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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : रविवार, 6 जून 2021 (19:41 IST)

योगी आदित्यनाथ से मोदी और शाह हैं नाराज, जन्मदिन पर बधाई ट्वीट नहीं होने से उठे सवाल?

योगी आदित्यनाथ से मोदी और शाह हैं नाराज, जन्मदिन पर बधाई ट्वीट नहीं होने से उठे सवाल? - Modi did not wish Yogi on his birthday
बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद अब पूरे देश की निगाहें देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश पर टिक गई है। उत्तर प्रदेश में अगले साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। राज्य अब चुनावी मोड में भी आता दिख भी रहा है। चुनाव से ठीक पहले होने वाली सियासी उठापटक भी अब उत्तर प्रदेश में तेज हो गई है। सबसे अधिक बैचेनी सत्तारुढ़ पार्टी भाजपा में दिखाई दे रही है। मानों ऐसा लग रहा है कि सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा में सियासी घमासान सा छिड़ गया है। योगी सरकार और पार्टी संगठन को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।
 
चुनाव से ठीक पहले सरकार और संगठन में बेचैनी साफ नजर आ रही है। सोशल मीडिया से लेकर राजनीति गलियारों में भाजपा के बड़े नेताओं में छिड़े द्धंद को लेकर जमीनी स्तर का कार्यकर्ता नाराज दिखाई दे रहा है। चर्चाएं तो मुख्यमंत्री को भी बदले जाने की चल रही है। ऐसे में कयासबाजी भी तेज हो गई है कि क्या योगी और मोदी में ही क्या अब ठन गई है। इन कयासों को और हवा अब और इस लिए मिल गई है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें सार्वजनिक तौर पर बधाई नहीं दी। 
 
दरअसल शनिवार को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जन्मदिन था और भाजपा के सभी बड़े नेताओं ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (ट्वीटर) से उनको बधाई दी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी  के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने किसी भी आधिकारिक अकाउंट से योगी आदित्यनाथ को बधाई नहीं दी। इसके बाद सियासी गलियारों में यह सवाल उठने लगा है कि क्या योगी और मोदी  के बीच सब ठीक है। 
यहां आपको बता दें कि पिछले दो सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ को न केवल अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से बधाई दी थी बल्कि योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी को रिप्लाई कर धन्यवाद भी दिया था। वहीं मीडिया की कुछ खबरों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जन्मदिन की बधाई दी है। 
 
दरअसल उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से सरकार और संगठन में बड़े फेरबदल की अटकलें चल रही है। कहा जा रहा है कि चुनाव से किसान आंदोलन और कोरोना के चलते एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर को कम करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व उत्तर प्रदेश में सत्ता और संगठन में बड़ी सर्जरी का मन बना चुका है। इसमें मंत्रिमंडल में शामिल चेहरों में बदलाव के साथ सरकार का चेहरा बदलने तक के कयास लगाए जा रहे है। 
 
लखनऊ में रहकर उत्तर प्रदेश की सियासत को दशकों से करीबी से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि लखनऊ से लेकर दिल्ली तक भाजपा के अंदर जो कुछ चल रहा है उसकी असली जड़ सत्ता की पॉवर शेयरिंग से जुड़ी है। पॉवर शेयरिंग की यह लड़ाई इस साल जनवरी में उस वक्त ही शुरु हो गई थी जब गुजरात कैडर के IAS अफसर अरविंद कुमार शर्मा को एमएलसी बनाकर भेजा गया था। अरविंद कुमार शर्मा की गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद और करीबी लोगों में से होती है और माना गया कि अरविंद कुमार शर्मा को यूपी भेजकर पीएम मोदी ने राज्य में अपना सीधा दखल दे दिया है। 
अरविंद कुमार शर्मा को यूपी आए छह महीने हो गए है लेकिन अब तक उनकी भूमिका साफ नहीं हो पाई है। अरविंद कुमार शर्मा जिनके बारे में कहा गया था कि वह प्रशासन में सीधा दखल देंगे लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं सका। अब तक अरविंद कुमार शर्मा की कोई भूमिका नजर नहीं आ रही है और अगर माना भी जाए कि उनको प्रशासन सुधारने के लिए भेजा भी गया था तो पहले से ही यह आरोप लग रहे है कि मुख्यमंत्री केवल ब्यूरोक्रेसी की ही सुनते है तो ऐसे में एक और ब्यूरोक्रेट को भेजकर और क्या हासिल हो सकता है यह समझ से परे है।  
 
ऐसे में अब चुनाव से ठीक पहले बीएल संतोष और राधामोहन सिंह का लखनऊ में डेरा डालना और मंत्रियों-विधायकों से वन-टू-वन चर्चा करने से सियारी पारा अचानक से गर्मा गया  है। केंद्रीय पर्यवेक्षक के आने से जिस तरह की खबरें निकल कर आ रही है कि उससे तो चुनाव से ठीक पहले ऐसा लग रहा है कि मानों भाजपा में हर पुर्जा (व्यक्ति) नाराज है।    
 
रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि उत्तप्रदेश भाजपा में इस समय में नेताओं की महत्वकांक्षा के चलते एक पर्सनालिटी क्लेश जैसा नजारा दिख रहा है। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और केंद्र से भेजे गए अरविंद कुमार शर्मा कहीं न कहीं आमने-सामने आ गए है। ऐसे में अब देखना होगा कि  चुनाव से ठीक पहले भाजपा की इस अंदरूनी राजनिति का ऊंट किस करवट बैठता है।