बारिश के मौसम पर कविता : वर्षा रानी की सौगातें
बादलों से उतरी झमाझम बौछार से।
अंबर से धरती पर बरसते प्यार से।
प्रकृति के हरियालिवी श्रृंगार से।
गुदगुदाती पवन के संग नशीली फुहार से।
कौन है जिसका न झूम जाए मन ।1।
नदियां व झील, सरोवर लगे भरने।
नया जीवन पा उमंग उठे झरने।
झूम उठे सब वृक्ष-लता नहा धोकर,
पक्षियों के दल लगे गुंजन करने।
प्रकृति का हर ओर-छोर आनंद मगन।2।
नए अंकुर खेतों का श्रृंगार करें।
कृषक मन में नई उमंगे उभरें।
मौसम की अनुकूलताओं के वरदानों से
मनकामनाओं की पूर्ति की फसलें लहरें।
वर्षा रानी की सौगातों से बिखरा चहुं ओर नया जीवन।3।