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कुंडली में यदि राहु, केतु और शनि की दशा बिगड़ी हो तो कैसे ठीक करें?

lal kitab | कुंडली में यदि राहु, केतु और शनि की दशा बिगड़ी हो तो कैसे ठीक करें?
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शनि, राहु और केतु आपके जीवन पर किस तरह और क्यों प्रभाव डालते हैं और इनके प्रकोप से कैसे बचा जाए। जानकारी ही बचाव है तो जानिए।
 
 
क्या है शनि, राहु और केतु?
शनि के अनुचर हैं राहु और केतु। शरीर में इनके स्थान नियु‍क्त हैं। सिर राहु है तो केतु धड़। यदि आपके गले सहित ऊपर सिर तक किसी भी प्रकार की गंदगी या खार जमा है तो राहु का प्रकोप आपके ऊपर मंडरा रहा है और यदि फेफड़ें, पेट और पैर में किसी भी प्रकार का विकार है तो आप केतु के शिकार हैं। हड्डी, बाल, दांत या आंत में कोई समस्या है तो आप शनि के शिकार हैं। शनि शरीर के दृष्टि, बाल, भवें, हड्डी और कनपटी वाले हिस्से पर, राहु सिर और ठोड़ी पर और केतु कान, रीढ़, घुटने, लिंग और जोड़ पर प्रभाव डालता है।
 
 
राहु और केतु की भूमिका एक पुलिस अधिकारी की तरह है जो न्यायाधीश शनि के आदेश पर कार्य करते हैं। ‍शनि का रंग नीला, राहु का काला और केतु का सफेद माना जाता है। शनि के देवता भैरवजी हैं, राहु की सरस्वतीजी और केतु के देवता भगवान गणेशजी है। शनि का पशु भैंसा, राहु का हाथी और कांटेदार जंगली चूहा तथा केतु का कुत्ता, गधा, सुअर और छिपकली है। शनि का वृक्ष कीकर, आंक व खजूर का वृक्ष, राहु का नारियल का पेड़ व कुत्ता घास और केतु का इमली का दरख्त, तिल के पौधे व केला है। 
 
 
राहु की मार- यदि व्यक्ति अपने शरीर के अंदर किसी भी प्रकार की गंदगी पाले रखता है तो उसके ऊपर काली छाया मंडराने लगती है अर्थात राहु के फेर में व्यक्ति के साथ अचानक होने वाली घटनाएं बढ़ जाती है। घटना-दुर्घटनाएं, होनी-अनहोनी और कल्पना-विचार की जगह भय और कुविचार जगह बना लेते हैं।
 
 
राहु के फेर में आया व्यक्ति बेईमान या धोखेबाज होगा। राहु ऐसे व्यक्ति की तरक्की रोक देता है। राहु का खराब होना अर्थात् दिमाग की खराबियां होंगी, व्यर्थ के दुश्मन पैदा होंगे, सिर में चोट लग सकती है। व्यक्ति मद्यपान या संभोग में ज्यादा रत रह सकता है। राहु के खराब होने से गुरु भी साथ छोड़ देता है।
 
 
राहु के अच्छा होने से व्यक्ति में श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक या फिर रहस्यमय विद्याओं के गुणों का विकास होता है। इसका दूसरा पक्ष यह कि इसके अच्छे होने से राजयोग भी फलित हो सकता है। आमतौर पर पुलिस या प्रशासन में इसके लोग ज्यादा होते हैं।
 
 
केतु की मार- जो व्यक्ति जुबान और दिल से गंदा है और रात होते ही जो रंग बदल देता है वह केतु का शिकार बन जाता है। यदि व्यक्ति किसी के साथ धोखा, फरेब, अत्याचार करता है तो केतु उसके पैरों से ऊपर चढ़ने लगता है और ऐसे व्यक्ति के जीवन की सारी गतिविधियां रुकने लगती है। नौकरी, धंधा, खाना और पीना सभी बंद होने लगता है। ऐसा व्यक्ति सड़क पर या जेल में सोता है घर पर नहीं। उसकी रात की नींद हराम रहती है, लेकिन दिन में सोकर वह सभी जीवन समर्थक कार्यों से दूर होता जाता है।
 
 
केतु के खराब होने से व्यक्ति पेशाब की बीमारी, जोड़ों का दर्द, सन्तान उत्पति में रुकावट और गृहकलह से ग्रस्त रहता है। केतु के अच्छा होने से व्यक्ति पद, प्रतिष्ठा और संतानों का सुख उठाता है और रात की नींद चैन से सोता है।
 
 
शनि की मार- पराई स्त्री के साथ रहना, शराब पीना, मांस खाना, झूठ बोलना, धर्म की बुराई करना या मजाक उड़ाना, पिता व पूर्वजों का अपमान करना और ब्याज का धंधा करना प्रमुख रूप से यह सात कार्य शनि को पसंद नहीं। उक्त में से जो व्यक्ति कोई-सा भी कार्य करता है शनि उसके कार्यकाल (चक्र) में उसके जीवन से शांति, सुख और समृद्धि छिन लेता है। व्यक्ति बुराइयों के रास्ते पर चलकर खुद बर्बाद हो जाता है। शनि उस सर्प की तरह है जिसके काटने पर व्यक्ति की मृत्यु तय है।
 
 
शनि के अशुभ प्रभाव के कारण मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है, नहीं तो कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिक जाता है। अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं। अचानक आग लग सकती है। धन, संपत्ति का किसी भी तरह नाश होता है। समय पूर्व दांत और आंख की कमजोरी। शनि की स्थिति यदि शुभ है तो व्यक्ति हर क्षेत्र में प्रगति करता है। उसके जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता। बाल और नाखून मजबूत होते हैं। ऐसा व्यक्ति न्यायप्रीय होता है और समाज में मान-सम्मान खूब रहता हैं।
 
 
राहु, केतु और शनि की पीड़ा से बचने का आसान तरीका
शनि के उपाय- भैरवजी के मंदिर जाकर उनसे अपने पापों की क्षमा मांगे। जुआ, सट्टा, शराब, वैश्या से संपर्क, धर्म की बुराई, पिता-पूर्वजों का अपमान और ब्याज आदि कार्यों से दूर रहें। शरीर के सभी छिद्रों को प्रतिदिन अच्छे से साफ रखें। दांत, बाल और नाखूनों की सफाई रखें।
 
 
कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं। छायादान करें, अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसो का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में रख आएं। अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें। रात को सिरहाने पानी रखें और उसे सुबह कीकर, आंक या खजूर के वृक्ष पर चढ़ा आएं। प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें।
 
 
राहु के उपाय- सिर पर चोटी रख सकते हैं, लेकिन किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर। भोजन भोजनकक्ष में ही करें। ससुराल पक्ष से अच्छे संबंध रखें। रात को सिरहाने मूली रखें और उसे सुबह किसी मंदिर में दान कर दें। चांदी का ठोस हाथी बनवाकर घर में रखें। 100 दिन तक किसी मंदिर में झाड़ू लगाएं। जौ पानी में बहाएं।
 
 
केतु के उपाय- संतानें केतु हैं। इसलिए संतानों से संबंध अच्छे रखें। भगवान गणेश की आराधना करें। दोनों कान छिदवाएं। सफेद और काला दोरंगी कंबल किसी मंदिर में या गरीब को दान करें। दोरंगी कुत्ते को रोटी खिलाएं। कुत्ता भी पाल सकते हैं, लेकिन किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर।
 
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