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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 8 जून 2024 (18:53 IST)

09 जून : बिरसा मुंडा का शहीद दिवस, जानें उनकी कहानी

09 जून : बिरसा मुंडा का शहीद दिवस, जानें उनकी कहानी - Birsa Mundas death anniversary
birsa munda 
 
Highlights 
 
बिरसा मुंडा कौन थे। 
बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि। 
09 जून को बिरसा मुंडा का शहीद दिवस।  

Birsa Munda : 9 जून 1900 को बिरसा मुंडा शहीद हो गए थे। अतः हर साल 9 जून के दिन उनका शहीद दिवस मनाया जाता है। बिरसा मुंडा का नाम इतिहास के महानायक के रूप में शामिल है। 
 
आइए जानते हैं ऐसे महान देशभक्त के बारे में- 
 
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के एक आदिवासी परिवार में सुगना और करमी के घर हुआ था। 
 
वे भारतीय इतिहास के ऐसे महानायक हैं, जिन्होंने अपने क्रांतिकारी चिंतन से 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भारत के झारखंड में आदिवासियों की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक तथा राजनीतिक युग का सूत्रपात किया था। 
 
उन्होंने अपने साहस से शौर्य गाथाएं लिखी तथा हिन्दू , ईसाई धर्म का बारीकी से अध्ययन किया। उन्होंने महसूस किया कि आदिवासी समाज अंधविश्वास के कारण भटका रहा है। तब उन्होंने एक नए धर्म की शुरुआत की, जिसे बरसाइत कहा जाता था। 
 
उन्होंने बरसाइत धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए 12 विषयों का चयन किया तथा इस धर्म के कठिन नियमों में मांस-मछली, सिगरेट-गुटखा, मदिरा, बीड़ी आदि का सेवन नहीं करने तथा बाजार या किसी अन्य के यहां का खाना नहीं खाने के बारे में बताया गया हैं।  
 
जब पढ़ाई के दौरान मुंडा समुदाय के बारे में आलोचना की जाती थी, जो उन्हें बिलकुल भी अच्छी नहीं लगती थी और वे नाराज हो जाते थे। इसके बाद उन्‍होंने आदिवासी तौर-तरीकों पर ध्‍यान देकर समाज के हित के लिए काफी संघर्ष किया।
 
आदिवासियों के क्षेत्र के अहम योगदान के लिए आज भी उनकी तस्वीर भारतीय संसद के संग्रहालय में लगी है। आज भी उन्हें बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, और पश्चिम बंगाल में भगवान की तरह पूजते हैं। उन्होंने आदिवासियों की जमीन को अंग्रेजों के कब्जे से छुड़ाने के लिए एक अलग जंग लड़ी। और 'अबुआ दिशुम अबुआ राज' यानी 'हमारा देश, हमारा राज' का नारा दिया। उनके इस आंदोलन से अंग्रेजों के पैरों तले जमीन खिसकने लगी और पूंजीपति तथा जमींदार उनसे डरने लगे।  
 
अंग्रेजी हुकूमत ने भी इसे खतरे का संकेत समझ कर बिरसा मुंडा को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया और उन्हें धीमा जहर दिया जाने लगा, और इसी के चलते 9 जून 1900 को बिरसा मुंडा शहीद हो गए और रांची में अंतिम सांस लीं। आज भी महान देशभक्तों में उनकी गिनती की जाती है। 

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