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Written By नृपेंद्र गुप्ता
Last Updated : शुक्रवार, 23 जून 2023 (12:46 IST)

आसान नहीं है Investment की डगर, संभलकर करें निवेश, फाइनेंशियल प्लानिंग कैसे करें

आसान नहीं है Investment की डगर, संभलकर करें निवेश, फाइनेंशियल प्लानिंग कैसे करें - investment financial planning
बाबूजी धीरे चलना... निवेश में जरा संभलना... बड़े धोखे हैं इस राह में... जब एक युवा अपना करियर शुरू करता है तो उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती पैसे को सही ढंग से उपयोग करने की होती है। बचत करना है या निवेश, मेडिकल इंश्योरेंस लें या टर्म प्लान। पहले कार लें या घर, शेयर बाजार में पैसा लगाएं या म्यूचुअल फंड में यह सवाल सभी को परेशान करते हैं। निवेश करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि निवेश क्या है और बचत से यह कैसे अलग है? निवेश में रिस्क फैक्टर क्या है? किस व्यक्ति को कितना रिस्क लेना चाहिए? 
 
आम आदमी के सामने सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि उसके पास आमदनी कम होती है और खर्चे ज्यादा। ऐसे में उसके पास निवेश के लिए न तो ज्यादा धन रहता है, न वह ज्यादा रिस्क लेने की स्थिति में होता है। ऐसे में उसे अपनी जरूरतों को ध्यान में रखकर ही निवेश करना चाहिए। सबसे बड़ी बात है कि हर व्यक्ति को अपने निवेश का मकसद पता होना चाहिए। इसी आधार पर तय होना चाहिए कि यह शॉर्ट टर्म हो या लांग टर्म। बगैर लालच के सही दिशा में किया गया निवेश हमेशा लाभ का ही सौदा होता है।
 
अक्सर लोग सेविंग और इनवेस्टमेंट को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन इन दोनों में बड़ा अंतर होता है। आजकल के दौर में बचत करना हम सभी के लिए बेहद जरूरी है, वहीं अगर हम अपनी पूंजी को बढ़ाना चाहते हैं तो हमें निवेश करना होगा। नियमित रूप से बचत करना और लंबे समय के लिए निवेश करना बेहद आवश्यक है। 
 
कहां कर सकते हैं निवेश : लोगों के पास निवेश के लिए कई विकल्प मौजूद हैं। इनमें शेयर बाजार, कमोडिटी, म्यूचुअल फंड, रियल स्टेट, PPF और FD शामिल है। निवेश के साथ ही सा‍माजिक सुरक्षा भी जरूरी है। इसलिए स्वास्थ्य बीमा, टर्म प्लान, चाइल्ड प्लान आदि में निवेश किया जाता है। स्वास्थ्य बीमा में कोई रिर्टन नहीं मिलता लेकिन बेहतर भविष्य के लिए वर्तमान की सुरक्षा भी जरूरी है। इसीलिए पैसा लगाना भी बेहद जरूरी है। 
 
फाइनेंशियल कंसल्टेंट रमाकांत मुजावदिया ने बताया कि एक व्यक्ति को अपनी आवश्यकता के अनुसार निवेश करना चाहिए। कुछ अमाउंट इंस्टंट लगता है, कुछ लॉन्ग टर्म के लिए निवेश किया जाता है। अलग-अलग प्लानिंग होती है। व्यक्ति को सबसे पहले प्रोटेक्शन जरूरी है। पहले मेडिक्लेम प्लान करना चाहिए। इसके बाद एक्सिडेंटल बीमा और टर्म प्लान लेना चाहिए। इसके बाद निवेश के रूप में जरूरत के हिसाब से प्लानिंग करना चाहिए।
 
 
उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में सीधे शेयर बाजार में निवेश करने की बजाए म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए। इसमें शेयर बाजार के बजाए कम रिस्क रहती है। नौकरी के शुरुआती दिनों में अपने काम पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है,  लेकिन शेयर बाजार में निवेश करने पर उसका कॉनसन्ट्रेशन भंग होता है। बाजार खुलते ही उसका ध्यान इस पर जाएगा कि क्या खरीदना है और क्या बेचना है। दिन में फिर एक बार वह अपने शेयरों की स्थिति देखेगा। म्यूचुअल फंड में एक फंड मैनेजर होता है जो कि फंड की प्लानिंग करता है। कुछ समय के लिए ऊपर नीचे होता है लेकिन इस पर लोगों को ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती।
 
