पिता की मौत के बाद मां ने साथ छोड़ा और पत्नी भी छोड़कर चली गई, लेकिन हार नहीं मानी और बन गया महान वैज्ञानिक
यह कहानी है उस बालक की जिसने दुनिया को विज्ञान का एक नया सिद्धांत दिया। इनकी कहानी को पढ़कर ऐसा लगता है कि यह कैसे संभव हो सकता है कि जो बच्चा इतने संघर्ष में जिया वह कैसे एक महान वैज्ञानिक बन गया?
दरअसल, इस बच्चे का जन्म प्रीमेच्योर हुआ था। मतलब समय के पूर्व ही उसका जन्म हुआ था। जन्म के समय बच्चा बहुत कमजोर था। इस बच्चे के जन्म के मात्र 3 माह बाद ही उसके पिता का देहांत हो गया। पिता के देहांत के मात्र 3 वर्ष बाद ही बच्चे की मां ने दूसरा विवाह कर लिया। ऐसे में उस बच्चे को उसके नानी ने पालन-पोषण किया। जब वह बच्चा थोड़ा बड़ा हुआ तो वह अपने सौतेले पिता और सगी मां को इसलिए पसंद नहीं करता था क्योंकि उन्होंने कभी उसकी परवाह नहीं की।
एक गांव के स्कूल में बच्चा पढ़ने जाता था। जब वह 15 वर्ष का हुआ तो उसके सौतेले पिता का देहांत हो गया। ऐसे में बच्चे की मां वापस आ गई और उसने अपने ही बच्चे की पढ़ाई छुड़वाकर उसे खेत में कार्य करने को कहा ताकि कुछ आमदनी हो सके। लेकिन बच्चे को खेत में काम करना पसन्द नहीं था। ऐसे में उसके एक अध्यापक ने यह जानकर उसकी सहायता की कि बच्चे में पढ़ने की लगन है। वह पुन: स्कूल जाने लगा।
इतने संघर्षमय जीवन के बाद भी यह आश्चर्य है कि उसे एक लड़की से प्यार हो गया तब उसकी उम्र मात्र 19 वर्ष की थी। उसने उससे शादी कर ली, लेकिन बहुत जल्दी ही वह लड़की उसे छोड़कर चली गई। अब वह फिर से अकेला था। इसके बाद उस लड़के ने कभी शादी नहीं की।
आप सोच सकते हैं कि जन्म से ही दुर्भाग्यशाली उस बच्चे को जीवन में हर क्षेत्र में विषमताओं का सामना करना पड़ा। लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी और वह पढ़ाई में आगे बढ़ता ही गया। आप जानना चाहते होंगे कि आखिर उसका नाम क्या है। उसका नाम है- आइज़क न्यूटन। जी हां, जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की थी। वे एक महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक थे।