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Last Updated : शनिवार, 26 अगस्त 2017 (19:53 IST)

चूड़ियों की खनक से उपजी आत्मनिर्भरता की कहानी...

चूड़ियों की खनक से उपजी आत्मनिर्भरता की कहानी... - Chadians self-reliance women's empowerment,
-कुंवर राजेन्द्रपालसिंह सेंगर 

बागली (देवास)। लगभग 14 वर्ष पूर्व इंदौर के समाजवादी इंदिरा नगर से विवाह करके बागली स्थित अपने ससुराल पहुंची दो युवतियों ने सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने का नया रास्ता दिखाया। वहीं स्वयं के परिवारों को भी आर्थिक तौर पर सुदृढ़ बनाया।
एक ही मोहल्ले में रहने वाली इन दो युवतियों- रजनी और विमला का विवाह बागली निवासी क्रमशः मोहन प्रजापत और नारायण हलवाई से हुआ था। दोनों ने ही अपने मायके में रहते हुए डिजाइनर चूड़ियां व पाटले बनाना सीखा था।
 
शुरुआती दिनों में परिवार के संचालन में जूझ रहे पतियों को एक सहारा देने के लिए उन्होंने नगर में चूड़ी निर्माण का काम शुरू करने का प्रयास किया। पहले-पहल ससुराल में विरोध भी झेलना पडा। साथ ही परिवार द्वारा जीविकोपार्जन के लिए किए जा रहे परंपरागत कार्यों में ही जुटने की सलाह व आदेश भी मिलने लगे। लेकिन दोनों के मन में कुछ करने की लगन थी। इसलिए उनके पतियों मोहन व नारायण ने अंततः सहयोग देना स्वीकार कर ही लिया।
 
बस, यहीं से आत्मनिर्भरता की कहानी आरंभ हुई। 2200 रुपए प्रति लीटर का रसायन, चूड़ी व पाटलों के खाली खोखे और डिजाइनर सामग्री लेकर रजनी व विमला अपने-अपने घरों पर छोटे से चूड़ी उद्योग को जमाने में लग गईं।
शुरुआती दौर में पड़ोसी महिलाओं व समाज की महिलाओं को चूड़ी विक्रय किया। धीरे-धीरे चूड़ियों की चर्चा नगर में फैल गई। इससे सबसे ज्यादा उन महिलाओं व किशोरियों को फायदा मिला। जो कि कम शिक्षित थीं। साथ ही सामाजिक वर्जनाओं के चलते मजदूरी करने भी नहीं जा पाती थीं। हाथ से बनी चूड़ियों का जब प्रचार होने लगा तो बहुत सी किशोरियां और महिलाओं ने सीखने की शुरुआत भी की। 
 
रजनी व विमला के घरों में तो अब चूड़ियों की दुकान खुल चुकी है। जिसमें 8 से 15 महिलाएं नियमित रोजगार पाती हैं। साथ ही नगर में लोकेन्द्रसिंह जोधा व लालसिंह जोधा के परिवार सहित लगभग एक दर्जन स्थानों पर चूड़ियां बनाने का कार्य आरंभ हुआ। सभी कारखानों पर कुल मिलाकर लगभग 100 किशोरियां व महिलाएं रोजगार पाती हैं। साथ ही परिवार में भी 8 से 30 हजार रुपए की आय भी होती है। पहले प्रतिबंध लगाने वाले पति अब चूड़ी बेचते हुए नजर आते हैं। 
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