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Last Modified: मंगलवार, 18 अक्टूबर 2016 (11:27 IST)

शुरू हो चुकी हैं अंतरिक्ष में युद्ध की तैयारियां

शुरू हो चुकी हैं अंतरिक्ष में युद्ध की तैयारियां - Preparations for war in space
क्या अब जंग सातवें आसमान पर हुआ करेगी? दुनिया के सबसे ताकतवर देश ऐसी ही जंगों के लिए तैयारियां कर रहे हैं। अंतरिक्ष में हथियार भेजे जा रहे हैं।
घातक उपग्रह, अंधा कर देने वाली लेजर किरणें, इलेक्ट्रोनिक सिस्टम को जाम कर देने वाले जैमर जैसे ये हथियार नई जंग में इस्तेमाल हो सकते हैं। हाल के सालों में अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने देश के उपग्रहों के लिए बढ़ते खतरों पर कई बार चिंता जताई है। ये उपग्रह अमेरिकी सैन्य ताकत की बेहद अहम कड़ी हैं।
 
पहले अंतरिक्ष पर अमेरिका और रूस का ही कब्जा हुआ करता था लेकिन अब न सिर्फ छोटे छोटे देश उपग्रह भेज रहे हैं बल्कि कई निजी कंपनियां भी इस क्षेत्र में तेजी से आ रही हैं। इससे अमेरिका और अन्य देशों के उपग्रहों, खासकर सैन्य उपग्रहों की सुरक्षा कमजोर हुई है। अमेरिकी रणनीतिकार चीन और रूस के उत्साही रवैये से भी परेशान हैं। पिछले महीने एक सम्मेलन में अमेरिका की वायु सेना मंत्री डेबराह ली जेम्स ने कहा, "हम अंतरिक्ष को लेकर अपने तौर-तरीके बदल रहे हैं क्योंकि हमें आसपास भी नजर रखनी है। क्या होगा अगर कोई युद्ध अंतरिक्ष तक पहुंच गया तो? हम अपनी संपत्तियों की रक्षा कैसे करेंगे?"
 
2015 में इस तरह की खबरों ने चिंता बढ़ा दी थी कि रूस कुछ हमलावर उपग्रह बना रहा है। ऐसी रिपोर्ट थी कि ये उपग्रह अंतरिक्ष से पृथ्वी के किसी भी निशाने पर हमला करने की क्षमता लिए होंगे। रूस का एक उपग्रह कई महीने तक पृथ्वी की कक्षा में दो अमेरिकी उपग्रहों के बेहद नजदीक मौजूद रहा। एक बार तो यह सिर्फ 10 किलोमीटर दूर था। फिर यह अपने आप दूसरे रास्ते पर चला गया। लेकिन इसके बाद अमेरिका की चिंताएं बढ़ी हैं। और अंतरिक्ष युद्ध को लेकर खतरा भी। सिक्योर वर्ल्ड फाउंडेशन की विक्टोरिया सैमसन कहती हैं, "राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हमारे उपग्रह बेहद अहम हैं। यह बात ही बहुत खतरनाक है कि कोई चीज उनके आसपास आ सकती है और उनके काम में बाधा डाल सकती है।"
 
चीन इस मामले में एक बड़ी ताकत बनकर उभर रहा है। उसने निचली कक्षा में छोटे उपग्रह भेजकर गजब की क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। मैरिलैंड यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी स्ट्डीज में सीनियर रिसर्च स्कॉलर टेरेसा हिचन्स बताती हैं कि 2013 में चीन ने तीन छोटे उपग्रह भेजे थे जिनमें से एक में रोबोटिक आर्म तक लगी थी।
 
अब अमेरिकी रक्षा मंत्रालय और बहुत से विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका को अंतरिक्ष में अपने सैन्य प्रयास बढ़ाने होंगे ताकि उसका कम्युनिकेशन नेटवर्क अमेरिकी सेना की कमजोरी न बन जाए। एयर फोर्स की स्पेस कमांड के प्रमुख जनरल जॉन हेटन ने पिछले महीने सांसदों से कहा था, "रूस और चीन से हमें जो चुनौतियां मिलती दिख रही हैं, उनसे निपटने के लिए रक्षा मंत्रालय को आक्रामक तरीके से काम करना होगा। मुझे लगता है कि हमें अपनी प्रतिक्रिया तेज करनी होगी।"
 
सेंटर फॉर न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी में सीनियर फेलो एलब्रिज कोल्बी कहते हैं कि अमेरिका को अंतरिक्ष में अपनी संपत्तियों की रक्षा करने की क्षमता तो विकसित करनी ही होगी। वह कहते हैं, "जैसे कि ज्यादा से ज्यादा देश और लोग अंतरिक्ष में काम करने की क्षमता बढ़ा रहे हैं, तो अब बहुत जल्द यह एक सच्चाई होगी कि अंतरिक्ष का सैन्यकरण होना है। अमेरिका को प्रभावशाली स्पेस अटैक विकसित करना चाहिए लेकिन ऐसा कि इसे नियंत्रित किया जा सके। खासकर ऐसे हमले तैयार किए जा सकते हैं जो अंतरिक्ष में कचरा ना फैलाएं।"
वैसे, ऐसे विशेषज्ञों की भी कमी नहीं है जो चाहते हैं कि अमेरिका खुद को नियंत्रित रखे। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के पास पहले से ही ऐसी अंतरिक्षीय ताकत है जिसे रूस और चीन हासिल करना चाहेंगे। हालांकि अमेरिकी सेना इसे ज्यादा तूल नहीं देना चाहती। सैमसन कहते हैं, "मुझे लगता है कि बातों को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।" वैसे, अमेरिका के पास ऐसा मोबाइल जैमर तो 2004 से मौजूद है जो किसी भी सैटलाइट कम्यूनिकेशन को जाम कर सकता है। और उसने ऐसी मिसाइलों का परीक्षण भी कर लिया है जो उपग्रहों को नष्ट कर सकती हैं।
 
वीके/एके (एएफपी)
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