मॉर्निंगस्टार इंडिया द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, सेबी की म्यूचुअल फंड कंपनियों पर नई योजनाएं (NFO) लाने की रोक की वजह से बीते वित्त वर्ष 2022-23 में नई योजनाओं के जरिए जुटाई गई राशि में गिरावट आई है। आंकड़ों के अनुसार, बीते वित्त वर्ष में 253 नई योजनाओं के जरिए म्यूचुअल फंड उद्योग ने 62,342 करोड़ रुपए जुटाए, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 42 प्रतिशत कम है। 2021-22 में 176 एनएफओ के जरिए 1,07,896 करोड़ रुपए की राशि जुटाई गई थी। म्यूचुअल फंड कंपनियों ने 2020-21 में 84 नई योजनाओं से 42,038 करोड़ रुपये जुटाए थे।
 
निवेश में क्या है रिस्क : निवेश कोई भी हो उसमें रिस्क तो होती ही है। हम चाहे इंश्योरेंस करें, एफडी करें या जमीन में पैसा लगाएं रिस्क सभी में रहता है। सेबी, एम्फी जैसे रेग्यूलेटर्स अकसर निवेशकों को सावधानीपूर्वक निवेश की सलाह देते हैं। हर रिस्की निवेश से पहले लोगों को बता दिया जाता है कि इनवेस्टमेंट इज द सब्जेक्ट ऑफ मार्केट रिस्क। हाल ही में देश के प्रमुख शेयर बाजार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने निवेशकों से कहा था कि इन्वेस्टर्स से यूजर आईडी और पासवर्ड लेकर उनका अकाउंट ऑपरेट करने का ऑफर भी दिया जा रहा है। लालच में आकर वे किसी अंजान व्यक्ति या निकाय के द्वारा गारंटीड रिटर्न या अन्य आकर्षक ऑफर में न पड़ें।
 
डेली बेसेस पर चेंजेस होने की वजह से सेबी ने रिस्क वाले निवेश संबंधी सभी तरह के विज्ञापनों में investment is the subject of market risk चेतावनी जरूरी कर दी है। लिक्विडी फंड जैसे स्कीमों में ज्यादा रिस्क नहीं होता लेकिन वहां भी स्पष्ट रूप से बताया जाता है कि इसमें रिस्क है। वैसे देखा जाए तो सबसे बड़ा रिस्क तो FD है। जिस हिसाब से महंगाई बढ़ रही है, आपके पैसे की वैल्यू कम ही हो रही है। देखने में तो 1 लाख का 1 लाख 8 हजार दिख रहा है ‍लेकिन पता चलता है कि उसकी वैल्यू 85,000 ही रह गई।
 
म्यूचुअल फंड में निवेश के सभी विकल्प : मुजावदिया ने कहा कि म्यूचुअल फंड में निवेश के सभी विकल्प मौजूद है। अगर आपको एफडी में पैसा डालना है कि उसका विकल्प डेथ फंड में म्यूचुअल फंड में है, इक्विटी में पैसा लगाना है तो उसका ऑप्शन है, गोल्ड में पैसा लगाना है तो उसके लिए भी म्यूचुअल फंड है। रियल स्टेट के लिए भी फंड मौजूद है। इसने निवेश के सारे एस्पेक्ट्स कवर कर लिए हैं। आपके निवेश का ध्‍यान रखने के लिए हर कंपनी के पास अपने फंड मैनेजर हैं। 
 
एक ही चीज में ना लगाएं पूरा पैसा : फाइनेंशियल एक्सपर्ट और फिनेस्ट्रोसाइकल्स के फाउंडर नितिन भंडारी ने कहा कि एक व्यक्ति को अपना सारा पैसा कभी भी एक चीज में नहीं लगाना चाहिए। स्टाक में 60 से 70 फीसदी, बांड में 10 से 15 फीसदी, सोने में 10 से 15 फीसदी निवेश किया जा सकता है। रियल स्टेट में निवेश के नाम पर घर और ऑफिस खरीदे जा सकते हैं। PPF में भी 7 से 8 फीसदी निवेश किया जा सकता है।
 
