नया साल.. दहलीज पर आ खड़ा हुआ है, पुराना जा रहा है... जाते हुए 2021 के साथ दिख रहे हैं हमें कुछ चेहरे जो अब कभी नहीं दिखेंगे, कुछ हंसी जो कभी सुनाई नहीं देगी....एक कड़वा समय था जो आया और जा रहा है लेकिन इसी साल हमने मानवता भी तो देखी, इसी साल हमने मदद के लिए उठते बढ़ते थामते कांपते हाथ भी तो देखे, इसी साल हमने जाना कि रिश्ते कितने जरूरी है, दोस्ती कितनी कीमती है, साथ कितना अनमोल है....जीवन की क्या महत्ता है, सांसें कितनी अहमियत रखती हैं.... इसी साल हम लौटे हैं अपने पास, अपने अपनों के पास....
सलोना साल 2022 अंगड़ाई ले रहा है। आशाओं की मासूम किलकारियां गूंज उठी हैं। शुभ संकल्पों की मीठी खनकती हंसी साल 2022 के सुशोभन चेहरे पर खिल उठी है। मानव स्वभाव ही ऐसा है, आता हुआ, नया-नवेला, ताजगी और उत्साह से परिपूर्ण अनजाना हमेशा सुहाता है, आकर्षित करता है। और जाता हुआ, देखा-समझा, जांचा-परखा, पुराना उदासीनता को जन्म देता है।
उदासीनता न सही पर जो जिज्ञासा और मोह नए के प्रति होता है, पुराने के साथ नहीं रह पाता। बीता वर्ष चाहे कितनी ही खूबसूरत सौगातें सौंप जाए, लेकिन लोभी मन कभी संतुष्ट नहीं होता। आने वाले वर्ष के लिए कहीं अधिक खूबसूरती के सपने अनजाने ही शहदीया आंखों में सजने लगते हैं।
कितना सुखद लग रहा है नूतन वर्ष को निहारना, उत्सुकतावश ताकना!
ह्रदय में तरंगित हो रहा है यह भोला प्रश्न- 'क्या लाए हो मेरे लिए?'
और कोरोना की दहशत से कसमसाते ह्रदय में ही कुनमुना रहा एक घबराया प्रश्न- 'पता नहीं क्या लाए हो मेरे लिए?'
उत्सुकता एक ही है पर स्वरूप भिन्न है। एक उत्साह से भरपूर कि क्या लाए हो मेरे लिए और दूसरा आशंका में डूबा कि पता नहीं.....?
लेकिन मानव कितनी ही विषम परिस्थितियों में रहे, कितनी ही विभीषिका झेल लें, पर उसका भोलापन अमिट है। इसीलिए आंधी और अंधकार से घिरी विचार श्रृंखला के बीच भी दिल की बगिया के कहीं किसी कोने में विश्वास की एक गुलाबी, नाजुक कोंपल फूट ही पड़ती है। कहीं कोई आशा की हरी दूब लहलहा उठती है...
-कौन जाने इस नए वर्ष में आकांक्षा पूरी हो जाए। नया जॉब मिल जाए। शायद बिटिया दुल्हन बन जाए। एक अदद आशियाना खड़ा हो जाए। बच्चों के परीक्षा परिणाम अपेक्षानुरूप आ जाएं, कोई हमसफर मिल जाए। प्रमोशन हो जाए। या फिर कोई नन्हा, गुदगुदा 'खिलौना' मुस्करा उठे। कितनी-कितनी तमन्नाएं, कितने-कितने अरमान! हर दिल की ख्वाहिश कि नए बरस में कोई ऐसी खुशी मिल जाए जिसे बरसों से बस दिल में ही संजोकर रखा है। कभी व्यक्त नहीं किया है।
कितने भावपूर्ण, मोहक, मधुर और सुवासित सपने हैं! नया वर्ष इसीलिए तो आता है, अपने अंतर में निहित सुंदर सपने, आकांक्षाएं और कल्पनाएं पुन: याद करने के लिए। उन्हें साकार करने के लिए मन में एक नवीन ऊर्जा का विस्फोट करने के लिए।
पिछले साल हमने कोरोना का महाविनाश देखा। सांसारिकता के न जाने कितने कसैले घूंट पीए। कोरोना के कड़वे असर से प्रियजनों को हमेशा-हमेशा के लिए बिछुड़ते देखा, कभी विश्वास चटके, कभी आकर्षक भ्रम चकनाचूर हुए। कभी संबंधों ने दरककर दम तोड़ा। कभी अपनों के आवरण में लिपटे परायों का परिचय हुआ।
ऐसे ही उलझे हुए ताने-बाने में दिल के दरवाजे पर हताशा के हथौड़े ने दस्तक दी।
'क्यों? क्यों हो रहा है ऐसा सिर्फ मेरे ही साथ?
मन में आया जैसे वर्ष मनहूस है। शायद नया वर्ष सुकून से गुजरे।
किन्तु वर्ष को मनहूस कहा जाना कहां तक उचित है? वर्ष मनहूस नहीं था, मनहूसियत तो इस मानव सभ्यता ने खुद बुलाई है प्रकृति का दोहन कर, अपनी जीवन शैली को विकृत कर विनाश की कगार पर खुद हमने अपने आपको खड़ा किया है।
जीवन के समंदर में उतरे हैं तो तूफान के थपेड़े तो सहने ही होंगे। मचलती लहरों के तड़ातड़ पड़ते ये थपेड़े सिर्फ आप पर ही नहीं पड़ते, बल्कि हर उस शख्स को पड़ते हैं जो समंदर में आपकी ही तरह किनारा पकड़ने की जद्दोजहद में है। यह भी उतना ही सच है जिसने लहरों के उतार-चढ़ाव और ज्वार-भाटे को समझ लिया और उसके अनुरूप अपनी रणनीति बनाई उसी ने उपलब्धियों के चमकते धवल मोती को जीवन के महासिंधु से समेटा है।
नया वर्ष आया है हमसे कहने कि हम झांकें अपने भीतर पूरी गहराई से, पूरी शिद्दत से और देखें कि क्या रह गया है हमारे अंदर जो अधूरा है, अपूर्ण है, अवरुद्ध है।
हम न सिर्फ अपने लिए, बल्कि अपने देश के लिए भी सोचें कि बीते साल में सेहत, सुरक्षा, संकल्प और साहस की दृष्टि से हम कहां, किन-किन जगहों पर कमजोर रह गए हैं।
नए साल में लड़ें हम अपनी ही कमजोरियों से। अपनी कमियों से... संकट और चुनौतियां हमारी आशा और विश्वास से बढ़कर नहीं है। इनके आकार बड़े हो सकते हैं, लेकिन गहराई तो विश्वास एवं आशा में ही होती है।
जीत हमेशा गहराई की होती है। बीते साल की उदासी पर भारी हो हमारे उत्साह की सवारी...नूतन वर्ष में गहरे शुभ मजबूत संकल्पों के साथ हम सब स्वास्थ्य और समृद्धि का सतरंगी इन्द्रधनुष रचें, यही कामना है!