श्रद्धालुओं ने संगम पर लगाई डुबकी, बढ़े जलस्तर पर आस्था पड़ी भारी
इलाहाबाद। सदी के सबसे लंबे चन्द्र ग्रहण के बाद गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के तट पर बढ़ते जलस्तर के बावजूद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। चंद्र ग्रहण शुक्रवार रात 11 बजकर 54 मिनट से हुआ और शनिवार तड़के तीन बजकर 49 मिनट पर समाप्त हुआ।
शास्त्रों के अनुसार, चंद्रग्रहण से नौ घंटे पहले सूतक लग जाता है। सूतक शुक्रवार को अपराह्न दो बजकर 54 मिनट पर लग गया था। सूतक के बाद मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए थे। चन्द्र ग्रहण समाप्त होने पर मंदिरों की साफ-सफाई करने के बाद कपाट खुल गए और शंख ध्वनि और घंटे-घड़ियाल के बीच दर्शनार्थियों ने पूजा-अर्चना शुरू की।
संगम पर गंगा का जल स्तर के बढ़ने के बावजूद चंद्रग्रहण के बाद दारागंज स्थित प्रसिद्ध दशास्वमेघ घाट समेत कई घाटों पर स्नानार्थियों की भीड़ उमड़ पड़ी। दशास्वमेघ घाट पर स्नान करने पहुंचे क्षेत्र शिक्षक हरिशचन्द्र ने गुरु पूर्णिमा और दूसरा चंद्र ग्रहण को एक संयोग की संज्ञा दी है। स्नान के बाद श्रद्धालु गंगा तट पर बैठे भिक्षुकों को चावल, दाल, नमक, कपड़े, पैसे आदि का दान कर रहे हैं।
संगम तट समेत दशास्वमघ समेत घाटों पर दान लेने वालों की लम्बी कतार लगी है। संगम तट पर लेटे बड़े हनुमानजी, मनकामेश्वर, पंड़िला महादेव, तक्षकेश्वर आदि शिवालयों में दर्शनार्थियों की लम्बी कतार दिखी। शनिवार से श्रावण मास शुरू होने के कारण भी घाटों पर स्नानार्थियों की बड़ी भीड़ है। कांवडिए यहीं स्नान कर अपने आराध्य देव का जलाभिषेक करने के लिए समूहों में 'बोल बम, बोल बम' जयघोष करते हुए काशी के लिए निकल पड़े।
जल प्रभारी पुलिस निरीक्षक कड़ेदीन यादव ने बताया कि संगम में बढ़ते जल स्तर पर श्रद्धालुओं की आस्था भारी पड़ रही है। चन्द्र ग्रहण के बाद घाटों पर स्नानार्थियों की बड़ी तादाद में भीड़ है और श्रद्धालु नहाने के लिए बारी का इंतजार कर रहे हैं। सुरक्षा के लिए पुलिस, महिला जल पुलिस और गोताखोर घाट पर तैनात किए गए हैं। जल पुलिस के जवान गंगा में लगातार चक्रमण करने के साथ लोगों को आगे नहीं बढ़ने की हिदायत दे रहे हैं। घाट पर भीड़ को अधिक देर तक रूकने नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि स्नानार्थियों में स्थानीय लोगों की बहुतायत है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने बताया कि तड़के चार बजे संगम तट पर लेटे बड़े हनुमान का पट दर्शानार्थियों के पूजा-पाठ के लिए खोल दिया गया। चन्द्र ग्रहण के बाद गिरी और महामंत्री हरि गिरी महराज ने भोर में संगम तट पर स्नान किया।
निरंजनी अखाड़े के महंत आनंद गिरी ने बताया कि सबसे बड़ा चंद्र ग्रहण फलदायी है। ज्यादातर लोगों को उनके कुंडली के हिसाब से इसका प्रभाव देखने को मिलेगा। कुछ ग्रहों के लिए यह अच्छा है तो कुछ के लिए कष्टकारी। हालांकि पूजा-पाठ से कष्ट प्रभाव को कम किया जा सकता है। दरियाबाद (बड़ा शिवाला) स्थित तक्षक तीर्थ पीठाधीश्वर रविशंकर ने बताया कि मंदिर के कपाट दर्शनार्थियों के लिए प्रात: चार बजे से खोल दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि तक्षक तीर्थ की महत्ता का वर्णन पद्म पुराण पलालखण्ड से प्रयाग महात्म सता ध्याई के 82वें अध्याय में किया गया है। उन्होंने बताया कि तक्षक तीर्थ संपूर्ण सर्प जाति के स्वामी तक्षक का वर्णन मत्सय पुराण के सातवें अध्याय में वर्णित है।
गौरतलब है कि पृथ्वी, सूर्य की परिक्रमा लगाते हुए चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है और चंद्रमा पृथ्वी की छाया से छिप जाता है, तब पृथ्वी से चांद को देखने पर वह भाग काला दिखाई पड़ता है जिसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है। (वार्ता)