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बागली के महाराजा ने ठुकराया था 'अंग्रेजी' सम्‍मान

बागली के महाराजा ने ठुकराया था 'अंग्रेजी' सम्‍मान - Maharaja Ranjit Singh, Bagli Principality, George Pancham
- कुंवर राजेन्द्रपाल सिंह सेंगर 
बागली (देवास)। स्वाधीनता की लड़ाई में अनेकों वीरों ने अपने प्राणों की आहूति दी। साथ ही देश के प्रत्येक जांबाज ने अपने-अपने तरीके से अंग्रेजों का विरोध किया। वास्तव में अंग्रेज सरकार भारतीय संस्कृति को भी छिन्न-भिन्न करने का प्रयास करती रहती थी। इसी दौरान बागली रियासत के तत्कालीन महाराजा रणजीत सिंह ने भी विरोध प्रकट करते हुए ब्रिटेन के राजा जार्ज पंचम द्वारा दिया गया 'हीज हाईनेस' खिताब लेने से इंकार कर पुरजोर विरोध किया था।
महाराजा को रखा था 6 महीने नजरबंद : इस ऐतिहासिक घटना को लेकर बागली रियासत के राजा छत्रसिंह बताते हैं कि वर्ष 1911 में ब्रिटेन के नए-नए राजा बने जार्ज पंचम ने महारानी मैरी के साथ भारत का दौरा किया था। उनके तिलक के लिए दिल्ली का दरबार सजा था। जिसमें उन्होंने भारत के सम्राट और साम्राज्ञी घोषित कर इंपीरियल राजमुकुट पहनाया गया था। 
 
दिल्ली दरबार में उस दौरान जार्ज पंचम ने भारत के राजा-महाराजाओं को हीज हाईनेस की पदवी दी थी। उस बागली पर हमारे ताऊजी महाराजा रणजीत सिंह का शासन था। उन्होंने हीज हाईनेस की पदवी यह कहकर लेने से इंकार कर दी, वे केवल ग्वालियर के श्रीमंत के द्वारा दी गई पदवी ही स्वीकार करेंगे। हीज हाईनेस की पदवी का भारतीय संस्कृति से कोई रिश्ता नहीं है। इसलिए वे यह पदवी नहीं लेंगे। 
 
राजा छत्रसिंह ने यह भी बताया कि इससे देश पर काबिज अंग्रेज सरकार कुपित हो गई। जिस कारण नीमच छावनी में बंगला नंबर 3 में महाराजा रणजीत सिंह को 6 महीने नजरबंद रखा गया। बाद में इस बंगले के पास वाले बंगले में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा भी कई वर्ष रहे।
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