Amla navami : इस बार 10 नवंबर, दिन रविवार को आंवला या अक्षय नवमी का त्योहार मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री विष्णु का सबसे प्रिय फल आंवला है और आंवले के वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का निवास माना गया है।
इस दिन को अक्षय नवमी धात्री और कूष्मांडा नवमी के नाम से भी जनमानस में जाना जाता है। मतानुसार कार्तिक शुक्ल नवमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष पर निवास करते हैं। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर आंवला वृक्ष, भगवान भोलेनाथ तथा श्रीहरि विष्णु-लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
Highlights
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10 नवंबर को आंवला नवमी।
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अक्षय नवमी कब है?
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आंवला नवमी पर कैसे की जाती है पूजा?
आइए यहां जानते हैं आंवला नवमी की पूजा विधि के बारे में खास जानकारी :
आंवला नवमी की पूजा कैसे करें, जानें पूजा विधि: amla navami 2024 par puja kaise karen
• 10 नवंबर, रविवार को यानि कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करें।
• आंवला नवमी के पूजन हेतु आवश्यक सामग्री इकट्ठा करें, उसमें आंवला जरूर शामिल करें।
• आंवला नवमी पर खीर, पूड़ी, सब्जी और मिष्ठान आदि बनाएं।
• इसके बाद पूजा सामग्री और बने पकवान लेकर आंवले के वृक्ष के नीचे जाएं।
• आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा में बैठकर आंवले के पेड़ का पूजन करें, आंवले की जड़ में दूध अर्पित करें।
• फिर आंवले के वृक्ष का पूजा करते समय हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, चंदन आदि चढ़ाएं।
• अब पेड़ के चारों ओर तने में पीला कच्चा सूत या मौली बांधकर 8 बार लपेटें।
• कर्पूर या शुद्ध घी से आरती करते हुए 7 बार आंवले के वृक्ष की परिक्रमा करें।
• इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण अवश्य करें।
• साथ ही पितरों के नाम से ऊनी वस्त्र और कंबल आदि का दान करें।
• आंवले के पेड़ के के नीचे पूर्वाभिमुख बैठकर मंत्र 'ॐ धात्र्ये नमः' और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का 108 बार जाप करें।
• पूजा के बाद आंवला नवमी की कथा पढ़ें या सुनें।
• पूजा-अर्चना के बाद बने हुए खाने के पकवानों से भगवान श्री विष्णु को भोग लगाएं।
• आंवला पूजन के बाद पेड़ की छांव में ब्राह्मण भोज कराएं।
• उसके बाद परिवारसहित आंवला वृक्ष के निकट बैठकर भोजन करें।
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