दशहरा रैली के दौरान शिवसेना के दोनों गुटों ने किया शक्ति प्रदर्शन
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और प्रतिद्वंद्वी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने राज्य विधानसभा चुनाव नजदीक होने के मद्देनजर शक्ति प्रदर्शन करते हुए शनिवार को मुंबई में दशहरा रैलियां आयोजित कीं।
शिवसेना (यूबीटी) दादर के ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में अपनी वार्षिक रैली कर रही है, जबकि शिंदे को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अपने गुट को संबोधित करना है। गुरुवार रात की भारी बारिश के बाद दोनों स्थानों पर कीचड़ हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक शिंदे की रैली की तुलना में उद्धव ठाकरे की रैली में समर्थकों की संख्या ज्यादा है। शिवसेना में दो फाड़ होने के बाद शिंदे ने अपनी पहली दशहरा रैली बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में की थी। हालांकि पिछले दो साल से यह रैली आजाद मैदान में आयोजित की जा रही है।
उपस्थित लोगों के लिए सुगम पारगमन की सुविधा प्रदान करने और कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए, मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने विभिन्न बिंदुओं पर यातायात को डायवर्ट कर दिया है और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई है। चूंकि भारत का चुनाव आयोग किसी भी दिन विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करेगा, इसलिए दशहरा रैलियां चुनाव प्रचार रणनीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन 'मेलावास' को सेना के दोनों गुटों के लिए अपने चुनाव अभियान शुरू करने के मंच के रूप में देखा जाएगा।
हाईब्रिड भाजपा स्वीकार नहीं : शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (शिवसेना-यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को आत्मचिंतन करना चाहिए कि क्या उसे आज की हाइब्रिड भाजपा स्वीकार्य है। ठाकरे ने कहा कि अपनी पूर्व सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा और कहा कि भाजपा को खुद को भारतीय कहने में शर्म आनी चाहिए।
उन्होंने भाजपा की तुलना कौरवों से की और उस पर अहंकारी होने का आरोप लगाया। ठाकरे ने सत्ता में आने के बाद राज्य के हर जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज के मंदिर बनाने का भी वादा किया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह 2019 में भाजपा से इसलिए अलग हो गए क्योंकि उन्हें हिंदुत्व के उसके संस्करण में विश्वास नहीं था लेकिन उन्होंने अपने पिता बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा को कभी नहीं छोड़ा।