- घुमक्कड़
इंदौरी भी अजीब होते हैं। खूब बारिश होती है तो ये देखने को निकल पड़ते हैं कि कहां-कहां पानी भराया है और साथ में कचोरी-पोहे भी सूत लेते हैं। अयोध्या फैसला आने के पहले शहरवासी थोड़े घबराए हुए थे, तो शहर में भीड़-भाड़ कम ही थी। कुछ इंदौरी माहौल देखने के लिए ही बाहर निकल पड़े कि देखें क्या माहौल है? कौन-सी दुकान खुली है और कौन सी बंद है।
राजबाड़े, जवाहर मार्ग, मुकेरी पुरा, बंबई बाजार और रीगल चौराहे का क्या हाल है? यहां पर शहर का दिल धड़कता है। शहर की खुशी और उदासी इन जगहों पर जाने से ही महसूस होती है। तो लालबाग से गाड़ी दौड़ा दी गई।
दोपहर को 12 बजे यदि गाड़ी चौथे गियर में चल रही थी तो समझ आ रहा था कि सड़कों पर भीड़ कम है। स्कूल-कॉलेज बंद होने से वैसे भी शहर का ट्रैफिक कम हो जाता है। बैंक और कुछ सरकारी दफ्तरों पर छुट्टी के कारण ताला था। बच्चों को घरवालों ने घर में ही कैद कर रखा था।
शॉपिंग का आज कोई मूड नहीं था। शहर के बाहर के खरीददार और व्यापारी आज अपने ही कस्बों में सिमटे थे। इसी कारण शहर की रफ्तार सुस्त थी, लेकिन दहशत या भय का कोई माहौल नहीं था। सुकून सा लग रहा था।
गाड़ी क्लेक्टर ऑफिस के सामने से निकलते हुए हरसिद्धी मंदिर तक जा पहुंची, लेकिन दो किलोमीटर के एरिये में मात्र एक पुलिस वाला नजर आया। हरसिद्धी मंदिर के बाहर भी कोई पुलिस मौजूद नहीं थी।
राजबाड़ा क्षेत्र में वाहनों को प्रवेश नहीं था। बैरिकेट्स लगे थे और कोई जाने की जिद भी नहीं कर रहा था। ऐसा लग रहा था कि पूरे शहर के नागरिक आदर्श बन गए हैं। सभी ने अयोध्या का फैसला स्वीकार कर लिया है और अमन-शांति के साथ देश की तरक्की चाहते हैं।
दुकानें आधी से ज्यादा बंद थी। कुछ व्यापारी फैसले के बाद दुकान खोलते नजर आए। जवाहर मार्ग से रोजाना करोड़ों रुपये इधर के उधर होते हैं, लेकिन वहां पर हम जैसे माहौल देखने वाले लोग ही ज्यादा थे।
पुलिस की जीप घूम रही थी जो ऐलान कर रही थी कि धारा 144 लगी है, 5 से ज्यादा लोग इकट्ठे ना हो, लेकिन जीप के सामने ही कई समूह में कई लोग बैठे हुए थे। पुलिस देखते हुए भी अनदेखी कर रही थी क्योंकि उन्हें भी माहौल में कुछ भी खतरनाक सूंघने को नहीं मिल रहा था। लोग भी खतरनाक योजना नहीं बना रहे थे बल्कि हंसी-ठिठोली के साथ वक्त काट रहे थे।
जवाहर मार्ग पर गणेश कचोरी वाले के यहां भीड़ उमड़ी हुई थी। 144 धारा लगने के बावजूद ढेर सारे लोग कचोरी खा रहे थे। चाय पी रहे थे। इंदौरी अपना खाने-पीने का धर्म भला कैसे भूल सकते हैं? फ्रूट मार्केट में दुकानें सजी हुई थी, लेकिन ग्राहक नदारद थे। मुंबई बाजार में जरूर सख्ती नजर आई। बंदोबस्त जबरदस्त था। ढेर सारे पुलिस वाले थे। बैरिकेट्स लगे हुए थे। लेकिन पुलिस इत्मीनान से बैठी हुई थी। लोग चहलकदमी कर रहे थे।
मुकेरी पुरा संवेदनशील इलाका माना जाता है, लेकिन वहां तो पुलिस नदारद थी। मालगंज चौराहे पर पान की दुकान पर लोग गप्पे हांक रहे थे। मिश्री स्वीट्स हो या अपना स्वीट्स लोगों की आवाजाही चालू थी। रीगल चौराहे, स्टेशन, पटेल ब्रिज़ शास्त्री ब्रिज, एमटीएच कंपाउंड, महू नाका में सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था। बाइक सुधारने वाला इमरान भी बेफिक्री से अपने काम में लगा हुआ था।
माहौल देख कर समझ आया कि शहर के नागरिकों ने समझदारी का परिचय दिया। माहौल में शांति है। इसीलिए पुलिस भी रिलैक्स है। कहीं किसी किस्म का तनाव नजर नहीं आया। शाम तक ज्यादातर दुकानें खुल सकती हैं। हां, यदि खाने-पीने की दुकान खुली नहीं होती तो हो सकता है कि इंदौरी भड़क जाते।