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Last Updated :नई दिल्ली , बुधवार, 20 सितम्बर 2023 (18:28 IST)

कनाडा के साथ राजनयिक विवाद का क्‍या सैन्य संबंधों पर पड़ेगा असर, सेना अधिकारी ने दिया यह बयान...

कनाडा के साथ राजनयिक विवाद का क्‍या सैन्य संबंधों पर पड़ेगा असर, सेना अधिकारी ने दिया यह बयान... - Army officer's statement regarding diplomatic dispute with Canada
India-Canada diplomatic dispute : कनाडा और भारत के बीच हालिया राजनयिक विवाद का असर कनाडा की सेना के साथ संबंधों पर नहीं पड़ेगा और वह अगले सप्ताह हिंद-प्रशांत देशों के सेना प्रमुखों की दिल्ली में होने वाली बैठक में हिस्सा लेगी। भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
 
भारतीय सेना 26 और 27 सितंबर को इस संगोष्ठी की मेजबानी कर रही है जिसका उद्देश्य चीन की इलाके में बढ़ती सैन्य आक्रामकता की पृष्ठभूमि में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए साझा रणनीति बनाना है।
 
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी अलगावादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की जून में हुई हत्या में ‘संभावित’ तौर पर भारतीय एजेंट के शामिल होने के आरोप के बाद दोनों देशों के राजनयिक संबंधों में और तनाव पैदा हो गया है।
 
भारत ने मंगलवार को कनाडा के आरोपों को खारिज करते हुए उसे ‘बकवास’ और ‘निहित स्वार्थों से प्रेरित’ करार दिया और भारतीय राजनयिक को निष्कासित करने के जवाब में कनाड़ा के भी एक वरिष्ठ राजनयिक को देश से निष्कासित कर दिया। थलसेना मुख्यालय में रणनीतिक योजना के अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल अभिन्य राय ने कहा, इसका असर नहीं पड़ेगा। कनाडा के सेना प्रमुख यहां आ रहे हैं, उनका प्रतिनिधिमंडल यहां आ रहा है।
 
उन्होंने कहा, जब हम अपने कुछ पड़ोसी देशों के साथ ऐसे संबंधों को देखते हैं, जहां पर गतिरोध बने रहने की आशंका होती है, वहां प्रत्‍येक स्तर पर संपर्क बना रहता है, फिर चाहे सैन्य स्तर पर हो या राजनयिक स्तर पर और मैं यहां प्रत्यक्ष रूप से चीन का संदर्भ दे रहा हूं।
 
मेजर जनरल राय का मानना है कि भारत के कनाड़ा के साथ राजनयिक और सैन्य संबंध प्रभावित नहीं होंगे। कनाडा के सैन्य अधिकारियों ने भी जोर दिया है कि राजनयिक विवाद का असर कनाडा और भारत के रक्षा संबंधों पर नहीं पड़ेगा।
 
अधिकारियों ने बताया कि 22 देशों के 15 सेनाध्यक्ष और प्रतिनिधिमंडल 26 और 27 सितंबर को दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस सम्मेलन की सह मेजबानी अमेरिकी सेना कर रही है। हिंद-प्रशांत सेनाध्यक्ष संगोष्ठी (आईपीएसीसी) में विभिन्न संकटों के समाधान में सैन्य कूटनीति की भूमिका पर चर्चा की जाएगी। साथ ही क्षेत्र के सैन्य बलों के बीच सहयोग और पारस्परिकता को भी बढ़ावा देने पर चर्चा की जाएगी।
 
उप सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार ने कहा कि यह आयोजन साझा दृष्टिकोण के प्रति सामान्य नीति बनाने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा और यह दुर्जेय और अमिट ‘सैनिक संबंध’ के माध्यम से दोस्ती को मजबूत करने में मदद करेगा।
 
आईपीएसीसी द्विवार्षिक आयोजन है जिसकी शुरुआत 1999 में की गई थी। इसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के सेना प्रमुख हिस्सा लेते हैं और आपसी हितों पर चर्चा करते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा, संगोष्ठी का मौजूदा सत्र बहुत खास होगा क्योंकि इसमें 22 देशों के सेना प्रमुख से लेकर गैर कमीशन तक विभिन्न पदों के सैन्य अधिकारी और उनके जीवनसाथी हिस्सा लेंगे।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)