अमलनेर में मंगल ग्रह का बहुत ही प्राचीन और जागृत मंदिर, मंगलवार को लगता है भक्तों का मेला
अमलनेर। महाराष्ट्र के जलगांव जिले के अमलनेर तालुका में स्थित श्री मंगल ग्रह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यहां का मंदिर बहुत प्राचीन, दुर्लभ और अत्यधिक जागृत मंदिरों में से एक है। मांगलिक हैं, तो विवाह में आती है बाधा। रेतीली खेती से जुड़ा व्यवसाय करते हैं, आर्किटेक्ट इंजीनियर बिल्डर हैं तो ये हैं आपके पूज्य देवता मंगल ग्रह के मंदिर में एक बार जरूर जाएं क्योंकि माना जाता है कि यहां अभिषेक करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मंगल के 21 नाम हैं। एक ऐसा नाम जो सभी रोगों से रक्षा करता है, सर्वरोगपहारकाय, यह रोग मुक्त और भयमुक्त देवता के देवता हैं। यह ऐश्वर्य के देवता हैं। इस कारण यहां आना जरूरी है। भक्तों का मानना है कि यहां अभिषेक करने से उन्हें दर्शन का लाभ मिलेगा, यही भक्तों का हित है। इस स्थान के दर्शन करने के बाद भक्तों को बहुत ही सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है और उनकी सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं।
मंदिर परिसर 15 एकड़ में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में स्थित तुलसाई बाग, नवकार कुटिया, रोटरी गार्डन यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मनोहारी वातावरण आकर्षण का केंद्र बन जाता है। इतना ही नहीं, विश्व में श्री स्वामी समर्थ महाराज की एकमात्र प्रतिमा यहां पर है। उनके गले में मंगल ग्रह का लॉकेट है। उनका यह चित्र पुणे के प्रसिद्ध चित्रकार शेखर साने ने बनाया है।
मंदिर में हर दिन हजारों की संख्या में भक्त मन में इच्छाएं और आकांक्षाएं लेकर आते हैं। मंगलवार को श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती है। मंगलवार को आने वाले भक्तों के लिए महाप्रसाद का भी आयोजन किया जाता है।
यह मंदिर भूमि माता, पंचमुखी हनुमान और मंगल ग्रह वाला भारत का एकमात्र मंदिर है जलगांव से 55 किलोमीटर और धुले से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर भक्तों के लिए पूजा स्थल बनता जा रहा है।