• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. प्रेरक व्यक्तित्व
  4. Jyotiba Phule Death Anniersary
Written By

28 नवंबर : समाजसेवी महात्मा ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि

28 नवंबर : समाजसेवी महात्मा ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि - Jyotiba Phule Death Anniersary
Jyotiba Phule : आज भारत के महान क्रांतिकारी ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि है। आइए जानते हैं उनके बारे में... 
 
महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था। ज्योतिबा फुले के पिता का नाम गोविंदराव तथा माता का नाम चिमणाबाई था। उनका परिवार सतारा से पुणे आकर कई पीढ़ी पहले ही फूलों का काम करने लगा था और इसलिए माली के काम में लगे इन लोग 'फुले' के नाम से जाने जाते थे।
 
उनका अध्ययन मराठी भाषा में हुआ था। ज्योतिबा बहुत बुद्धिमान थे। वे महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे। ज्योतिराव गोविंदराव फुले ने अपने जीवन काल में देश से छुआछूत खत्म करने और समाज को सशक्त बनाने के लिए अहम किरदार निभाया। 
 
उन दिनों महाराष्ट्र में धार्मिक सुधार आंदोलन जोरों पर था। तब जाति-प्रथा का विरोध करने और एकेश्‍वरवाद को अमल में लाने के लिए ‘प्रार्थना समाज’ की स्थापना की गई थी, उस समय महाराष्ट्र में जाति-प्रथा बड़े ही वीभत्स रूप में फैली हुई थी। प्रार्थना समाज के प्रमुख गोविंद रानाडे और आरजी भंडारकर थे। 
 
ज्योतिबा फुले का विवाह सन् 1840 में सावित्रीबाई से हुआ था। उस जमाने में स्त्रियों की शिक्षा को लेकर लोग बहुत उदासीन थे, अत: ऐसे समय में ज्योतिबा ने समाज को कुरीतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए। 
 
ज्योतिबा के कई प्रमुख सुधार आंदोलनों के अतिरिक्त हर क्षेत्र में छोटे-छोटे आंदोलन जारी थे, जिसने सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर लोगों को परतंत्रता से मुक्त करने का कार्य किया था। 
 
ज्योतिबा ने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोद्धार का काम आरंभ किया था तथा पुणे में लड़कियों के लिए भारत की पहला विद्यालय खोला। अत: लड़कियों और दलितों के लिए पहली पाठशाला खोलने का श्रेय ज्योतिबा फुले को दिया जाता है।
 
लोगों में नए विचार, नए चिंतन की शुरुआत, और आजादी की लड़ाई में उनके संबल बनने का श्रेय भी ज्योतिबा को ही जाता है। ज्योतिबा ने किसान और मजदूरों के हकों के लिए भी संगठित प्रयास किया था। ऐसे महान समाजसेवी ने अछूतोद्धार करने के लिए सत्यशोधक समाज स्थापित किया था। उन्हें सन् 1888 में 'महात्मा' की उपाधि दी गई। 
 
ज्योतिबा फुले का निधन 63 साल की उम्र में 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुआ था।
ये भी पढ़ें
क्या ECG नॉर्मल आने के बाद हार्ट अटैक आ सकता है? जानें एक्सपर्ट की राय