यूरोप में अब तक सदी के भीषण आतंकी हमलों में से एक वर्ष 2004 में स्पेन का इटोका ट्रेन बॉम्बिंग्स का देश में अत्यधिक भीषण था। उस समय के जिहादी हमले के बाद विचार किया गया था कि क्या स्पेन की जमीन पर एक और आतंकी हमला होगा और यह हमला कब होगा?
देश में इस आतंकवादी हमले को रोकने के लिए देश के शीर्ष पदाधिकारी से लेकर हजारों अधिकारी तब लगे थे लेकिन कई ऐसे कारण हैं जिनके चलते यूरोप और स्पेन आतंकवादी हमलों का केन्द्र बिंदु (क्रॉस हेयर्स) बने हुए हैं। वैसे भी जिहादी खतरा दुनिया का ऐसा वैश्विक और बहुआयामी आतंकवादी खतरा है, जिसने यूरोप के कई देशों में अपनी जड़ें जमा ली हैं और इन देशों में वह जब चाहे तब हमला कर सकता है।
विदित हो कि स्पेन के इस आतंकवादी हमले को टालने के लिए सुरक्षाबलों के तीन हजार से अधिक अधिकारियों, जासूसों, प्रॉसीक्यूटर्स, जजों और जानकार विश्लेषकों ने इसी प्रश्न पर गहन चिंतन, मनन कर रिपोर्ट बनाई थी कि स्पेन में अगला आतंकी हमला कब होगा?
विदित हो कि यूरोप में ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, इटली कुछेक ऐसे देशों में शामिल हैं जो कि अपनी नीतियों के कारण हमेशा ही इस खतरे के मुहाने पर बैठे हुए हैं, लेकिन फिर भी स्पेन में बार्सिलोना में हुए आतंकी हमले को रोकने की पर्याप्त तैयारी नहीं थी जबकि यूरोप में आतंकवाद की 'चुपचाप सेना' अपना काम लगातार कर रही है। इतना ही नहीं, आतंकवादी हमले के दौरान हमला रोकने की प्रक्रिया जारी है।
गोपनीय सरकारी सूचनाओं के मुताबिक एक हजार से ज्यादा लोग स्पेनिश पुलिस, सुरक्षा बलों के निशाने पर हैं और इनमें से भी 259 लोगों की जांच विभिन्न न्यायालयों में चल रही है। दर्जनों जांच प्रक्रियाओं के तहत 500 टेलीफोन्स की जांच की जा रही है और इनमें से दर्जनों फोन लगातार टेप किए जा रहे हैं। यह मिशन इतना जटिल और आसानी से समझ में न आने वाला था कि देश की आतंकवादी रोधी सेवाएं और सरकार के सामने मात्र एक ही चिंताजनक निष्कर्ष यह था कि देश पर नया आतंकवादी हमला होने वाला है। लेकिन मात्र यह तय नहीं था कि यह कहां और कैसे होगा?
विदित हो कि समय के साथ आतंकवादी तरीके में अंतर आया है। पहले आतंकवादी गोला, बारूद की मदद से हमला करते थे, फिर जमाना बम विस्फोटों का आया जिनमें वाहनों का भी प्रयोग होता था, लेकिन अब भीड़ भरी जगहों या पुलों पर वाहनों को दौड़ा दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन और अन्य देशों में जो आतंकवादी हमले हुए हैं, उनमें यही तरीका अपनाया गया है और स्पेन भी इसका अपवाद नहीं है।
अब सबसे बड़ा सवाल उठता है कि इस आतंकवादी हमले से बचने के लिए स्पेन ने क्या किया? स्पेन ही क्या यूरोप के अन्य देश कैसी तैयारी कर रहे हैं? लेकिन इन देशों में यह सवाल किया जाता है कि आप ऐसे दुश्मन का कैसे सामना करेंगे जिसका कोई ढांचा या संगठन नहीं है। पर स्पेन में ही 11 मार्च, 2004 को सब कुछ बदल गया था। इस ट्रेन बम कांड में 192 लोगों की मौत हुई थी। इसमें अल कायदा से प्रेरित सेल (गुट) के लोगों ने यात्री ट्रेनों में विस्फोटक उपकरण लगाए और उनमें विस्फोट करा दिया।
तब किसी ने भी विश्वास नहीं किया था कि यह विश्वसनीय रूप से जिहादी खतरा था जिसकी जांच करने के लिए मात्र 140 अधिकारियों को जांच का काम सौंपा गया था। ये अधिकारी सिविल गार्ड, नेशनल पुलिस और नेशनल इंटेलिजेंस सेंटर (सीएनआई) से जुड़े थे। इन्हें तथाकथित सशस्त्र इस्लामिक ग्रुप (जीआईए) या सलाफी ग्रुपों की जांच में लगाया गया था जोकि अपने मुजाहिदीनों की भर्ती कर रहे थे या लोगों को सलाफी उपदेशों का महत्व समझा रहे थे। तब एंटी-टेररिस्ट सेवाओं ने निष्कर्ष निकाला था कि स्पेन की धरती पर एक और हमला होगा जोकि अपरिहार्य है।
