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Written By DW
Last Updated : मंगलवार, 11 जुलाई 2023 (19:49 IST)

cyber criminals: हैकरों को ललचा रहा है एजुकेशन और रिसर्च सेक्टर

cyber criminals: हैकरों को ललचा रहा है एजुकेशन और रिसर्च सेक्टर - Education and research sector is tempting hackers
-ओएसजे/एनआर (डीपीए)
 
Cyber ​​crimes: साइबर अपराधी (Cyber criminals) एआई का इस्तेमाल कर ऑनलाइन हमले शुरू कर चुके हैं। जर्मनी समेत दुनिया के कई देशों में हर संस्था, हर हफ्ते सैकड़ों साइबर हमले (cyber attacks) झेल रही है। जर्मनी के फेडरल क्रिमिनल पुलिस ऑफिस (बीकेए) के प्रेसीडेंट होल्गर मुंच ने जर्मन मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा कि साइबर अपराधों का खतरा साल-दर-साल लगातार बढ़ता जा रहा है और कुछ मौकों पर ये अपराध बड़े आर्थिक और सामाजिक नुकसान पहुंचाते हैं।
 
मुंच ने बताया कि हाल के वर्षों में साइबर अपराधियों ने सार्वजनिक प्रशासनिक संस्थानों, यूनिवर्सिटियों और डॉक्टरों के दफ्तरों को सबसे ज्यादा निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि इन हमलों का व्यापक असर हो सकता है। उदाहरण के लिए प्रशासन कई हफ्तों तक काम करने में असमर्थ हो सकता है।
 
हमलावर क्या करते हैं?
 
पुलिस अधिकारी ने चेतावनी देते हुए कहा कि साइबर हमलों के खिलाफ सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत है। जर्मनी में अब भी बहुत सारे सिस्टम इनक्रिप्टेड नहीं हैं। ऐसे सिस्टमों से काफी डाटा चुराया जाता है। मुंच ने कहा कि अगर तकनीकी बाधाएं तुलनात्मक रूप से कमजोर हों तो अपराधी तेजी से इसकी तरफ आकर्षित होते हैं और यह उन्हें ललचाता भी है।
 
साइबर अपराधियों का पता भी चल जाए तो भी लाचारगी जैसी स्थिति सामने आती रहती है। पुलिस के मुताबिक आमतौर पर हमलावर विदेशों में होते हैं। उन पर कार्रवाई करने के लिए एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इस दौरान विदेशी एजेंसियों की मदद भी लेनी पड़ती है।
 
बीते सालों में हाइड्रा मार्केट जैसे गैरकानूनी ऑनलाइन बाजार या चिपमिक्सर जैसी हवाला सर्विस पर कार्रवाई करने में सफलता मिली है। इसके बावजूद मुंच कहते हैं कि कुल मिलाकर हमने इन दोनों मामलों में करीब 10 करोड़ यूरो सीज किए हैं। यह पैसा अपराध की दुनिया, उसके ग्राहकों और उससे जुड़े टूल्स से मिला।
 
हर हफ्ते कितने साइबर अटैक?
 
ऑनलाइन दुनिया पर नजर रखने वाली संस्था चेक प्वॉइंट रिसर्च (सीपीआर) ने 2023 के शुरुआती 3 महीनों के आंकड़े पेश किए हैं। इस तिमाही डाटा के मुताबिक जर्मनी की हर संस्था पर औसतन हर हफ्ते 894 साइबर अटैक होते हैं। 2022 के मुकाबले इस दर में 2 फीसदी उछाल आया है। यूरोपीय संघ के सदस्य और जर्मनी के पड़ोसी ऑस्ट्रिया में औसतन हर हफ्ते होने वाले साइबर हमलों की संख्या करीब 1,044 है। स्विट्जरलैंड की संस्थाएं भी इस साल 914 साइबर अटैक प्रति सप्ताह झेल रही है।
 
सीपीआर के साइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक पूरी दुनिया की बात करें तो जनवरी 2023 से मार्च 2023 के बीच साइबर हमलों में 7 फीसदी वृद्धि देखी गई है। ऑनलाइन अपराधी सबसे ज्यादा शिक्षण और रिसर्च संस्थानों को निशाना बना रहे हैं। डाटा चोरी कर या सिस्टम करप्ट कर ऑनलाइन फिरौती मांगने के मामले भी बढ़ रहे हैं। दुनिया की हर 31 में से 1 कंपनी हर हफ्ते रैनसमवेयर का शिकार हो रही है। साइबर अपराधी सबसे ज्यादा अफ्रीकी देशों को निशाना बना रहे हैं। वहां साइबर हमलों की दर 1983 हमले प्रति सप्ताह है।
 
AI का सहारा ले रहे हैं साइबर अपराधी
 
सीपीआर के मुताबिक बहुत तेजतर्रार हैकर अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स का भी इस्तेमाल करने लगे हैं। हाल में एक मामले में हैकरों ने चैटजीपीटी की मदद से कोड तैयार किया। विशेषज्ञों के मुताबिक चैटजीपीटी से कोडिंग कर नौसिखिये ऑनलाइन ठग भी साइबर हमला करने लायक बन सकते हैं। जांच में यह भी पता चला कि 3CXDesktop ऐप का दुरुपयोग कर सप्लाई चेन पर हमला किया गया।
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