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Last Updated : रविवार, 27 मई 2018 (12:13 IST)

मन की बात : मोदी को याद आए परंपरागत खेल, लोगों से की इन्हें सहेजने की अपील

मन की बात : मोदी को याद आए परंपरागत खेल, लोगों से की इन्हें सहेजने की अपील - Mann ki baat
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 44वीं बार अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देश की जनता के सामने अपने विचार रखे। मोदी ने बचपन में गर्मी के दिनों में गर्मी में खेले जाने वाले खेलों को याद किया। उन्होंने जीवन में खेलों का महत्व बताते हुए देशवासियों से इन्हें सहेजने और लोकप्रिय बनाने की अपील की।
 
उन्होंने कहा कि जो खेल कभी-कभी बच्चों के जीवन का हिस्सा होते थे वो आज कम होते जा रहे हैं। पहले बच्चे बेफिक्री से घंटों तक खेला करते थे। परिवार भी इसमें शामिल रहते थे। गिल्ली-डंडे हो, कंचे हों या लट्टू हो, खो-खो हो या पिट्ठू हो- ये देश के हर कोने में खेले जाते थे। हमारे देश की विविधता में छिपी एकता भी इन खेलों से जानी जा सकती है। हममें में से कौन होगा जिसने बचपन में गिल्ली-डंडा ना खेला हो?
 
मोदी ने कहा कि अलग-अलग हिस्सों में इसे अलग नामों से जाना जाता है। आंध्रप्रदेश में अलग, ओडिशा में अलग। हर खेल का एक मौसम होता है। पतंग उड़ाने का अलग मौसम होता है। हमने देखा है कि जो बच्चे बहुत शर्मीले होते हैं, वे खेल से काफी चंचल हो जाते हैं।
 
उन्होंने कहा कि खेल सिर्फ खेल नहीं होते, वे जीवन के मूल्य सिखाते हैं। ओवरऑल डेवलपमेंट में खेल काफी काम आ रहे हैं। बच्चों से लेकर दादा-दादी, नाना-नानी खेलते हैं, तो जेनरेशन गैप खत्म हो जाता है। कभी-कभी चिंता होती है कि ये खेल कहीं खो नहीं जाएं इसलिए इन पारंपरिक खेलों को खोना नहीं है। उन्होंने इन खेलों को बढ़ावा देने के लिए इनके वीडियो और एनिमेशन भी बनाने की अपील की।
 
उन्होंने कहा कि पिछले महीने जब मैंने फिट इंडिया की बात की थी तो मुझे नहीं पता था कि इतना अच्छा रिस्पॉन्स आएगा। फिट इंडिया से आज हर कोई जुड़ रहा है। अभिनेता, जवान हों, टीचर हों, खिलाड़ी हों। मुझे खुशी है कि विराट कोहली ने मुझे चैलेंज किया है और मैंने भी उनके चैलेंज को स्वीकार किया है। ऐसा चैलेंज हमें फिट रखेगा।
 
उन्होंने कहा कि आने वाले 5 जून को हमारा देश विश्व पर्यावरण दिवस को होस्ट करेगा। जलवायु संरक्षण पर भारत बाकी देशों को लीड करेगा। वर्ल्ड एनवायरोनमेंट डे की वेबसाइट पर जाएं और उसे देखें। प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना, उसकी रक्षा करना हमारा संस्कार होना चाहिए। पिछले कुछ महीनों में हमने देखा कि आंधी-तूफान और गर्मी से जनहानि हुई। हमें प्रकृति के साथ सद्भाव से रहना है, जुड़कर रहना है।
 
उन्होंने कहा कि पूरा विश्व 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाता है। इन दिनों खबर मिल रही है कि योग दिवस को मनाने के लिए भरसक तैयारी चल रही है। योग करने से साहस पैदा होता है, जो हमारी रक्षा करता है। मानसिक शांति हमारी साथी बन जाती है। उन्होंने लोगों से योग की संस्कृति को आगे बढ़ाने की भी अपील की।