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Last Modified: बुधवार, 29 जून 2022 (18:44 IST)

जगन्नाथ रथयात्रा : पुरी को क्यों कहते हैं पुरुषोत्तम क्षेत्र?

जगन्नाथ रथयात्रा : पुरी को क्यों कहते हैं पुरुषोत्तम क्षेत्र? - Puri Purushottam Kshetra
हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक ओड़ीसा के पुरी नगर की गणना सप्तपुरियों में भी की जाती है। इस नगर में प्रभु जगन्नाथ विराजमान है। इस पवित्र तीर्थ क्षेत्र को पुराणों में पुरुषोत्तम क्षेत्र कहा गया है। आओ जानते हैं कि क्यों इसे पुरुषोत्तम क्षेत्र कहते हैं।
 
 
1. यह स्थान भग‍वान विष्णु का प्राचीन स्थान है जिसे वैकुंठ भी कहा जाता है। सर्वप्रथम भगवान यहां पर नीलमाधव के रूप में प्रकट हुए थे। नीलमाधव को पुरुषोत्तम की कहा गया है। 
 
2. भगवान विष्णु का प्रिय मास पुरुषोत्तम कास ही है जो हर तीसरे साल में आता है जिसे अधिक मास भी कहते हैं। इस जगन्नाथ धाम में इस मास को लेकर अधिक महत्व और उत्साह रहता है। इस मास में भगवान विष्णु का पूजन, जप, तप, दान से अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है। खास तौर पर भगवान कृष्‍ण, भगवद्‍गीता, श्रीराम की आराधना, कथा वाचन और विष्‍णु भगवान की उपासना की जा‍ती है। इस माह धार्मिक तीर्थस्थलों पर जाकर स्नान, दान, पुण्य, यज्ञ, साधना आदि करने से मोक्ष और अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है।
 
3. पुरुषोत्तम का अर्थ होता है पुरुषों में सबसे उत्तम। भगवान श्रीराम को पुरुषोत्तम कहा गया है। रामायण के उत्तरकाण्ड के अनुसार भगवान राम ने रावण के भाई विभीषण को अपने इक्ष्वाकु वंश के कुल देवता भगवान जगन्नाथ की आराधना करने को कहा। आज भी पुरी के श्री मंदिर में विभीषण वंदापना की परंपरा कायम है। पूर्व में श्रीहरि विष्णु को यहां भगवान राम का रूप माना जाता था।
 
4. बहुत से ऐसे श्रीराम मंदिर हैं जहां पर उनके चतुर्भुज रूप के दर्शन होते हैं। इसी तरह जगन्नाथ पुरी में भी श्रीराम, हनुमान, श्रीकृष्ण और श्रीहरि विष्णु के हमें एक साथ दर्शन होते हैं।
lord ram
5. माना जाता है कि भगवान विष्णु जब चारों धामों पर बसे और जब अपने धामों की यात्रा पर जाते हैं तो हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान करते हैं। पश्चिम में गुजरात के द्वारिका में वस्त्र पहनते हैं। पुरी में भोजन करते हैं और दक्षिण में रामेश्‍वरम में विश्राम करते हैं।
 
6. द्वापर के बाद भगवान कृष्ण पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ। पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं।
 
7. जगन्नाथ का यहीं पर यह विशालकाय मंदिर देश का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। पुराणों में इसे धरती का वैकुंठ कहा गया है। इसे श्रीक्षेत्र, श्रीपुरुषोत्तम क्षेत्र, शाक क्षेत्र, नीलांचल, नीलगिरि और श्री जगन्नाथ पुरी भी कहते हैं। 
 
8. यहां लक्ष्मीपति विष्णु ने तरह-तरह की लीलाएं की थीं। ब्रह्म और स्कंद पुराण के अनुसार यहां भगवान विष्णु 'पुरुषोत्तम नीलमाधव' के रूप में अवतरित हुए और सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए। पुराण के अनुसार नीलगिरि में पुरुषोत्तम हरि की पूजा की जाती है। पुरुषोत्तम हरि को यहां 'भगवान राम' का रूप माना गया है।
 
9. सबसे प्राचीन मत्स्य पुराण में लिखा है कि पुरुषोत्तम क्षेत्र की देवी विमला है और यहां उनकी पूजा होती है। इस मंदिर का सबसे पहला प्रमाण महाभारत के वनपर्व में मिलता है। कहा जाता है कि सबसे पहले सबर आदिवासी विश्‍ववसु ने नीलमाधव के रूप में इनकी पूजा की थी। आज भी पुरी के मंदिरों में कई सेवक हैं जिन्हें दैतापति के नाम से जाना जाता है।