उस दौरान छानबीन, पूछताछ के दौरान पता चला कि स्पेन में अल-कायदा का संस्थापक इमाद एदीन बरकत है जिसे तब अबू दाहदा के नाम से जाना जाता था। वह तब मैड्रिड के बराहज हवाई अड्डे पर जिहादियों को बोस्निया, चेचन्या या अफगानिस्तान के लिए विदाई देने के लिए आता था। इन आतंकवादियों में से अगर कोई घायल हो जाता था तो वह इन आतंकवादियों का स्पेन के सरकारी अस्पतालों में इलाज करा देता था।
तब सीरियाई-स्पेनिश माता-पिता की संतान दाहदा बेरोकटोक और बिना किसी शंका के अपनी गतिविधियों को चलाता था और अपने गुट के लोगों का नेतृत्व करता था। उस समय मैड्रिड के हवाई अड्डे पर मौजूद लोगों में से किसी ने भी सोचा नहीं होगा कि लड़ाई के मैदानों से लौटकर आने वाले दाढ़ी वाले लड़ाकों को हथियार और विस्फोटक चलाने की ट्रेनिंग स्पेन में ही दी जाती है। कोई यह भी नहीं सोचता था कि ये लोग ही उनकी सुरक्षा के लिए कितना बड़ा खतरा हो सकते हैं?
लेकिन, इस खतरे को लेकर पूर्वानुमान न लगाने का सच तब उजागर हो गया जबकि इटोका की ट्रेनों के विस्फोटों में क्षतिग्रस्त डिब्बों से 192 लोगों के शव बरामद किए गए। इसके बाद से, स्पेन, यूरोप में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने के मामले में अग्रणी रहा है। सारे यूरोप के देशों में इसके आंकड़ों पर ध्यान दिया जाने लगा। इस घटना के बाद 700 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया, दर्जनों को सजाएं सुनाई गईं और 120 लोगों को जेल में डाल दिया गया।
इसका परिणाम यह हुआ कि पिछले 13 वर्षों के दौरान कोई आतंकवादी हमला नहीं किया गया। हमलों की ऐसी कई योजनाओं को असफल बना दिया गया जिनमें से ज्यादातर शुरुआती चरणों में थीं और जिन्हें क्रियान्वित नहीं किया जा सका। अब सीएनआई के सामने सबसे बड़ी चुनौती दुश्मन की पहचान करना है। सोशल नेटवर्क्स को खंगालने के लिए सैकड़ों की संख्या में एजेंट अपना समय लगाएं। छोटी-छोटी मस्जिदों की जांच करें, उनकी जानकारी देने वाले भेदिए नियुक्त करें और तथाकथित आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट) के लोगों, अल कायदा एजेंटों, उनके सेवकों और सहायकों की पूरी जानकारी हासिल करें।
शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि अब से सीक्रेट सर्विस अपने संसाधनों के बारे में कोई जानकारी नहीं देगी और देश के उपप्रधानमंत्री सोराया साएंज द सांतामारिया का कहना है कि अकेले जिहादी खतरे का सामना करने के लिए वर्ष 2020 तक देश में 600 नए अधिकारियों की भर्ती होगी। देश में काउंटर- टेररिज्म डिवीजन को बढ़ाया जा रहा है और इसे सबसे ज्यादा विशेष रिजर्व फंड्स भी दिया जा रहा है।
हाल ही में अन्य देशों में हुए आतंकी हमलों से यह बात जाहिर होती है कि यह समस्या कितनी भयानक और बड़ी है। स्पेनिश अधिकारियों का कहना है कि ब्रिटिश खुफिया सेवा एमआई 5 और एमआई 6 को सलमान आबेदी के बारे में पांच बार चेतावनी दी गई थी जिसने कुछेक समय पहले मैनचेस्टर एरीना में एक एरियाना ग्रेंड कंसर्ट में खुद को बम विस्फोट से उड़ा लिया था। इस पुलिस प्रमुख ने स्वीकार किया कि हमें इतनी बड़ी संख्या में चेतावनियां मिलती हैं कि इनमें से सभी पर ध्यान देना संभव नहीं है।'
उदाहरण के लिए, उत्तरी अफ्रीका के मेलिला शहर में जो कि देश के मुख्य भाग से अलग थलग और स्पेनिश बहुल बाहरी क्षेत्र में है, 400 लोग ऐसे हैं जिन्हें गोलियों का निशाना बनाया जा सकता है। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो कि उग्रवादियों के सहयोगी हैं। हालांकि सिविल गार्ड के एक अधिकारी का कहना है कि चार सौ लोग राडार पर हैं लेकिन सभी को संभावित आतंकवादी भी नहीं माना जाता है और हम खुफिया जानकारी हासिल करने पर बहुत पैसा भी खर्च करते हैं।
शहर के 12 वर्ग किमी में पांच विभिन्न सेवाओं के ठिकाने हैं जिनमें सीएनआई, द नेशनल पुलिस, द सिविल गार्ड, द मोरक्कान जनरल डायरेक्ट्रेट फॉर टेरिटोरियल सर्वायलेंस (डीएसटी) और इसराइल की मोसाद का ऑफिस है। सीटा (स्पेनिश में सियुटा) नाम के स्पेनिश एक्सक्लेव शहर में कम से कम 600 लोग ऐसे हैं जो कि संभावित तौर पर उग्रवादी हो सकते हैं। ये लोग त्राजल (स्पेनिश में तरहाल) नाम सीमावर्ती नगर से आते-जाते रहते हैं। विदित हो कि यहां से स्पेन का पहला आत्मघाती हमलावर, राशिद वाहबी (33) और बहुत से युवा यहां से सीरिया, इराक गए थे जिन्होंने इसे आत्मघाती पैदा करने का स्थान बना दिया था।
शहर के बारे में एक अधिकारी का कहना है कि 'हम सुरक्षा के बहुत सारे उपाय करते हैं लेकिन जब वे सीमा में दाखिल हो जाते हैं तो हम उन्हें पकड़ नहीं पाते हैं।' माद्रिद (अंग्रेजी में मैड्रिड), बार्सिलोना (बार्सीलोना), सीटा (सियुटा) और मेलिला (मेलीला) स्पेन से सर्वाधिक खतरनाक शहरों में गिने जाते हैं। इन शहरों में कम से कम 150 ऐसे लड़ाके रहते हैं जो कि सीरिया में रहने के लिए वहां जा चुके हैं। लेकिन एक पुलिस प्रमुख का कहना है कि उत्तरी अफ्रीकी शहरों के इन बाहरी क्षेत्रों में हमलों का डर नहीं है। उनका कहना है कि वे छोटे शहर हैं, अच्छी तरह से नियंत्रित हैं और इनमें मुस्लिमों को मार सकते हैं।
लेकिन, खुफिया सूत्रों की चेतावनी रही है कि माद्रिद और बार्सिलोना ऐसे व्यस्त शहर हैं जिन्हें निशाना बनाया जा सकता है और गर्मियों में होने वाले म्युजिक कंसर्ट विशेष रूप से चिंता का विषय हैं। जब एक पुलिस प्रमुख से पूछा गया कि तब पिछले तेरह वर्षों में स्पेन पर कोई आतंकी हमला नहीं हुआ? ऐसा होने का कारण सावधानी के तौर पर की गई गिरफ्तारियां हैं। 'मुस्लिम समुदाय और कट्टरता का स्तर एक जैसा नहीं है। विदेशी लोगों से डर ने उन्हें जकड़ लिया है और सीरिया, इराक जाने वाले लड़ाकुओं की तुलना में जोखिम ज्यादा कम है। हमारे लोगों के मामलों में ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है।
इस मामले में एक उग्रवाद रोधी जानकार का कहना है कि यह कई कारकों का संयोजन है। जिस तरह से फ्रांस में उनकी बस्तियां हैं, वैसी हमारे लिए यहां नहीं हैं। यहां मुस्लिम आबादी का एकीकरण अधिक है और यहां पैदा होने वालों की दूसरी पीढ़ी है। कट्टरता बहुत ज्यादा नहीं है और अगर एकीकरण शत प्रतिशत होता तो ऐसी कोई प्रवृति ही नहीं उभरती। जिस सूत्रों से इस विषय पर बातचीत की गई, उनका कहना है कि मोरक्को के साथ सहयोग के चलते यह आतंकवादी उत्पीड़न नहीं हो पाता है। इस तरह की यात्रा में वह एक आरामदेह और शानदार साथी है।
इस तरह की जानकारी जिस पुलिस अधिकारी ने दी है वह डीएसटी (डेलाइट सेविंग टाइम) के साथ मिलकर काम करता है। सूत्रों का कहना है कि सीटा और मेलिला में सिविल गार्ड इतने अधिक सकारात्मक नहीं है, लेकिन मोरक्को के साथ ने उग्रवाद नहीं पनपाया है। फिर भी स्पेन की हाई कोर्ट में आतंकवाद मामलों की लोक अभियोजक और समन्वयक डेलारेस डेलगाडो मानती हैं कि स्पेन पर एक और आतंकी हमले का खतरा बरकरार है, लेकिन उनका तर्क है कि हमारा देश सूचनाओं को सबसे अच्छे तरीके से इस्तेमाल करता है और हम कोई भी तथ्य बिना जांच के नहीं छोड़ते हैं। स्पेन का मुस्लिम समुदाय पुलिस कार्रवाई की प्रशंसा करता है, लेकिन ज्यादातर प्रयास सुरक्षा को लेकर हैं शिक्षा के नहीं, जबकि हमें सामाजिक उपायों की ज्यादा जरूरत है।