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हिंदी पत्रकारिता दिवस पर कविता : कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार

हिंदी पत्रकारिता दिवस पर कविता : कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार - Poem on Hindi Journalism Day
कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार अपना कर्म निभाते,
वे भोर की प्रथम किरण से जाग जाते।
रात्रि के अंत तक सब खबर खोज लाते,
निष्पक्ष भाव से हम तक सूचना पहुंचाते।।
 
वे न किसी से डरते, न ही वह सहमते,
कठिन स्थिति में भी जाकर वृतांत लेते।
दिन-रात घूमते, मौसमों के थपेड़े झेलते,
हमें जानकारियां मिले वे सदा जुटे रहते।।
 
सबकी खट्टी-मीठी, कड़वी बातें सुनते,
पर देशहित सर्वोपरी भाव से डटे रहते।
ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, छोटे या बड़े,
बहुजन हिताय मनःभाव, भेद न करते।।
 
धर्म-मजहब से ऊपर उठकर बातें करते,
वे कब, क्या, क्यों, कहां, कैसे सब कहते।
नभ, जल, थल के सब हालचाल ले आते,
अकाल, महामारी, युद्ध क्षेत्र में भी चलते।।
 
वे नेता-अभिनेता, पदशाही से नहीं झेपते,
जनता का भला हो कैसे? यह प्रश्न पूछते।
पत्रकार नित्य लिखते तो नव विचार गढ़ते,
पेचीदा बातें सरलता से समझा कर कहते।।
 
राष्ट्रहित में वे नित, नए आयाम वे गढ़ते,
लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी सदा सजग रहते।
वंदन हम 'पत्रकारों' के कार्यों को करते,
उन्हें पत्रकारिता दिवस पर बधाईयां देते।।
 
हिंदी पत्रकारिता दिवस पत्रकार बंधु/भगीनी को अनंतकोटी शुभकामनाएं।

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