मंगलवार, 26 नवंबर 2024
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प्रेम कविता : गीत बनकर वो आने लगे

प्रेम कविता : गीत बनकर वो आने लगे - prem geet
गीत बनकर वो आने लगे
गीत बनकर वे आने लगे
अधरों पर मुस्कुराने लगे
राज अंखियन का क्या कहूं मैं
उनके नैना कजरारे लगने लगे
गीत बनकर वे आने लगे
गीत बनकर वे आने लगे।
गजल बन कर गुनगुनाने लगे
राज दिल का कहूं मैं क्या 
हिचकी बनकर वो सताने लगे
अधरों पर वे मुस्कुराने लगे
गीत बनकर वे आने लगे।
आइनों ने जब देखा उन्हें
वो खुद ही शरमाने लगे
डूब जाने लगा हूं खुद ही मैं
मुझको वो मैखाने लगने लगे
और हम डूब जाने लगे।
अधरों पर वे मुस्कुराने लगे
गीत बनकर वे आने लगे।