ब्रह्मांड अनंत है जिसमें असंख्य पिंड घूम रहे हैं। कोई छोटा तो कोई बड़ा पिंड है। उनमें से कई उल्कापिंड और धूमकेतु भी है। धूमकेतु को पुच्छल तारा भी कहते हैं। इसके पीछे जलती हुई पूंछ दिखाई देती है इसलिए इसे पुच्छल तारा भी कहते हैं। उल्कापिंड की अपेक्षा धूमकेतु ज्यादा तेजी से घूमते हैं। हमारे सौर मंडल के अंतिम छोर पर अरबों धूमकेतु सूर्य का चक्कर लगा रहे हैं। एस्टेरॉयड को हिन्दी में उल्कापिंड या क्षुद्रग्रह भी कहते हैं। इसे मीटीऑराइट भी कहते हैं।
धूमकेतु : धूमकेतु के चार भाग है। पहला नुक्लेओस जो बर्फ, गैस और धूल के मिश्रण से बना होता है। दूसरा हाइड्रोजन के बादल, तीसरा धूल का गुब्बार, चौथा कोमा जो पानी, कार्बन डाइऑक्साइड और दूसरे गैसों के मिश्रण से बने घने बादलों के समुह होते हैं। पांचवां आयन टेल अर्थात पूंछ जो सूर्य के संपर्क में आने पर ही निर्मित होती है। यह पूंछ जो प्लाज्मा और किरणों से भरी हुई होती हैं।
धूमकेतु को सूर्य की एक परिक्रमा करने में हजारों और कभी-कभी लाखों वर्ष लग जाते हैं। हालांकि कुछ धूमकेतु ऐसे भी हैं जिन्हें 100 या सैंकड़ों वर्ष लगते हैं। इनमें से कुछ धुमकेतु का आकार कुछ किलोमीटर के एक पिंड के बराबर होता है तो कुछ चंद्रमा के बराबर तक के होते हैं और जब ये परिक्रमा करते हुए सूर्य के निकट आ जाते हैं तो बहुत गर्म हो जाते हैं और गैस एवं धूल को फैलाते हैं जिसके कारण विशालकाय चमकती हुई पिंड का निर्माण हो जाता है जो धरती बराबर के ग्रहों की तरह दिखाई देते हैं।
धूमकेतु जब सूर्य के नजदीक होते हैं जो जलने लगते हैं और फिर इनका सिर एक चमकते हुए तारे जैसा नजर आता है और पूंछ अतिचमकीली जलती हुई नजर आती है। सिर इनका नाभिक होता है। मतलब केंद्र होता है। फिर जब ये सूर्य से दूर चले जाते हैं तो फिर से यह ठोस रूप लेकर धूल और बर्फ पुन: नाभिक में जम जाती है। जिसके कारण इनकी पूंछ छोटी होती जाती है और अक्सर यह पूंछ विहीन हो जाते हैं। कहते हैं कि 6.5 करोड़ वर्ष पहले पृथ्वी से डायनासोर समेत 70 प्रतिशत जीव-जंतुओं का सफाया करने वाला आकाशीय पिंड उल्का पिंड नहीं बल्कि धूमकेतु था। इससे धरती से टकराकर सभी विशालकाय जीव जंतुओं का सफाया कर दिया था। प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का निश्चित समय होता है। सबसे प्रसिद्ध हैली का धूमकेतु अंतिम बार 1986 में दिखाई दिया था। अगली बार यह 1986+76 = 2062 में दिखाई देगा। हैली धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष है। जिनका जन्म 1970 या 71 या इसके पहले हुआ है उन्होंने ये धूमकेतु जरूर देखा होगा। धुमकेतुओं का नाम उनके खोजकर्ताओं के नाम पर रखा जाता है जैसे हैली का नाम खगोलशास्त्री एडमंड हैली के नाम पर रखा गया था।
1. आकाश नहीं है अंतरिक्ष : अंतरिक्ष एक ऐसी जगह है जहां पर हवा नहीं है परंतु आकाश में हवा है। एक निश्चित ऊंचाई (लगभग 100 किलोमीटर ऊपर) के बाद आकाश, गगन या नभ समाप्त हो जाता है तब अंतरिक्ष की शुरुआत होती है।
