बाल कविता : झूठ बोलने की सजा
बाघ आ गया, बाघ आ गया,
कहकर चरवाहा चिल्लाया।
आए गांव के लोग वहां तो,
बाघ किसी ने वहां न पाया।
झूठ बोलकर चरवाहे ने,
बार-बार विश्वास गंवाया।
किंतु बाघ जब सच में आया,
तो कोई बचाने उसे न आया।
झूठ बोलने वालों का तो,
हाल यही है होता आया।
दुनिया वालों को ऐसा यह,
काम कभी बिलकुल न भाया।