (Special Intensive Revision) भी कहा जाता है। यह चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची को अपडेट करने की एक प्रक्रिया से जुड़ा है। इस प्रक्रिया को लेकर कई तरह के आरोप और विवाद सामने आए हैं।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में सुधार करने और अयोग्य मतदाताओं को हटाने के लिए यह विशेष अभियान चलाया। इस अभियान का उद्देश्य मृत, डुप्लीकेट, या स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं को हटाकर सूची को पारदर्शी बनाना है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala