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Last Modified: मंगलवार, 25 अप्रैल 2023 (13:10 IST)

आदि शंकराचार्य किसकी पूजा करते थे?

आदि शंकराचार्य किसकी पूजा करते थे? - Adi shankaracharya jayanti 2023
Adi Shankaracharya : आदि शंकराचार्य को चारों वेद, सभी उपनिषद, रामायण और महाभारत कंठस्थ थी। शंकराचार्य ने सुप्रसिद्ध ब्रह्मसूत्र भाष्य के अतिरिक्त ग्यारह उपनिषदों पर तथा गीता पर भाष्यों की रचनाएं की एवं अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथों स्तोत्र-साहित्य का निर्माण कर वैदिक धर्म एवं दर्शन को पुन: प्रतिष्ठित करने के लिए अनेक श्रमण, बौद्ध तथा हिंदू विद्वानों से शास्त्रार्थ कर उन्हें पराजित किया था।
 
शंकराचार्य के दर्शन को अद्वैत वेदांत का दर्शन कहा जाता है। उन्होंने ही इस ब्रह्म वाक्य को प्रचारित किया था कि 'ब्रह्म ही सत्य है और जगत माया।' आत्मा की गति मोक्ष में है।...इसका अर्थ यह है कि वे निराकार ब्रह्म को ही सत्य मानकर उन्हीं की उपासना करते थे। परंतु लोग उन्हें शिवजी का अवतार भी मानते थे।
 
उन्होंने जिस दशनामी संप्रदाय की स्थापना की थी वे सभी भगवान शिव के उपासक हैं। हालांकि, उनका सिद्धांत शैववाद और शक्तिवाद से बहुत दूर है। उनके कार्यों के अनुसार वे वैष्णववादी माने जाते हैं, परंतु आदि शंकराचार्य द्वारा शिव मानस स्तुति की रचना की गई है जिससे यह सिद्ध होता है कि वे शिव के उपासक थे। आदि शंकराचार्य की मां भी शिवजी की उपासक थीं। इसी के साथ ही उन्होंने कई शिव मंदिरों के जिर्णोद्धार के लिए भी कार्य किया था। केदारनाथ में ही उन्होंने समाधी ली थी। 
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