लांग टर्म के लिए करें निवेश : अक्सर लोग जल्द पैसा कमाने के चक्कर में शॉर्ट टर्म निवेश करते हैं लेकिन कई बार उन्हें उतना रिटर्न नहीं मिल पाता, जितना वो एक्सपेक्ट करते हैं। आम आदमी के पास न तो ज्यादा पैसा होता है और ना समय ऐसे में उन्हें वित्त विशेषज्ञ की सलाह से आवश्यकतानुसार लांग टर्म में निवेश करना चाहिए। आपका निवेश जितने लंबे समय के लिए होगा, नुकसान की संभावनाएं उतनी ही कम होंगी और फायदा भी ज्यादा होगा।
 
वहीं मुजावदिया ने कहा कि आपका पैसा है, आपको ही इस बारे में सजग रहना होगा। आप चाहे शेयर बाजार में पैसा लगाए, रिअल स्टेट में या सोना-चांदी में आपको अपने निवेश का उद्देश्य पता होना चाहिए। अक्सर लोग निवेश तो कर देते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि कितने समय तक पैसा लगाना है और प्राप्त प्रॉफिट का क्या करना है। निवेश करते समय आपको पता होना चाहिए कि आप प्राप्त रिटर्न को कब और कहां खर्च करना चाहते हैं। उसी के अनुरूप प्लानिंग बनाएं। मसलन आप ड्रीम होम, बच्चों की शिक्षा, बच्चों की शादी आदि को प्लान कर निवेश करते हैं तो आपको फायदा होगा। अगर आप अपने कंसल्टेंट के साथ कम्यूनिकेशन में हैं तो आपकी प्लानिंग निश्चित रूप से दूसरों की अपेक्षा ज्यादा बेहतर होगी।
 
निवेश करते समय इन बातों का रखें ध्यान
अन प्लान्ड इनवेस्टमेंट से बचें : आम आदमी को निवेश की ज्यादा समझ नहीं होती है। जब भी पैसा आता है उसे निवेश कर रिर्टन का इंतजार करने लगता है। थोड़ा-सा नुकसान होने पर वह घबरा जाता है और पैसा निकालकर खुद का नुकसान कर लेता है। निवेश हमेशा प्लानिंग के साथ किया जाना चाहिए। साथ ही निवेशक को यह भी पता होना चाहिए कि निवेश की गई रकम का इस्तेमाल कब और कैसे करना है?
 
बगैर पढ़े पेपर साइन न करें : यह भी देखने में आता है कि निवेश करते समय लोग बगैर पेपर पढ़े ही उस पर साइन कर देते हैं। अगर आप इन पेपर्स को साइन करने से पहले पढ़ लेते हैं तो आपको निवेश के संबंध में सभी बारिकियों का पता चल जाएगा और आप धोखे का शिकार नहीं होंगे। जो व्यक्ति आपके पास निवेश के लिए आया है, हो सकता है जल्दी में हो पर पैसा आपका है आप इसे सोच समझकर ही निवेश करें।
 
ज्यादा प्रॉफिट के लालच में रिस्क को इग्नोर करना : कई लोग ज्यादा प्रॉफिट के लालच में रिस्क को इग्नोर करते हैं। कहा जाता है कि मोर रिस्क, मोर प्रॉफिट। नो रिस्क, नो प्रॉफिट। ऐसे में रिस्क तो लेना ही पड़ता है पर यह केलकुलेटेड होना चाहिए। अर्थात बीच का रास्ता ही बेहतर है ताकि ज्यादा फायदा ना हो तो नुकसान भी कम हो।
 
परिवार को निवेश के बारे में बताएं : आम तौर पर लोग निवेश तो कर देते हैं लेकिन परिवार को इस बारे में नहीं बताते हैं। ऐसे में परिवार को पता ही नहीं चलता कि आपने किस जगह निवेश कर रखा है और आपके बाद परिवार को उस निवेश का फायदा नहीं मिल पाता।
 
इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आय के अनुसार निवेश और बचत करनी चाहिए ताकि वे भविष्य में आने वाले खर्चों को अच्छे से मैनेज कर सकें। ऐसे में यदि निवेशक इन बातों का ध्यान रखेंगे तो उन्हें नुकसान की संभावना नहीं के बराबर होगी। साथ ही निवेश के नाम पर होने वाली ठगी से भी बच सकेंगे।