मध्यप्रदेश में बागियों ने बढ़ाई भाजपा और कांग्रेस की मुसीबत
भोपाल। मध्यप्रदेश में शुक्रवार को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख के पहले प्रदेश के कई हिस्सों में दोनों दलों में बगावत के सुर मजबूत हो गए हैं।
प्रदेश में जिन आला नेताओं की अपने दलों से बगावत के मामले सबसे ज्यादा सुर्खियों में है, उनमें प्रमुख नाम स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे भाजपा के पूर्व सांसद और विधायक सरताजसिंह का है। भाजपा द्वारा सिवनी-मालवा से टिकट नहीं दिए जाने से नाराज सिंह गुरुवार को विधिवत कांग्रेस में शामिल हो गए।
सिंह को कांग्रेस ने होशंगाबाद सीट से भाजपा के दिग्गज नेता और विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीतासरन शर्मा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है। सिंह शिवराजसिंह चौहान मंत्रिमंडल में भी शामिल थे, लेकिन दो साल पहले उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था।
कांग्रेस के आला नेताओं के सुर भी टिकट वितरण से असंतुष्ट होकर बागी हो रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी ने गुरुवार को अपने पुत्र नितिन चतुर्वेदी को छतरपुर जिले की राजनगर सीट से समाजवादी पार्टी से पर्चा भरवा दिया। सिंह लंबे समय से अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने इस बार उनके पुत्र की जगह उनके भाई को टिकट दे दिया था।
वहीं पूर्व भाजपा सांसद जितेंद्रसिंह बुंदेला इसी जिले की महाराजपुर विधानसभा से टिकट न दिए जाने से नाराज होकर समानता दल से चुनाव लड़ रहे हैं। राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम बुंदेलखंड के छतरपुर जिले की छह में से पांच विधानसभाओं में दोनों दलों में बगावत हो रही है।
छतरपुर की ही राजनगर सीट से टिकट मांग रहे भाजपा के दो बार के सांसद और पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया ने भी बगावती सुर अपनाते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। (वार्ता)