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नरक चतुर्दशी : रूप चौदस कब है, जानिए मुहूर्त, पूजा विधि और क्या करें इस दिन

नरक चतुर्दशी : रूप चौदस कब है, जानिए मुहूर्त, पूजा विधि और क्या करें इस दिन - Narak Chaturdashi Roop Chaudas 2021
Narak Chaturdashi Roop Chaudas 2021: दीवाली के पांच दिनी महोत्सव में धनतेरस के बाद दूसरे नंबर पर नरक चतुर्दशी ( Narak Chaturdashi 2021 ) का त्योहार मनाया जाता है, जिसे रूप चौदस ( Roop Chaudas Muhurta ) या काली चौदस ( Kali Chaudas Muhurta ) भी कहते हैं। कृष्‍ण चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि भी कहते हैं। आओ जानते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और क्या करें इस दिन खास कार्य।
 
 
कब है रूप चौदस : पंचांग के अनुसार 3 नंबर 2021 को प्रात: 09:02 से चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होकर 4 नंबर 2021 प्रात: 06:03 पर समाप्त होगी। पंचांग भेद के कारण तिथि में घट-बढ़ हो सकती है। उपरोक्त मान से रूप चौदस या नरक चतुर्दशी 3 तारीख को मनाई जाएगी। ( Narak Chaturdashi Roop Chaudas 2021 ).
 
शुभ मुहूर्त : 
अमृत काल– 01:55 से 03:22 तक।
ब्रह्म मुहूर्त– 05:02 से 05:50 तक।
विजय मुहूर्त - दोपहर 01:33 से 02:17 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:05 से 05:29 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त- शाम 05:16 से 06:33 तक।
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:16 से 12:07 तक।
 
दिन का चौघड़िया :
लाभ : प्रात: 06:38 से 08:00 तक।
अमृत : प्रात: 08:00 से 09:21 तक।
शुभ : प्रात: 10:43 से 12:04 तक।
लाभ : शाम 04:08 से 05:30 तक।
 
रात का चौघड़िया : 
शुभ : शाम 07:09 से 08:47 तक।
अमृत : 08:47 से 10:26 तक।
लाभ : 03:22 से 05:00 तक।
 
नरक चतुर्दशी स्नान विधि :
1. इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करने का महत्व है। कहते हैं इससे रूप में निखार आ जाता है। स्नान के लिए कार्तिक अहोई अष्टमी के दिन एक तांबे के लौटे में जल भरकर रखा जाता है और उसे स्नान के जल में मिलाकर स्नान किया जाता है। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है। 
 
2. स्नान के दौरान तिल के तेल से शरीर की मालिश करें और उसके बाद औधषीय पौधा अपामार्ग अर्थात चिरचिरा को सिर के ऊपर से चारों ओर 3 बार घुमाने का प्रचलन है।
 
3. स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें। ऐसा करने से संपूर्ण वर्ष के पापों का नाश हो जाता है।
 
नरक चतुर्दशी पर क्या करें : 
1. इस दिन यमराज के लिए तेल का दीया घर के मुख्य द्वार से बाहर की ओर लगाएं।
 
2. इस दिन शाम के समय सभी देवताओं की पूजन के बाद तेल के दीपक जलाकर घर की चौखट के दोनों ओर और घर के बाहर रख दें। ऐसा करने से लक्ष्मीजी का घर में निवास हो जाता है।
 
3. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
 
4. इस दिन निशीथ काल (अर्धरात्रि का समय) में घर से बेकार के सामान फेंक देना चाहिए। इससे दरिद्रता का नाश हो जाता है।
 
नरक चतुर्दशी की पूजा विधि :
1. इन 6 देव की होती है पूजा : इस दिन यमराज, श्रीकृष्ण, काली माता, भगवान शिव, रामदूत हनुमान और भगावन वामन की पूजा की जाती है।
 
2. घर के ईशान कोण में ही पूजा करें। पूजा के समय हमारा मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए। पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें। सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है।
 
3. इस दिन उपरोक्त 6 देवों की षोडशोपचार पूजा करना चाहिए। अर्थात 16 क्रियाओं से पूजा करें। पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए।
 
4. इसके बाद सभी के सामने धूप, दीप जलाएं। फिर उनके के मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी अंगुली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी आदि) लगाना चाहिए। इसी तरह उपरोक्त षोडशोपचार की सभी सामग्री से पूजा करें। पूजा करते वक्त उनके मंत्र का जाप करें।
 
5. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
 
6. अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
 
7. मुख्‍य पूजा के बाद अब मुख्य द्वार या आंगन में प्रदोष काल में दीये जलाएं। एक दीया यम के नाम का भी जलाएं। रात्रि में घर के सभी कोने में भी दीए जलाएं।