2. ध्वनि अर्थात साउंड (Sound) नहीं करता गमन : अंतरिक्ष एक निर्वात अर्थात वैक्यूम (vacuum) है जहां आप आवाज नहीं सुन सकते, आवाज सुनने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है।
3. ये हैं अंतरिक्ष में : अंतरिक्ष में सभी ग्रह, उपग्रह, नक्षत्र (तारे), उल्कापिंड, गैलेक्सी, मैग्नेटिक फील्ड और ब्लैक होल मौजूद है। दो ग्रहों या दो तारों के बीच जो स्पेस है उसमें धुल के कण और गैसें मौजूद है।
4. खतरनाक रेडियेशन : अंतरिक्ष में उपरोक्त के साथ ही खतरनाक रेडियेशन (Radiation) है। जैसे इंफ्रारेड रे (infrared rays), अल्टावॉयलेट (ultraviolet rays), एक्स-रे (x rays), गामा-रे (gamma rays), कास्मिक रे (cosmic rays) और मैग्नेटिक फील्ड (Magnetic field)।
5. अंतरिक्ष काला है : अंतरिक्ष में वायु नहीं है और ऑक्सीजन भी नहीं है। यही कारण है कि यहां अंधरे रहता है। सूर्य जैसे तारों के कारण ही प्रकाश रहता है तो वह भी सिर्फ ग्रहों पर।
6. प्रकाश वर्ष : अंतरिक्ष को प्रकाश वर्ष (Light year) के माध्यम से नापा जाता है।
7. आयाम : वैज्ञानिक कहते हैं कि ब्रह्मांड में 10 आयाम (Dimensions) हो सकते हैं लेकिन मोटे तौर पर हमारा ब्रह्मांड त्रिआयामी है। पहला आयाम है ऊपर और नीचे, दूसरा है दाएं और बाएं, तीसरा है आगे और पीछे। इसे ही थ्रीडी कहते हैं। एक चौथा आयाम भी है जिसे समय कहते हैं। समय को आगे बढ़ता हुआ महसूस कर सकते हैं। हम इसमें पीछे नहीं जा सकते हैं।
8. अंतरिक्ष कितना बड़ा है : यह कोई नहीं जानता और ना ही बता सकता, क्योंकि यह अनादि और अनंत है।
9. अंतरिक्ष के भाग : हमारी धरती के पास के अंतरिक्ष के मुख्यत: 4 भाग है, 1.जियोस्पेस (Geospace), 2. इंटरप्लेनेटरी स्पेस (interplanetary space), 3.इंटरस्टेलर (interstellar space), 4. इंटरगैलेक्टि (intergalactic space). मैटर, डॉर्क मैटर और एंटी मैटर की साइंस में बहुत चर्चा होती है। एक तो होता है मैटर और दूसरा होता है डार्क मैटर और तीसरा होता है एंटी मैटर। जो भी दिखाई दे रहा है वह मैटर है। मैटर अर्थात पदार्थ। हमारा शरीर और हम जो भी देख रहे हैं वह सभी मैटर है। एंटीमैटर आभासीत माना गया है परंतु डार्ट मैटर की सत्ता है।
10. अंतरिक्ष में है अनंत रहस्य : अंतरिक्ष में लाखों गलैक्सियां हैं जिसमें लाखों सूर्य, तारे, चंद्रमा, धरती, ग्रह, उपग्रह, उल्का और ब्लैक होल है। वैज्ञानिकों ने हमारी गैलेक्सी में असंख्य तारामंडल ढूंढे हैं। हमारी गैलेक्सी का नाम है मिल्की वे, जिसमें हम धरती पर रहते हैं। माना जाता है कि इसी गैलेक्सी में धरती जैसे ग्रहों पर जीवन हो सकता है जहां पर मनुष्य से भी कई गुना ज्यादा बुद्धिमान मनुष्य रहते हों। अंतरिक्ष में अब तक 800 से ज्यादा गैलेक्सी ढूंढी जा चुकी है। वैज्ञानिक कहते हैं कि लगभग 19 अरब गैलेक्सियां हो सकती है।
सोर्स : एजेंसियां