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Last Updated :छत्रपति संभाजीनगर , गुरुवार, 25 सितम्बर 2025 (23:43 IST)

Marathwada Flood : महाराष्ट्र में बारिश ने मचाई तबाही, मराठवाड़ा में गई 86 लोगों की जान

mumbai rain
महाराष्ट्र के कई जिले भारी बारिश से परेशान हैं।  इस मानसून के मौसम में महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में बारिश से संबंधित घटनाओं में 86 लोगों की जान चली गई। राज्य के केंद्र में स्थित मराठवाड़ा में छत्रपति संभाजीनगर, जालना, लातूर, परभणी, नांदेड़, हिंगोली, बीड और धाराशिव जिले शामिल हैं। भारी बारिश के कारण आई बाढ़ ने इस क्षेत्र में लाखों एकड़ में खड़ी फसलों को नष्ट कर दिया और पिछले कुछ दिन में कई लोगों की जान इन घटनाओं में चली गई। 

महाराष्ट्र में बाढ़ की स्थिति को लेकर मुख्‍यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि अतिवृष्टि से फसल खराब हो गई है। बहुत सारे घर टूट गए हैं। बहुत बड़ा संकट महाराष्ट्र पर आया है। राज्य और केंद्र सरकार किसानों को मदद करने में कोई कमी नहीं छोड़ेगी।
फसलों को भारी नुकसान
एक अधिकारी ने कहा कि मराठवाड़ा के विभिन्न हिस्सों में कई बार अत्यधिक बारिश दर्ज की गई। 20 सितंबर को धाराशिव, लातूर, बीड जिलों में बाढ़ आ गई, जिससे लाखों हेक्टेयर क्षेत्र में फसल जलमग्न हो गई। इस साल बारिश से संबंधित घटनाओं में 1 जून से 23 सितंबर के बीच मराठवाड़ा में 86 व्यक्तियों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक मौत के मामले नांदेड़ में दर्ज किए गए जहां 26 लोगों की जान चली गई।
अधिकारी ने यह भी बताया कि इस वर्ष मानसून अवधि के दौरान क्षेत्र में 1,725 जानवरों की मौत हुई है। मानसून की एक जून से 25 सितंबर की अवधि में सबसे अधिक नुकसान नांदेड में हुआ, जहां 569 जानवर मारे गए। संशोधित रिपोर्ट में कहा गया है कि अत्यधिक वर्षा के कारण 23.96 लाख हेक्टेयर भूमि पर फसलें क्षतिग्रस्त हुईं।

राहत कार्यों की घोषणा की
महाराष्ट्र सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत उपाय शुरू किए हैं, जिनमें मृतकों के परिजनों को वित्तीय सहायता, फसलों और पशुधन के नुकसान के लिए मुआवजा तथा क्षतिग्रस्त मकानों के लिए भी सहायता शामिल है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
 
सरकारी घोषणा के अनुसार, बाढ़ में मारे गए लोगों के परिवार को चार लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। पशुधन नुकसान के मामले में मवेशियों के लिए भी मुआजवा निर्धारित किया गया है।
 
बकरियों, भेड़ों या सूअरों के लिए प्रति जानवर 4,000 रुपये की राहत प्रदान की जाएगी। प्रति परिवार तीन बड़े पशुओं और 30 छोटे पशुओं तक मुआवजे की सीमा निर्धारित की गई है। मुर्गीपालकों के लिए प्रति मुर्गी 100 रुपये की सहायता दी जाएगी, जिसकी अधिकतम सीमा प्रति परिवार 10,000 रुपये रखी गई है।
 
जिन परिवारों के घर नष्ट हो गए हैं उन्हें झोपड़ी के लिए 8,000 रुपये और पूरी तरह ढहे चुके पक्के घर के लिए 12,000 रुपये का मुआवजा मिलेगा। क्षतिग्रस्त पशुशालाओं के लिए 3,000 रुपये तक की सहायता प्रदान की जाएगी। सरकार ने उन किसानों के लिए भी राहत की घोषणा की है जिनकी फसलें बाढ़ से खराब हो गईं। उन्हें वर्षा-आधारित फसलों के लिए प्रति हेक्टेयर 8,500 रुपये, सिंचित फसलों के लिए 17,000 रुपये और बारहमासी फसलों के लिए 22,500 रुपये मिलेंगे।
 
जिन मामलों में बाढ़ में कृषि भूमि बर्बाद हो गई है, वहां पुनर्स्थापित होने योग्य भूमि के लिए 18,000 रुपये प्रति हेक्टेयर दिए जाएंगे। यह घोषणा राज्य में भारी बारिश के कारण हुए व्यापक विनाश के बीच की गई है। मराठवाड़ा क्षेत्र में 20 सितंबर से अब तक बाढ़ में कम से कम नौ लोगों की मौत हो चुकी है और 30,000 हेक्टेयर से अधिक फसलों को नुकसान हुआ है। सरकार के अनुसार, इस महीने राज्य के 31 जिलों में लगातार बारिश हो रही है। अब तक 50 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि और फसलें प्रभावित हुई हैं। सरकार ने राज्य आपदा राहत कोष से 2,215 करोड़ रुपये जारी किए हैं और केंद्र से और वित्तीय सहायता की मांग की है।

राष्ट्रीय आपदा कोष से सहायता की मांग
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एक ज्ञापन सौंपकर राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र में भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से पर्याप्त सहायता की मांग की। मुख्यमंत्री फडणवीस व राज्य के दोनों उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार द्वारा हस्ताक्षर किया गया ज्ञापन शाह को सौंपा गया। शाह महानगर के एक दिवसीय दौरे पर हैं।
 
ज्ञापन में कहा गया है कि राज्य आपदा राहत कोष से 2,215 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं। साथ ही कहा गया है कि इस महीने 31 जिलों में लगातार बारिश हो रही है, जिससे फसलों और कृषि भूमि को नुकसान पहुंचा है। ज्ञापन में कहा गया है कि अब तक 50 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि और खड़ी फसलें नष्ट हो चुकी हैं, जिसके कारण राहत प्रदान करने के लिए अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता है। इनपुट भाषा Edited by : Sudhir Sharma