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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 29 अगस्त 2024 (16:52 IST)

Ganesh Chaturthi 2024: गणेश जी के मस्तक की रोचक कथा

Ganesh Chaturthi 2024: गणेश जी के मस्तक की रोचक कथा - Lord Ganesha Story
ganesh story
Highlights 
 
गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा।
गणेश जी के मस्तक की कहानी।
गणेश चतुर्थी की प्रामाणिक कथा। 
Katha shree ganesh : श्री गणेश जी के मस्तक की एक कथा शिव पुराण में वर्णित है। जिसके अनुसार एक बार माता पार्वती ने अपने शरीर पर हल्दी लगाई थी, इसके बाद जब उन्होंने अपने शरीर से हल्दी उबटन उतारी तो उससे उन्होंने एक पुतला बना दिया। पुतले में बाद में उन्होंने प्राण डाल दिए। इस तरह से विनायक पैदा हुए थे। 
 
इसके बाद माता पार्वती ने गणेश को आदेश दिए कि तुम मेरे द्वार पर बैठ जाओ और उसकी रक्षा करो, किसी को भी अंदर नहीं आने देना। कुछ समय बाद शिव जी घर आए तो उन्होंने कहा कि मुझे पार्वती से मिलना है। इस पर गणेश जी ने मना कर दिया। 
 
शिव जी को नहीं पता था कि ये कौन हैं। दोनों में विवाद हो गया और उस विवाद ने युद्ध का रूप धारण कर लिया। इस दौरान शिवजी ने अपना त्रिशूल निकाला और गणेश का सिर काट डाला। पार्वती को पता लगा तो वह बाहर आईं और रोने लगीं। 
 
उन्होंने शिव जी से कहा कि आपने मेरे बेटा का सिर काट दिया। शिव जी ने पूछा कि ये तुम्हारा बेटा कैसे हो सकता है। इसके बाद पार्वती ने शिव जी को पूरी कथा बताई। शिव जी ने पार्वती को मनाते हुए कहा कि ठीक है मैं इसमें प्राण डाल देता हूं, लेकिन प्राण डालने के लिए एक सिर चाहिए। 
 
इस पर उन्होंने गरूड़ जी से कहा कि- उत्तर दिशा में जाओ और वहां जो भी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ कर के सोई हो उस बच्चे का सिर ले आना। गरूड़ जी भटकते रहे पर उन्हें ऐसी कोई मां नहीं मिली क्योंकि हर मां अपने बच्चे की तरफ मुंह कर के सोती है। अंतत: एक हथिनी दिखाई दी। 
 
हथिनी का शरीर का प्रकार ऐसा होता हैं कि वह बच्चे की तरफ मुंह कर के नहीं सो सकती है। गरूड़ जी उस शिशु हाथी का सिर ले आए। भगवान शिव जी ने वह बालक के शरीर से जोड़ दिया। उसमें प्राणों का संचार कर दिया। उनका नामकरण कर दिया। इस तरह श्री गणेश को हाथी का सिर लगा। 


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