गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. hindi poem

कविता : डिबरी का सूरमा

कविता : डिबरी का सूरमा - hindi poem
मेरी दादी
की आंखों में
डिबरी का सूरमा था
जो डिबिया की लौ
के साथ रातभर
दुआर पर जागता था।
 
उन आंखों में मुझे
लहलहाते खेत
कल-कल करती नदी
अलसाया हुआ भोर
और रंभाती गाएं
सब दिख जाती थीं।
 
मैं और भी
बहुत कुछ देखता था
मेरे वंश का उदय
मेरे वर्तमान का विकास
मेरे कल का परिचय
मेरे जीवन का संचय।
 
उन आंखों में
प्यार, कर्तव्य,
बलिदान, सम्मान
सब सैत के रखे थे
जिन्हें दादी समय से निकालतीं
और नून-तेल के जैसे
हिसाब से इस्तेमाल करतीं।
 
मैं दादी से
अंतिम बार जब मिला
तो उस पर मोटा चश्मा था
जो आंसू के सोते को छिपाता था