• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. विधानसभा चुनाव 2018
  3. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018
  4. RSS in ground before madhya pradesh election
Written By वृजेन्द्रसिंह झाला

मध्यप्रदेश चुनाव से पहले RSS ने मैदान संभाला

मध्यप्रदेश चुनाव से पहले RSS ने मैदान संभाला - RSS in ground before madhya pradesh election
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने मैदान संभाल लिया है। इसके लिए संघ ने लोगों के घरों में दस्तक देना शुरू कर दिया है। वैसे भी राज्य में चुनाव को बहुत ज्यादा समय नहीं बचा है। हालांकि संघ के इस अभियान का उद्देश्य चुनाव से इतर सामाजिक समरसता बताया जा रहा है।
 
गौरतलब है कि पिछले दिनों की रिपोर्टों के मुताबिक मध्य क्षेत्र के मालवा, महाकौशल और मध्य भारत प्रांत के संघ पदाधिकारियों को ऐसे संभावित प्रत्याशियों की तलाश करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जो आगामी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर सकें। वहीं संघ के एक सर्वे में भी भाजपा की स्थिति पिछली बार की तुलना में कमजोर बताई गई थी। 
 
संघ के इस पत्रक को एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के बाद केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ उपजे विरोध के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस पत्रक का शीर्षक है 'एकात्मता अभियान : हिन्दव: सोदरा: सर्वे' अर्थात सभी हिन्दू सहोदर यानी भाई हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि एक्ट में संशोधन के बाद एससी-एसटी और सवर्ण समाज के बीच खाई और चौड़ी हुई है। ऐसे में संघ की इस कोशिश को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 
 
इसमें भी कोई संशय नहीं कि यदि हिन्दू समाज एकजुट होगा तो इसका सीधा फायदा भाजपा को ही होना है। संघ ने पत्रक में समाज में हिन्दुत्व को लेकर भ्रम फैलाने वालों और विखंडन की राजनीति करने वालों को 'दीमक' की उपमा दी है। इस संबंध में लोगों को सचेत करते हुए कहा गया है कि लोहे की मजबूत बागड़ भी उस वृक्ष की रक्षा नहीं कर सकती जिसकी जड़ों को दीमक खा रही हो। 
 
कांग्रेस और वामपंथ पर निशाना : संघ के पर्चे में परोक्ष रूप से कांग्रेस और वामपंथ पर निशाना साधा गया है। इसमें कहा गया है कि किस तरह राम और कृष्ण को काल्पनिक पात्र बताया जाता है और आर्यों को विदेशी। इसमें किसान आंदोलन, पत्थलगढ़ी, नक्सलवाद की भी आलोचना की गई है। 
 
इसमें बताया गया है कि किस तरह भारत तोड़ने की मंशा रखने वाले लोग भारत तेरे टुकड़े होंगे, कश्मीर मांगे आजादी जैसे नारे दिल्ली और हैदराबाद के विश्वविद्यालय में लगाते हैं। इसमें हिन्दू आतंकवाद और हिन्दू तालिबान जैसे शब्दों पर कड़ी आपत्ति जताई गई है।  सोशल मीडिया पर विध्वंसकारी पोस्टों के लाइक और शेयरों पर भी चिंता जताई गई है। 
 
इसमें बताया गया है कि किस तरह बाहरी शक्तियां मुट्‍ठीभर आंतरिक लोगों के सहयोग से भारत को खंडित करने की साजिश रच रही  हैं। इसमें एक संभावित नक्शा भी दर्शाया गया है, जिसमें भारत को विभिन्न टुकड़ों में दिखाया गया है। इसमें बताया गया है कि किस तरह जेहाद के नाम पर दंगे और आतंकवाद जारी है, किस तरह ईसाई मिशनरियां लोगों को बहला फुसलाकर धर्मांतरण कर देश की जड़ों को खोखला करने का काम कर रही हैं। इसमें वामपंथ को लेकर भी लोगों को चेताया गया है कि किस तरह वह चीन की प्रेरणा से भारत की आस्थाओं और एकात्मता को खंडित करने की साजिश कर रहा है। 
 
कौन है देश तोड़ो गैंग : पत्रक में जिग्नेश मेवाणी, हार्दिक पटेल, उमर खालिद और कन्हैया कुमार को इस देश तोड़ों गैंग करार दिया गया है। इसके पक्ष में तर्क भी दिया गया है कि भीमा कोरेगांव की घटना से पहले दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और कश्मीरी अलगाववादी उमर खालिद का एक मंच पर होना षड्‍यंत्र की ओर ही इशारा करता है। इसमें कहा गया है कि सीमा पर हमारे जवान मुस्तैदी से लड़ रहे हैं, लेकिन देश के भीतर बैठे पत्थरबाजों के समर्थकों से कौन लड़ेगा।