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Last Modified: मंगलवार, 26 मार्च 2019 (14:44 IST)

जेट एयरवेज : 26 साल में अर्श से फर्श पहुंचने की कहानी...

जेट एयरवेज : 26 साल में अर्श से फर्श पहुंचने की कहानी... - jet airways history
मुंबई। जेट एयरवेज को दूसरी बार आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है, लेकिन इस बार फाउंडर और चेयरमैन नरेश गोयल और पत्नी अनीता गोयल को बोर्ड से इस्तीफा देना पड़ा है। नरेश गोयल ने कहा है कि उनका कंपनी के निदेशक मंडल से हटने का फैसला यात्रा का अंत नहीं बल्कि एक बिल्कुल नए अध्याय की शुरुआत है। गोयल ने इस 26 साल पुरानी एयरलाइन के चेयरमैन का पद भी छोड़ दिया है। आओ जानते हैं जेट के अर्श से फर्श तक पहुंचने की कहानी।
 
 
12 नवंबर 2018 को जेट को तीसरी बार तिमाही नुकसान हुआ। 22 नवंबर को इंडिपेंडेंट डायरेक्टर रंजन मथाई ने इस्तीफा दे दिया। दिसंबर में जेट ने अपने पायलटों को अप्रैल तक उनकी बकाया सैलरी चुकाने का आश्वासन दिया। इसके बाद जनवरी 2019 में जेट ने बैंकों की ईएमआई नहीं भरी। कंपनी की रेटिंग गिरी। 14 फरवरी को जेट के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने फंडिंग पाते रहने के लिए बैंकों को सबसे बड़ा शेयर धारक बनाने का फैसला किया। 15 फरवरी को जेट ने शेयरधारकों से 84 करोड डॉलर (करीब 5,880 करोड़ रुपये) का बेलआउट पैकेज मांगा। 21 फरवरी को शेयर होल्डर्स ने कर्ज को इक्वटी में तब्दील करने की अनुमति दी। 19 मार्च को गोयल ने एतिहाद से प्रमोटर कन्ट्रिब्यूशन के रूप में 750 करोड़ रुपये मांगे। एतिहाद ने कहा कि अगर उसे प्रति शेयर 150 रुपए मिल जाए तो वह जेट के अपने सारे शेयर बेच देगी। 25 मार्च को गोयल को जेट एयरवेज के बोर्ड से इस्तीफा देना पड़ा।
 
 
1.नरेश गोयल पंजाब के पटियाला से 1967 में दिल्ली आए जहां उन्होंने ट्रैवल एजेंट की नौकरी की। पटियाला में उनका परिवार भयंकर आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। गोयल ने 1972 में अपनी ट्रेवल एजेंसी खोली और फिर 1991 में जेट की लॉन्चिंग की। 5 मई 1993 से इसने व्यावसायिक परिचालन प्रारंभ किया। लेकिन 2007 में एयर सहारा को खरीदने के फैसले ने उन्हें बड़ा झटका दिया और आज गोयल जेट से भी बाहर हो गए।
 
 
2.जेट एयरवेज 52 घरेलु तथा 21 अंतरराष्ट्रीय स्थलों के लिए अपनी सेवाएं प्रदान करता है। बताया जाता है कि बोइंग, एसटीआर, एयरबस आदि मिलाकर इसके बेड़े में कम से कम 100 विमान शामिल हैं।
 
 
3. जेट एयरवेज को कई पुरस्कार मिल चुके हैं। जिसमें 2006 में भारत का पॉपुलर डोमेस्टिक एयरलाइन, भारत की विमानन सेवा पुरूस्कार वर्ल्ड ट्रेवल अवार्ड्स और 2002 में बेस्ट टेक्निकल डिस्पेच रेलिबिलिटी अवार्ड्स शामिल है।
 
 
4.जेट को विदेशों के लिए उड़ाने भरने वाली एकमात्र कंपनी बनाने के लिए गोयल ने 2007 में एयर सहारा को 1,450 करोड़ रुपए में खरीद लिया। तब इस फैसलों को गोयल की गलती के तौर पर देखा गया। तब से कंपनी को वित्तीय मुश्किलों से सही मायने में कभी छुटकारा नहीं मिल पाया और कंपनी गर्त में जाती रही।
 
 
5.एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जेट एयरवेज 2012 में किंगफिशर एयरलाइन्स के बंद होने का फायदा नहीं उठा पाई जबकि इंडिगो ने यह मौका भुना लिया। 2014 में इंडिगो का मार्केट शेयर 27.4% था, जो अब 43.4% हो गया है। इस दौरान जेट एयरवेज 2014 में 19.9% मार्केट शेयर से फिसलकर अभी 10% पर आ गई है।
 
