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Last Modified: शनिवार, 27 सितम्बर 2025 (20:29 IST)

कर्फ्यूग्रस्त लद्दाख में फंस गई हूं, मैंडी ने कहा- यह किसी बुरे सपने से कम नहीं

प्रशासनिक अधिकारियों के व्यवहार को लेकर जताई नाराजगी

Violence in Leh
Violence in Leh: लद्दाख के सुंदर परिदृश्यों को निहारने के लिए एक सप्ताह की छुट्टी बुधवार को कर्फ्यू लागू होने के बाद कई पर्यटकों के लिए अनिश्चितता के दिनों में बदल गई। बृहस्पतिवार को शहर पहुंची ऑस्ट्रेलियाई पर्यटक अमांडा वी. वारवॉक्स ने कहा कि वह होटल तक ही सीमित रह गईं तथा उन्होंने सरकार की ओर से ‘सूचना के अभाव’ को लेकर निराशा जताई।
 
‘लेह एपेक्स बॉडी’ (एलएबी) की युवा शाखा द्वारा आहूत बंद के दौरान बुधवार को लेह शहर में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। बंद का उद्देश्य राज्य का दर्जा और क्षेत्र में संविधान की छठी अनुसूची के विस्तार की प्राथमिक मांग के संबंध में केंद्र और लद्दाख प्रतिनिधियों के बीच वार्ता को आगे बढ़ाने पर दबाव बनाना था। गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए थे। पुलिस और अर्धसैनिक बलों को उग्र भीड़ के बीच स्थिति को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष करना पड़ा, जिन्होंने भाजपा कार्यालय को निशाना बनाकर आगजनी और पथराव किया।
 
यह किसी बुरे सपने से कम नहीं : वारवॉक्स को उनके उपनाम मैंडी से भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि यह किसी बुरे सपने से कम नहीं है...हमने यहां रहने के दौरान विभिन्न स्थानों की यात्रा की योजना बनाई है, लेकिन प्रशासन आगे नहीं आ रहा है। हमने पैंगोंग झील की यात्रा के लिए भुगतान कर दिया है और परमिट भी प्राप्त कर लिया है, लेकिन वे हमें अनुमति नहीं दे रहे हैं, यह कहते हुए कि पर्ची पर हस्ताक्षर नहीं हैं।
 
दिल्ली-एनसीआर में एक निजी बैंक में काम करने वाले भारतीय नागरिक अनुज हांडू के साथ आईं वारवॉक्स ने कहा कि अधिकारियों की ओर से स्पष्ट संवाद की कमी निराशाजनक है और उन्होंने सरकार से स्पष्टीकरण देने का आग्रह किया ताकि पर्यटक यह निर्णय ले सकें कि उन्हें यहां रुकना है या अपनी यात्रा को छोटा करना है।
 
हमें मजबूर किया गया : वारवॉक्स ने कहा कि समस्या केवल उस कस्बे में है, जहां हमें रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। अन्य स्थानों पर कोई समस्या नहीं है, लेकिन वे हमें कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं। पर्यटक ने कहा कि वह भारत में कई जगहों पर घूम चुकी हैं और लद्दाख घूमने की उनकी लंबे समय से इच्छा थी।
 
उन्होंने कहा कि होटल के कर्मचारी भी अपने मेहमानों के बारे में चिंतित हैं, क्योंकि सुरक्षा लॉकडाउन के कारण उनके पास आवश्यक सामान की कमी हो रही है। हांडू ने कहा कि वे पिछले दो दिनों से पैंगोंग झील जाने के लिए परमिट पर्ची पर अधिकारी के हस्ताक्षर लेने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कर्फ्यू के कारण सफल नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि हम दो अक्टूबर को वापस लौट रहे हैं और चाहते हैं कि सरकार पर्यटकों की सुचारु आवाजाही के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करे। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
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