शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. नागपंचमी
  4. Nagpanchami Special
Written By
Last Updated : मंगलवार, 2 अगस्त 2022 (12:22 IST)

क्यों नहीं करते हैं जिंदा नाग की पूजा, कैसे लगता है पाप?

nag dev
Nag Panchami 2022: 2 अगस्त 2022 मंगलवार को नागपंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। कई सपेरे जिंदा नाग को पकड़कर पिटारी में बंद करके घर-घर ले जाते हैं ताकि लोग नाग की पूजा कर सके। लेकिन जो लोग अपने अच्‍छे के लिए नाग की पूजा कर रहे हैं उन्हें यह भी जानना होगा कि इससे उनका अच्छा नहीं बल्कि बुरा होने वाला है।

 
क्यों नहीं करना चाहिए जिंदा नाग की पूजा?
1. जानकार लोग कहते हैं कि सांप या नाग के लिए दूध जहर समान होता है जिसके चलते कुछ दिनों बाद उनकी मृत्यु हो जाती है। अत: पिटारी के नाग की पूजा करना नागों के उपर अत्याचार माना जाता है।
 
2. सपेरे जब पिटारी में नाग को बंद करके लाते हैं तो वे नाग के दांत और विषग्रंथी को उन्हें बिना बेहोश किए निकालते हैं जिससे नाग को बहुत पीड़ा होती है। 
 
3. नागों की पलकें नहीं होती है, उनके उपर दूध, रोली, हल्दी, फूल आदि चढ़ाने से उन्हें पीड़ा पहुंचती है।
 
4. नाग दूध नहीं पीते हैं। उनकी नाक दूध में डुबोने से सांस नहीं ले पाती है। इस प्रक्रिया में दूध उनके फेंफड़ों में चला जाता है।
 
5. उनके शरीर पर दूध डालने से उनकी त्वचा खराब होकर दुर्गंध देने लगती है। बाद में जंगल में छोड़े जाने के बाद वे तड़फ-तड़फ कर मर जाते हैं।
फिर किस नाग की करें पूजा?
1. नाग प्रतिमा, चित्र, आटे, पीतल, तांबे, रस्सी या चांदी के बने नाग की पूजा ही करें।
 
2. नाग की पूजा शिवजी के साथ ही उस जगह होती है जहां पर पहले से स्थापित प्राण प्रतिष्ठित किया हुआ शिवलिंग हो। पिटारी में नाग पूजा शास्त्र सम्मत नहीं है।
 
3. नागपंचमी की पूजा यदि घर पर की जा रही है तो चांदी ने नाग जोड़ों की, पीतल या तांबे के नाग की शिवजी के साथ पूजा की जाती है। 
 
4. इस दिन चांदी के नाग नागिन की पूजा का खास प्रचलन है। चांदी के नाग- नागिन न हो तो एक बड़ी-सी रस्सी में सात गांठें लगाकर उसे सर्प रूप में पूजते हैं।
 
5. किसी नाग मंदिर में नागदेव की पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है। कई लोग नाग की बांबी की पूजा भी करते हैं उसे भी उचित नहीं माना जाता है।
ये भी पढ़ें
नागपंचमी विशेष : नाग पूजन की सरल विधि और 3 चमत्कारी पौराणिक मंत्र