अब पता चला, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तो पंडित हैं...
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जाति और धर्म को लेकर समय-समय पर बातें सामने आती रहती हैं। कभी उन्हें ईसाई बताया जाता है तो कभी उन्हें पारसी। लेकिन, राहुल गांधी महज 10 दिन के अंतराल में 'शिवभक्त' के साथ अब रामभक्त' भी हो गए हैं।
पिछले कुछ दिनों से राहुल गांधी के अंदर का 'हिन्दुत्व' जमकर हिलोरें ले रहा है। हालांकि गुजरात चुनाव के दौरान उनके समर्थक उन्हें जनेऊधारी हिन्दू बता चुके हैं। इसके साथ ही विभिन्न मंदिरों की परिक्रमा कर राहुल स्वयं को शिवभक्त बता चुके हैं। हाल ही कैलास मानसरोवर यात्रा कर राहुल ने खुद को एक बार फिर परम शिवभक्त बताने की कोशिश की है। हालांकि यह भी सही है कि धर्म और आस्था व्यक्ति का निहायत निजी मामला होता है।
अब तो राहुल गांधी 'रामभक्त' भी हो गए। गुरुवार को मध्यप्रदेश यात्रा के दौरान चित्रकूट में भगवान राम की तपस्थली जाकर खुद को रामभक्त भी घोषित करने की पुरजोर कोशिश की है। राहुल के समर्थकों ने पोस्टर लगाकर इस पर अपनी मुहर भी लगा दी है।
दरअसल, चित्रकूट विधानसभा के कांग्रेस नेताओं ने राहुल के आगमन से पहले एक पोस्टर लगाया है, जिसमें राहुल को 'रामभक्त पंडित राहुल गांधी' बताया गया है। पोस्टर में लिखा गया है कि भगवान श्री राम राजाजी की तपोभूमि पर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामभक्त पं. राहुल गांधीजी का स्वागत, वंदन, अभिनंदन।
राहुल के रामभक्त बनने के बाद भाजपा की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है, क्योंकि जब राहुल शिवभक्त बने थे तो गुजरात छिनते-छिनते बचा। अब कांग्रेस अध्यक्ष रामभक्त बन गए हैं, ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि मध्यप्रदेश भाजपा के हाथ से निकल जाए।
तू-तू मैं-मैं भी शुरू : भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि राहुल हिन्दू, गैर हिन्दू, जनेऊधारी हिन्दू और अब कभी शिवभक्त और कभी रामभक्त, वोट के लिए ना जाने कितने रूप धरेंगे। उन्होंने कहा कि 'बहरूपिये' राहुल गांधी को समझना चाहिए कि ये 2018 का भारत है और उनके खानदान के ये दांव अब पुराने हो गए हैं।
वहीं कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि धर्म निजी आस्था का प्रश्न है, हिन्दू धर्म में हजारों देवी-देवताओं का अस्तित्व है और ऐसे में कौन किसकी भक्ति करता है, ये उसकी आस्था है। भाजपा के वोट बैंक की राजनीति के लिए इस प्रकार के रूप धरने संबंधित आरोपों पर गुप्ता ने कहा कि भाजपा अधार्मिक सोच वाली पार्टी है। इसलिए वह अध्यात्म को लेकर भी ओछी सोच प्रदर्शित कर रही है।