केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (एसईसीएमओएल) का एफसीआरए लाइसेंस “तत्काल प्रभाव” से रद्द कर दिया है। एक सरकारी आदेश में यह जानकारी दी गई। मंत्रालय की यह कार्रवाई संगठन के खातों में पाई गई कई कथित विसंगतियों पर आधारित थी, जिसमें स्वीडन से धन अंतरण भी शामिल था, जिसे मंत्रालय ने “राष्ट्रीय हित” के विरुद्ध पाया।
यह घटनाक्रम लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और लेह में बंद के दौरान सुरक्षाकर्मियों के बीच व्यापक झड़पों में चार लोगों की मौत के एक दिन बाद हुआ है। सरकार ने भीड़ की हिंसा के लिए वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है।
फोन पर संपर्क करने पर, वांगचुक ने पीटीआई को बताया कि वह संगठन के लिए सिर्फ एक दानदाता हैं और वहां पढ़ाते हैं। कार्यकर्ता ने यह भी कहा कि उन्हें एफसीआरए लाइसेंस रद्द होने की जानकारी नहीं है।
एसईसीएमओएल के अलावा, वांगचुक ने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (एचआईएएल) की भी स्थापना की थी, जो कथित विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन से संबंधित सीबीआई जांच का सामना कर रहा है।
आदेश में कहा गया है कि एसईसीएमओएल को सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रम चलाने के लिए विदेशी योगदान स्वीकार करने का लाइसेंस दिया गया था। गृह मंत्रालय ने इससे पहले एसईसीएमओएल को कारण बताओ नोटिस जारी कर संगठन के लेनदेन में पाई गई विभिन्न अनियमितताओं पर स्पष्टीकरण मांगा था।
आरोप लगाया गया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान वांगचुक ने अधिनियम की धारा 17 का उल्लंघन करते हुए एसोसिएशन के एफसीआरए खाते में 3.5 लाख रुपये जमा किए।
एसईसीएमओएल द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण के अनुसार, यह एफसीआरए निधि से 14 जुलाई 2015 को खरीदी गई पुरानी बस की बिक्री से प्राप्त रकम थी। इसमें कहा गया है कि दिशानिर्देशों के अनुसार, एफसीआरए के कोष से प्राप्त किसी भी परिसंपत्ति की बिक्री से प्राप्त राशि को केवल एफसीआरए के खाते में ही जमा किया जाना चाहिए।
मंत्रालय ने कहा कि यह राशि अधिनियम की धारा 17 का उल्लंघन करते हुए नकद प्राप्त की गई है, जिसका संगठन ने अपने जवाब में उचित रूप से खुलासा नहीं किया है।
बयान में कहा गया है, “इसके अलावा, एसोसिएशन द्वारा सोनम वांगचुक से एफसी दान के रूप में 3.35 लाख रुपये की राशि की जानकारी दी गई है। हालांकि, यह लेनदेन एफसीआरए खाते में नहीं दिखाया गया है, जो अधिनियम की धारा 18 का उल्लंघन है।”
मंत्रालय ने संगठन के एफसीआरए खातों में 54,600 रुपये की स्थानीय निधियों के अंतरण पर भी रोक लगा दी, जिसके बारे में संगठन ने दावा किया कि यह एक गलती थी।
विभिन्न कार्यशालाओं और प्रशिक्षणों के माध्यम से प्रवासन, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, खाद्य सुरक्षा और संप्रभुता तथा जैविक खेती जैसे मुद्दों पर युवाओं के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए स्वीडन से लगभग 4.93 लाख रुपये का विदेशी योगदान भी मंत्रालय की जांच के दायरे में है।
एसईसीएमओएल के इस तर्क को खारिज करते हुए कि धनराशि का उपयोग संगठन के उद्देश्यों के अनुरूप केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया गया था, मंत्रालय ने कहा है कि विदेशी योगदान को राष्ट्र की संप्रभुता पर अध्ययन के लिए स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि यह “राष्ट्रीय हितों” के विरुद्ध है।
संगठन के खातों में कई अन्य विसंगतियों का हवाला देते हुए गृह मंत्रालय ने गुरुवार को जारी अपने आदेश में कहा कि वह एफसीआरए की धारा 14 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए संगठन को दिए गए लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से रद्द करता है। इससे पहले दिन में वांगचुक ने आरोप लगाया था कि सरकार उन्हें जेल में डालने के लिए उनके खिलाफ मामला बना रही है।
लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कार्यकर्ता ने अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि मैं देख रहा हूं कि वे मुझ पर जन सुरक्षा अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने और मुझे दो साल के लिए जेल में डालने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि मैं इसके लिए तैयार हूं, लेकिन सोनम वांगचुक को आजाद छोड़ने से कहीं ज्यादा समस्याएं उन्हें सोनम वांगचुक को जेल में रखने से हो सकती हैं।” इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma