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Last Modified: शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017 (16:49 IST)

ट्रांसजेंडर्स को सबसे ज्यादा एड्‍स का खतरा

ट्रांसजेंडर्स को सबसे ज्यादा एड्‍स का खतरा - HIV aids
नई दिल्ली। आज वर्ल्ड एड्स डे है जोकि हर साल 1 दिसंबर को मनाया जाता है। इस बीमारी के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए एड्स डे मनाया जाता है। चूंकि यह संक्रमण से ज्यादा फैलता है इसलिए माना जाता है कि इस बीमारी से सेक्स वर्कर्स (यौन कर्मी) अधिक प्रभावित होते होंगे लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है।  
 
एड्स HIV संक्रमण की वजह से फैलता है और एक समय पर एड्स एक ऐसी बीमारी लाइलाज मानी जाती थी लेकिन मेडिकल साइंस ने इसका भी उपचार ढूंढ निकाला है। लेकिन यह बीमारी अभी भी बहुत खतरनाक है क्योंकि इसकी दवा बहुत कम लोगों तक पहुंच पाती हैं। 1981 से 2012 तक एड्स के कारण दुनिया भर में तीन करोड़ से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 
 
worldbank.org के मुताबिक, 2012 के सर्वे में 2.61 प्रतिशत महिला सेक्स वर्कर्स को एड्स हुआ। वहीं पुरुष के साथ सेक्स करने वाले 5.01 प्रतिशत पुरुषों को एड्स हुआ। 5.91 प्रतिशत नशीली दवाओं के इंजेक्शन लगाने वालों को और सबसे ज्यादा 18.80 प्रतिशत ट्रांसजेंडर्स को एड्स हुआ। भारत के एक प्रांत मिजोरम में 1990 से अब तक एचआईवी एड्स से 1,300 लोगों की मौत हो चुकी है।
 
उल्लेखनीय है कि एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब लोग एड्स समझते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। जो एचआईवी पॉजिटिव हैं उन्हें एड्स नहीं हुआ है। HIV (ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस) ऐसा वायरस है जिसकी वजह से एड्स होता है। जिस इंसान में इस वायरस की मौजूदगी होती है, उसे एचआईवी पॉजिटिव कहते हैं।
 
इस वायरस शरीर में आने पर कमजोरी आने लगती है और कई बीमारियां होने लगती हैं। 8-10 सालों में बीमारियों के लक्षण साफ दिखने लगते हैं। ऐसे में एड्स होने की स्थिति पैदा होती है। HIV पॉजिटिव होना और एड्स अपने आप में बीमारी नहीं है। HIV पॉजिटिव होने की वजह से शरीर कमजोर हो जाता है और बीमारी से लड़ने लायक नहीं होता जिसकी वजह से कई बीमारियां लग जाती हैं। 
 
इन वजहों से होता है एड्स : अनसेफ सेक्स (बिना कनडोम के) करने से, संक्रमित खून चढ़ाए जाने  से, HIV पॉजिटिव महिला के बच्चे में, एक बार इस्तेमाल की जानी वाली सुई को दूसरी बार इस्तेमाल करने से और इन्फेक्टेड (प्रदूषित) ब्लेड यूज करने से भी यह बीमारी जन्म लेती है।
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