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Written By नृपेंद्र गुप्ता
Last Modified: बुधवार, 16 दिसंबर 2020 (15:05 IST)

2020 में शेयर बाजार ने रचा इतिहास, लोगों को क्यों याद आया 2008-09

2020 में शेयर बाजार ने रचा इतिहास, लोगों को क्यों याद आया 2008-09 - Share market in 2020 : Sensex, nifty creates history
वर्ष 2020 को लोग जहां कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से याद रखेंगे और तो शेयर बाजार भी इसे शायद ही कभी भूल पाएगा। निवेशकों के जेहन में यह साल बाजार में हुई उठापटक की वजह से हमेशा जेहन में रहेगा। सेंसेक्स में इस वर्ष 20,000 से ज्यादा अंकों की उठापटक हुई तो निफ्टी में भी 6000 अंकों का उतार चढ़ाव देखा ‍गया।
 
मार्च 2020 में सेंसेक्स ने अपना लो 25639 पर देखा इस माह निफ्टी भी गिरकर 7511 पर पहुंच गया। कोरोना वायरस महामारी के शुरुआती दिनों में भारतीय बाजारों में 30 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
 
इसके बाद शेयर बाजार में जोरदार सुधार दर्ज हुआ। इस साल अप्रैल से शेयर बाजार में करीब 70 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी देखी गई। दिसंबर तक सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही सर्वकालिक ऊंचाई पर थे। 14 दिसबंर आते-आते सेंसेक्स 46373 और निफ्टी 13597 पर पहुंच गए।
 
लॉकडाउन में जब भारत में लॉकडाउन भारत सरकार द्वारा दिए गए पैकेज ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका तो निभाई ही, साथ ही शेयर बाजार को भी मजबूती दी। 
 
FPI ने इस साल शेयरों में शुद्ध रूप से 1.42 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है। यह 2002 से किसी कैलेंडर वर्ष में उसका सबसे ऊंचा निवेश है। यह इतिहास में 5वां अवसर है जबकि शेयरों में एफपीआई का शुद्ध निवेश किसी साल में एक लाख करोड़ रुपए को पार कर गया है।
 
FPI ने जून से नवंबर के बीच 6 माह में 92,177 करोड़ रुपए निवेश किया। इसकी एक वजह यह थी कि जून में भारत में लॉकडाउन हटना शुरू हुआ था। सितंबर को छोड़ दें तो बाकि 5 माह में एफपीआई ने यहां भारी निवेश किया। इससे बाजार में नकदी की मात्रा बढ़ी। दूसरी ओर म्यूचुअल फंड में इस अवधि में 84 हजार 148 करोड़ रुपए निकाले गए। यह इस बात का संकेत है कि इस बाजार में भारतीय निवेशकों से ज्यादा भरोसा विदेशी निवेशकों को है।
 
क्या है 2021 से उम्मीद : वास्तविक अर्थव्यवस्था और शेयर बाजारों की चाल पर उठते सवालों के बीच विशेषज्ञ सेंसेक्स के अगले वर्ष के अंत तक 50 हजारी होने का दावा कर रहे हैं। फ्रांस की ब्रोकरेज कंपनी बीएनपी परिबास ने यहां तक कह दिया कि बीएसई का 30 शेयरों  वाला सेंसेक्स 2021 के अंत तक करीब 9 प्रतिशत बढ़कर 50,500 अंक पर पहुंच जाएगा। इससे लोगों को एक बार फिर 2008-2009 याद आ रहा है।
 
क्या हुआ 2008 में : 2008 की शुरुआत में तेजी से उड़ान भरते हुए 21 हजार के पार पहुंच गया। आम निवेशक हतप्रभ से बढ़ते बाजार को निहार रहे थे। अचानक रिलायंस पॉवर के आईपीओ के बाजार में आते ही स्थितियां बदल गईं। फलफूल रहे बाजार पर ऐसी नजर लगी कि गिरावट को रोकना मुश्किल हो गया। 
 
बीच में बाजार में लेवालों ने अपनी पकड़ बनाने की कोशिश की, मगर आर्थिक मंदी और तरलता के अभाव में बाजार ने लगातार गर्त देखा। सेंसेक्स गिरकर 6796 के स्तर तक पहुंच गया। निफ्टी जो जनवरी में 6200 के स्तर के ऊपर था, अक्टूबर में गिरकर 2252 के स्तर तक पहुंच गया। महंगाई, कच्चा तेल, अस्थिरता जैसे कारकों ने भी शेयर बाजार की दिशा ऋणात्मक बनाए रखी। रुपए में भी भारी गिरावट दर्ज की गई।
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