नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि विभिन्न सरकारी योजनाओं में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना का इस्तेमाल किए जाने के बाद सरकार को 57,000 करोड़ रुपए की बचत हुई। पहले यह राशि बिचौलियों की जेब में जाती थी। इसकी जानकारी सूचना प्रोद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दी। उन्होंने कहा कि मनरेगा जैसी कई योजनाओं को डीबीटी से जोड़ा गया है, जिसके जरिए पैसे सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जाते हैं।
डिजीटल हरियाणा सम्मेलन में रविशंकर प्रसाद ने कहा, हमने 57,000 करोड़ रुपए बचाए, जो कि इससे पहले बिचौलियों की जेब में जाता था। प्रसाद ने कहा कि ड्राइविंग लाइसेंस के साथ-साथ वाहन पंजीकरण को भी आधार से जोड़ने का प्रस्ताव है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी के भी द्वारा एक से अधिक लाइसेंस ना बनवाया जा सके।
आधार आंकड़ों की सुरक्षा को लेकर जारी बहस पर प्रसाद ने कहा कि आधार में बायोमेट्रिक जानकारी (अंगुलियों के निशान और आंखों की रेटिना की स्क्रीनिंग) एक इनक्रिप्टेड फॉर्म में संग्रहीत रहता है और यह बहुत सुरक्षित है।
उन्होंने कहा, अगर आप इसे देखेंगे तो यह एक कार्ड है, जिस पर मेरी तस्वीर है और लिखा है कि मैं पुरुष हूं। पीछे की तरफ पटना का मेरा स्थाई पता दिया गया है। इसमें कहीं पर भी अभिभावक का नाम, जाति, धर्म, शैक्षिक योग्यता, आय से जुड़ी जानकारी या स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ा नहीं दिया गया है। जिन चीजों द्वारा आपको पूरा ब्यौरा दिया जा सकता है, वह कोई भी आधार कार्ड में अंकित नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि आधार एक डिजीटल पहचान है जो कि बायोमैट्रिक जानकारियों की मदद से भौतिक पहचान की पुष्टि करता है। इस कार्यक्रम में रविशंकर प्रसाद के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी मौजूद रहे। सरकार ने हाल में संसद को बताया था कि फरवरी 2017 के अंत तक 84 योजनाओं के अंतर्गत 33 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को डीबीटी से जोड़ा गया है। (भाषा)