ख़ुशबू उड़ाती, रंगतवाली
तेज़ चटकती अदरकवाली
दूधो नहाती है, छनछन उबलती है
बलखाती इतराती प्याली में उतरती है
गुलज़ार लम्हों सी होती है चाय
इतवार की नींद सी होती है चाय
चाहे जितनी मिल जाए दिल कहता है... थोड़ी और, थोड़ी और
अलसाती सुबह में गुड मॉर्निंग वाली
दोस्तों की महफ़िल में 'एक और' वाली'
भाप उड़ाती प्याली में छनती है
ठण्ड से ठिठुरते हाथों को चूमती है
नर्म रजाई सी होती है चाय
जाड़े की धुप सी होती है चाय
चाहे जितनी मिल जाए दिल कहता है... थोड़ी और, थोड़ी और
ऑफिस की चटोरी गॉसिप वाली
कभी इश्क़-मुहब्बत, लव वाली
यादों की ख़ूबसूरत एल्बम होती है
किस्से कहानियों का जमघट होती है
अपनों के साथ सी होती है चाय
बुजुर्गों की दुआओं सी होती है चाय
चाहे जितनी मिल जाए दिल कहता है...थोड़ी और, थोड़ी और...