सोमवार, 21 अक्टूबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. सेहत
  3. हेल्थ टिप्स
  4. swine flu
Written By

कोरोना और बर्ड फ्लू के संक्रमण काल में स्‍वाइन फ्लू से बचना भी है जरूरी

कोरोना और बर्ड फ्लू के संक्रमण काल में स्‍वाइन फ्लू से बचना भी है जरूरी - swine flu
कोरोना संक्रमण से अभी निपटे ही नहीं थे कि देश के कई राज्‍यों में बर्ड फ्लू का खतरा सामने आ गया है। ऐसे में दूसरी संक्रामक बीमारियों से भी हमें सावधान रहना चाहिए। स्‍वाइन फ्लू एक ऐसा ही संक्रमण है जिसके बारे में सतर्क रहना और उसके इलाज के बारे में जानना बेहद जरूरी है।

स्वाइन फ्लू एक तेजी से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है जिससे बचने के लिए आपको इसके बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक है। यहां जानिए स्वाइन फ्लू के कारण लक्षण और उपचार -

क्‍या है स्‍वाइल फ्लू
1. स्वाइन फ्लू एक तीव्र संक्रामक रोग है, जो एक विशिष्ट प्रकार के एंफ्लुएंजा वाइरस (एच-1 एन-1) के द्वारा होता है।
2. प्रभावित व्यक्ति में सामान्य मौसमी सर्दी-जुकाम जैसे ही लक्षण होते हैं, जैसे -
  • नाक से पानी बहना या नाक बंद हो जाना।
  • गले में खराश।
  • सर्दी-खांसी।
  • बुखार।
  • सिरदर्द, शरीर दर्द, थकान, ठंड लगना, पेटदर्द।
  • कभी-कभी दस्त उल्टी आना।3. कम उम्र के व्यक्तियों, छोटे बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को यह तीव्र रूप से प्रभावित करता है।
4. इसका संक्रमण रोगी व्यक्ति के खांसने, छींकने आदि से निकली हुई द्रव की बूंदों से होता है। रोगी व्यक्ति मुंह या नाक पर हाथ रखने के पश्चात जिस भी वस्तु को छूता है, पुन: उस संक्रमित वस्तु को स्वस्थ व्यक्ति द्वारा छूने से रोग का संक्रमण हो जाता है।
5. संक्रमित होने के पश्चात 1 से 7 दिन के अंदर लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं।

किसको अधिक संभावना : कमजोर व्यक्ति, बच्चे, गर्भवती महिलाएं, वृद्धजन एवं जीर्ण रोगों से ग्रसित व्यक्ति।

कैसे होगा बचाव -
1. खांसी, जुकाम, बुखार के रोगी दूर रहें।
2. आंख, नाक, मुंह को छूने के बाद किसी अन्य वस्तु को न छुएं व हाथों को साबुन/ एंटीसेप्टिक द्रव से धोकर साफ करें।
3. खांसते, छींकते समय मुंह व नाक पर कपड़ा रखें।
4. सहज एवं तनावमुक्त रहिए। तनाव से रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम हो जाती है जिससे संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है।
5. स्टार्च (आलू, चावल आदि) तथा शर्करायुक्त पदार्थों का सेवन कम करिए। इस प्रकार के पदार्थों का अधिक सेवन करने से शरीर में रोगों से लड़ने वाली विशिष्ट कोशिकाओं (न्यूट्रोफिल्स) की सक्रियता कम हो जाती है।
6. दही का सेवन नहीं करें, छाछ ले सकते हैं। खूब उबला हुआ पानी पीयें व पोषक भोजन व फलों का उपयोग करें।
7. सर्दी-जुकाम, बुखार होने पर भीड़भाड़ से बचें एवं घर पर ही रहकर आराम करते हुए उचित (लगभग 7-9 घंटे) नींद लें।

कैसे करें घरेलू इलाज -
1. विशिष्ट आयुर्वेदिक पेय (काढ़ा) पियें। इसे बनाने के लिए डेढ़ कप पानी लेकर उसमें हल्दी पाउडर (एक चम्मच), कालीमिर्च (तीन दाने), तुलसी के पत्ते (दो), थोड़ा जीरा, अदरक, थोड़ी चीनी को उबाल लें। एक कप रह जाने पर उसमें आधा नींबू निचोड़ दें। इसे गुनगुना ही सेवन करें। इसे दिन में 2-3 बार लिया जा सकता है।
2. नाक में दोनों तरफ तिल तेल की 2-2 बूंदें दिन में 3 बार डालें।
3. रोजाना 2 से 3 तुलसी पत्र का सेवन करें।
4. गिलोय का काढ़ा या ताजा गिलोय का रस 20 मिली प्रतिदिन पीयें।
5. उपयुक्त मात्रा वयस्कों के लिए है, बालकों की उम्र के अनुसार मात्रा कम करें।
6. स्वाइन फ्लू जैसे बुखार गले में खराब, सर्दी-जुकाम, खांसी व कंपकंपी आना, इनमें से कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श लें।
7. कपूर, इलायची, लौंग मिश्रण (पाउडर) को रूमाल में बांधकर रख लें व सूंघते रहें। संक्रमण का खतरा कम होता है।
8. अमृतधारा की 1-2 बूंदें रूमाल अथवा रूई पर लगाकर बार-बार सूंघते रहने से भी स्वाइन फ्लू से बचाव होता है।