मार्गशीर्ष महीने का महत्व: मार्गशीर्ष मास हिन्दू पंचांग का नौवां महीना है। इसे अगहन या अग्रहायण मास भी कहा जाता है। इसका महत्व निम्नलिखित कारणों से है:
1. साक्षात् श्री कृष्ण का स्वरूप:
श्रीमद्भगवद्गीता का कथन: भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के दसवें अध्याय (विभूतियोग) में कहा है: 'मासानां मार्गशीर्षोऽहम्' (अर्थात: महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं।) यह कथन दर्शाता है कि यह महीना सीधे भगवान कृष्ण को समर्पित है और इस माह में उनकी भक्ति का फल कई गुना बढ़ जाता है।
2. स्नान, दान और तप का विशेष फल:
पवित्र नदी स्नान: इस महीने में पवित्र नदियों, विशेषकर यमुना और गंगा में स्नान करने का विधान है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दान का महत्व: इस माह में किया गया दान, पुण्य और सेवा अन्य महीनों की तुलना में कई गुना अधिक फल प्रदान करता है।
3. पूर्वजों और देवताओं की प्रसन्नता:
मार्गशीर्ष मास की अमावस्या या अगहन अमावस्या पितरों की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए अत्यंत शुभ मानी गई है। इस माह में तर्पण करने से पितृ दोष दूर होता है। माना जाता है कि सतयुग में इसी मास की प्रथम तिथि को देवताओं ने वर्ष का प्रारंभ किया था, इसलिए यह देवताओं के लिए भी प्रिय है।
मोक्ष मार्ग के उपाय: मार्गशीर्ष मास में कुछ विशेष धार्मिक अनुष्ठान और उपाय करने से व्यक्ति को मन की शुद्धि, पापों से मुक्ति और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है:
1. प्रमुख ग्रंथों का पाठ: मोक्ष मार्ग के लिए तीन प्रमुख ग्रंथों का पाठ अमोघ फलदायी माना गया है:
विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र (Vishnu Sahasranama): भगवान विष्णु के हजार नामों का पाठ करने से मन शांत होता है, पापों का नाश होता है और भगवान की कृपा मिलती है।
श्रीमद्भगवद्गीता (Bhagavad Gita): प्रतिदिन गीता का एक अध्याय या कम से कम एक श्लोक पढ़ने से जीवन को सही दिशा मिलती है और मोक्ष का ज्ञान प्राप्त होता है।
गजेंद्र मोक्ष (Gajendra Moksha): इसका पाठ करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और जीवन के संकट दूर होते हैं।
2. तुलसी पूजा और सेवा:
तुलसी मंजरी: इस महीने में तुलसी की मंजरी सहित भगवान कृष्ण की आराधना करने वाले भक्त सौ जन्मों तक मोक्ष के भागी होते हैं और उन्हें सौभाग्य और धन की कमी कभी नहीं होती।
3. अभिषेक और मंत्र जाप:
दूध से अभिषेक: अगहन मास में भगवान कृष्ण या विष्णु का अभिषेक दूध से करवाने पर बड़े से बड़ा पाप भी कट जाता है।
शंख ध्वनि: दुग्धाभिषेक के समय शंख बजाने से पितरों को स्वर्ग में विशेष सम्मान प्राप्त होता है।
मंत्र जाप: स्नान करते समय या पूजा के दौरान 'ॐ नमो नारायण' या गायत्री मंत्र का उच्चारण करना विशेष फलदायी होता है।
4. दान और सेवा कार्य:
अन्न-वस्त्र दान: मार्गशीर्ष मास में गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, कम्बल, गुड़ आदि का दान करने से धन में वृद्धि होती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
पशु-पक्षी सेवा: गाय, कुत्ते, कौवों और चींटियों को भोजन कराना भी इस माह में अत्यंत फलदायी माना जाता है।
इन उपायों को सच्चे मन से अपनाने वाला व्यक्ति जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करता है और अंततः भगवान विष्णु के लोक में स्थान पाता है।
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