 
6.इसके बाद 2013 में आर्थिक संकट के वक्त जेट को अबू धाबी की एतिहाद एयरवेज को 24% शेयर बेचने पड़े थे।
 
 
7.घरेलू कॉम्पीटिशन के दबाव में 10 साल में जेट एयरवेज ने अपने बेड़े में विमानों की संख्या 81 से बढ़ाकर 119 कर दी। पिछले साल ब्रेंट क्रूड महंगा होने की वजह से एयरलाइन का हवाई ईंधन खर्च बढ़कर 6,953.25 करोड़ रुपए पहुंच गया। 2017 में यह 5,935.93 करोड़ रुपए था।
 
 
8.रुपया कमजोर होने से रखरखाव महंगा हुआ। 2018 में डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गया था। इससे जेट एयरवेज का विदेशी मुद्रा खर्च भी बढ़ा। दरअसल, हवाई ईंधन खरीदने के लिए और विदेशी लीजदाताओं को रकम चुकाने के लिए कंपनियों को डॉलर में भुगतान करना होता है।
 
 
9.2009 से 2012 के बीच जेट एयरवेज घरेलू की बजाय अंतरराष्ट्रीय विस्तार पर ज्यादा फोकस कर रही थी। इस बीच सस्ती हवाई सेवा वाली इंडिगो जेट की सबसे बड़ी कॉम्पीटिटर बन गई। 31 दिसंबर 2012 तक जेट एयरवेज पर 11,200 करोड़ रुपए का कर्ज था। मई 2013 में इसने 2,058 करोड़ रुपए में एतिहाद को 24% शेयर बेच दिए। इस रकम से जेट को कर्ज कम करने में मदद मिली।
 
 
10.एसबीआई के नेतृत्व वाला कर्जदाताओं का कंसोर्शियम जेट एयरवेज की 51% हिस्सेदारी लेकर एयरलाइन को 1,500 करोड़ रुपए की फंडिंग तुरंत मुहैया करवाने के लिए सहमत हो गया है। इसके बाद गोयल की हिस्सेदारी 51% से घटकर 25% और एतिहाद की 24% से घटकर 12% रह जाएगी।
 
 
11. एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार का कहना है कि बैंक अगले महीने जेट का नया निवेशक तलाशने के लिए बोलियां आमंत्रित करेगा और मई के आखिर तक निवेशक चुन लिया जाएगा। बोली में कोई वित्तीय निवेशक, एयरलाइन, नरेश गोयल खुद और एतिहाद एयरवेज भी हिस्सा ले सकते हैं।
 

एक नजर सफर पर-
1967- नरेश गोयल 18 वर्ष की उम्र में पटियाला से दिल्ली पहुंचे और चचेरे नाना की ट्रैवल एजेंसी में नौकरी की। 
1974- खुद की ट्रैवल एजेंसी खोली। बाद में इसका नाम जेट एयर रखा।
1993- दो विमानों, बोइंग 737 और बोइंग 300 के साथ जेट एयरवेज की लॉन्चिंग। तब जेट ने ऊंची उड़ान भरी जब ज्यादातर प्राइवेट कंपनियां दिवालिया होकर धराशायी हो रही थीं।
1990 के आखिरी दशक में जेट की फंडिंग को लेकर विवाद का सामना किया।
2002- जेट ने घरेलू एयरलाइंस मार्केट में इंडियन एयरलाइंस को पीछे छोड़ दिया।
2005- मार्च महीने में जेट की शेयर बाजार में लिस्टिंग कराई और कंपनी के 20% शेयर बेचे। 1,100 रुपये का शेयर 1,155 रुपये में लिस्ट हुए जिनसे गोयल को 8,000 करोड़ रुपये मिले।
2006- जनवरी में एयर सहारा को करीब 2,250 करोड़ रुपये में खरीदा। जेट को 27 विमान मिले जिनके दम पर उसे 12% मार्केट शेयर प्राप्त हुआ। कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भरनी शुरू कर दी।
2007- 16 अप्रैल को एयर सहारा का नाम बदलकर जेटलाइट कर दिया गया। इन्हें सस्ते टिकट पर फुल सर्विस एयरलाइन के तौर पर चलाया जाने लगा।
2008- अक्टूबर महीने में जेट ने अपने 13 हजार कर्मचारियों में से 1,900 की छंटनी कर दी। बाद में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के हस्तक्षेप पर इन्हें दोबारा नौकरी पर रखा गया।
2012- जुलाई महीने में जेट डोमेस्टिक मार्केट शेयर के मामले में इंडिगो से पिछड़ गई।
2013- नवंबर में यूएई के एतिहाद एयरलाइंस ने जेट का 24% शेयर खरीद लिया, गोयल के पास 51% हिस्सेदारी रही।

(एजेंसियां)
 
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