महिला सशक्तीकरण की ओर बढ़ते कदम
-प्रो. भावना पाठक
शादी में घोड़े पर चढ़ने का पुरुष वर्चस्व अब टूटने लगा है। वर ही नहीं, अब वधू भी बन्ना बनकर सामने आ रही हैं। भले ही अभी यह प्रतीक के रूप में इक्का-दुक्का हो लेकिन यह दर्शाता है कि सदियों से चले आ रहे पुरुष वर्चस्व को अब महिलाओं की तरफ से चुनौती मिलने लगी है और मिलनी भी चाहिए। समता का यही तकाजा है।
मिलिए प्रेस्टीज की मास मीडिया की होनहार छात्रा पूर्वा शर्मा से जिनकी शादी 12 दिसंबर 2016 को हुई। पूर्वा अपनी शादी में बन्ना बन घोड़े पर चढ़ीं और वर की भांति 3 घंटे तक उनका प्रोसेशन चला जिसमें लगभग 400 लोग शामिल थे, जो बैंड-बाजे पर वैसे ही नाचे, जैसे कि लड़के की बारात में नाचते हैं।
ना-ना... ये उनके समाज की कोई परंपरा या रिवाज नहीं है बल्कि वो अपने घर में ऐसा करने वाली पहली लड़की हैं।
उन्होंने बताया कि बचपन से उनकी परवरिश एक लड़के की तरह हुई है और उनके माता-पिता की ये ख्वाहिश थी कि लड़के की तरह वो अपनी शादी में घोड़े पर बैठें, वो भी लड़के की ही वेशभूषा में। साफा और शेरवानी में माथे पर तिलक और हाथों में तलवार लिए पूर्वा जैसे ही घोड़े पर सवार होकर निकली, उन्हें देखने और उनके साथ सेल्फी लेने वालों की भीड़ लग गई। वो कहती हैं कि पास के ही होटल में रुके फॉरेनर्स ने भी उनके साथ सेल्फी खिंचाई।
पूर्वा कहती हैं कि वर की वेशभूषा में घोड़े पर बैठना मेरे लिए इतना आसान नहीं था। एक पल तो आया कि मां-पापा को मना कर दूं कि लोग क्या कहेंगे? ड्रेस्डअप होने के बाद 100 बार खुद को आईने में देखा, लिफ्ट से उतरते-उतरते भी कई सेल्फी खींच डालीं। घोड़े पर चढ़ते वक्त थोड़ा नर्वस भी थी लेकिन लोगों के हुजूम और उत्साह ने मेरा हौसला बढ़ाया और शान से मैं प्रोसेशन में पूरी बारात के साथ घूमी। वे मेरी जिंदगी के कभी न भुलाए जा सकने वाले यादगार लम्हें थे।
पूर्वा का ये कदम निश्चय ही सराहनीय है। उम्मीद है कि पूर्वा की तरह ही इस दुनिया कि आधी आबादी नित नए कीर्तिमान गढ़ेगी।